उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्यकर्मियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला

म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख ने कहा है कि एक तरफ हमें कोविड-19 वॉरियर्स कहकर हमारा महिमामंडन किया जाता है तो दूसरी तरफ तीन महीनों से हमारा वेतन नहीं दिया गया.

Vijayawada: Workers wearing protective suits sit outside an isolation ward at Government General Hospital during the nationwide lockdown, imposed in wake of the coronavirus pandemic, in Vijayawada, Monday, April 20, 2020. (PTI Photo)(PTI20-04-2020_000165B)

म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख ने कहा है कि एक तरफ हमें कोविड-19 वॉरियर्स कहकर हमारा महिमामंडन किया जाता है तो दूसरी तरफ तीन महीनों से हमारा वेतन नहीं दिया गया.

(फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक और मैटरनिटी होम्स के स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि उन्हें दो महीने से वेतन नहीं मिला है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरी नगर निगम की कमिश्नर वर्षा जोशी ने पुष्टि की है कि जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों, नर्सिंग कर्मचारियों और कुछ अन्य मेडिकल स्टाफ को आखिरी बार फरवरी महीने का वेतन मिला था.

वहीं एमसीडी के एक अधिकारी ने कहा, ‘इन्हें मई के पहले सप्ताह में फरवरी माह का वेतन मिला था.’

हिंदू राव, महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग, कस्तूरबा अस्पताल, गिरधारी लाल मातृत्व अस्पताल और रंजन बाबू इंस्टिट्यूट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन एंड ट्यूबरकुलोसिस अस्पताल उत्तरी नगर निगम के तहत आते हैं.

इसके साथ 21 डिस्पेंसरी, 63 मैटरनिटी एवं बाल कल्याण केंद्र, 17 पॉलीक्लीनिक और सात मैटरनिटी होम्स भी उत्तरी नगर निगम के तहत आते हैं.

नॉर्थ एमसीडी के तहत 1,000 वरिष्ठ डॉक्टर, 500 रेजिडेंट डॉक्टर और 1,500 नर्सिंग कर्मचारी काम करते हैं.

एमसीडी के एक अधिकारी का कहना है कि नर्सों और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को फरवरी महीने तक का ही वेतन मिला है. वरिष्ठ डॉक्टरों को जनवरी तक का ही वेतन मिला है.

गिरधारी लाल अस्पताल में काम करने वाले और म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. आरआर गौतम का कहना है, ‘एक तरफ हमें कोविड-19 वॉरियर्स कहकर हमारा महिमामंडन किया जाता है तो दूसरी तरफ तीन महीनों से हमारा वेतन नहीं दिया गया. इस तरह के समय में यह स्वास्थ्यकर्मियों की सबसे बुनियादी चीज है.’

उन्होंने कहा, ‘लोगों को उनके बच्चों की शिक्षा के लिए खर्च करना पड़ता है और घर में किसी के बीमार पड़ने पर भी खर्च करना पड़ता है. ऐसे में तो हमारी सारी बचत भी समाप्त हो जाएगी. इस तरह के मुश्किल समय में हमें कोई उधार भी नहीं देगा.’

डॉ. गौतम ने कहा, ‘हमें पिछले तीन महीने से तनख्वाह नहीं दी गई है और डॉक्टर के तौर पर हम मरीजों की सेवा करना अपना कर्तव्य समझते हैं. हम ज्यादा कुछ नहीं, बस अपना वेतन मांग रहे हैं.’

एसोसिएशन ने इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.

पत्र में कहा गया है, ‘मौजूदा स्थिति में हम डॉक्टरों के लिए एकमात्र विकल्प के तौर पर विरोधस्वरूप सामूहिक इस्तीफे का ही विकल्प रह जाता है लेकिन यह एसोसिएशन आश्वस्त है कि समय पर आपके हस्तक्षेप से इस तरह की स्थिति से बचा जा सकेगा.’

प्रधानमंत्री को यह पत्र पिछले सप्ताह ई-मेल से भेजा गया था. यह एसोएिशन तब बनी थी, जब नगर निगम तीन हिस्सों में नहीं बंटा था.

एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, फंड की कमी की वजह से वेतन में देरी हो गई.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा पांचवें दिल्ली वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं करने की वजह से हुआ. पांचवें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों में अस्पतालों के लिए विशेष पैकेज शामिल है. दिल्ली सरकार के समक्ष लगातार वेतन का मुद्दा उठाया गया और जैसे ही हमें फंड दिया गया, हमने सभी को वेतन दिया.’

भाजपा के नेतृत्व वाले एमसीडी और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के बीच लंबे समय से विवाद रहा है. नगर निगम दिल्ली सरकार पर उचित फंड मुहैया नहीं कराने का आरोप लगाता रहा है जबकि सरकार का आरोप है कि नगर निगम सरकार द्वारा मुहैया कराए गए धन का दुरुपयोग करता रहा है.

उत्तरी दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता और आप नेता सुरजीत पवार का कहना है कि दिल्ली सरकार ने नगर निगमों को उनके बकाए से अधिक का भुगतान किया है. अगर वे वेतन नहीं दे सकते हैं तो उन्हें नगर निगमों की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार को सौंप देनी चाहिए.