लॉकडाउनः सऊदी अरब में फंसे भारतीय मजदूर स्वदेश वापसी की लगा रहे गुहार

लॉकडाउन के कारण सऊदी अरब में फंसे भारतीय मजदूर भारत सरकार से लगातार गुहार लगा रहे हैं कि उनकी स्वदेश वापसी के लिए विशेष उड़ान सेवाओं का बंदोबस्त किया जाए.

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(फोटो: रॉयटर्स)

लॉकडाउन के कारण सऊदी अरब में फंसे भारतीय मजदूर भारत सरकार से लगातार गुहार लगा रहे हैं कि उनकी स्वदेश वापसी के लिए विशेष उड़ान सेवाओं का बंदोबस्त किया जाए.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः काम की तलाश में सऊदी अरब गए हजारों भारतीय मजदूर अब स्वदेश लौटने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इनमें से कई मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गई है जबकि कई पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं.

ये मजदूर लगातार भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि इनकी घर वापसी के लिए विशेष उड़ान सेवाओं का बंदोबस्त किया जाए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु के विल्लुपुरम से सऊदी अरब गए ई. इझिल्वेंडन (35) एक प्रमुख तेल रिफाइनरी कंपनी में काम करते थे.

वह दो महीने के कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम करने सऊदी अरब गए थे. उनके कॉन्ट्रैक्ट की अवधि 20 मार्च को समाप्त हो गई.

इझिल्वेंडन की तरह ऐसे कई भारतीय मजदूर हैं जो कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन के बीच सऊदी अरब में फंसे हुए हैं

इझिल्वेंडन ने कहा कि सऊदी अरब के विभिन्न इलाकों जैसे जेद्दा, दम्माम और रियाद में 400 से ज्यादा तमिल फंसे हुए हैं. उद्योग जेद्दा और जुबैल के पास राबिग शहर में है. इन औद्योगिक इलाकों के आसपास बड़ी संख्या में भारतीय हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम एक तेल संंयत्र को बंद करने के काम के लिए सऊदी अरब आए थे. इस कंपनी में भारत से 46 लोग हैं. कंपनी ने अपने कॉन्ट्रैक्ट में भी लिखा है कि वे हमें टाइमशीट के आधार पर भुगतान करेंगे. दो महीने हो गए हैं, अभी तक उन्होंने हमें हमारा वेतन नहीं दिया. हमारी जो भी कमाई थी, यहां जिंदा रहने की जद्दोजहद में खर्च हो गई.’

वह कहते हैं, ‘हमारे वीजा की अवधि भी समाप्त हो गई है. हमें नहीं पता कि वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद हम पर यहां रहने के लिए जुर्माना लगेगा या नहीं? 15 अप्रैल के बाद से एक बड़ी कंपनी ने अपने मजदूरों से कह दिया कि वे कमरे का किराया और भोजन पर होने वाले खर्च को मजदूर खुद उठाएं. हम बिना पैसों के लॉकडाउन के बीच किराया कैसे चुकाएंगे.’

सऊदी अरब में फंसे कुछ भारतीय मजदूर अपार्टमेंट में रह रहे हैं जबकि कुछ क्वारंटीन शिविरों में रह रहे हैं.

13 मई को तमिलनाडु के सांसद एस. ननतिरावियम ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को 140 भारतीय मजदूरों की दयनीय दशा के संबंध में एक पत्र लिखा था. जिनमें से 110 मजदूर उनके खुद के निर्वाचन क्षेत्र तिरुनेलवेली से हैं, जो सऊदी अरब में फंसे हुए हैं.

इस पत्र में सांसद ने कहा, ‘सऊदी अरब सरकार मजदूरों को उनके राज्य भेजने को तैयार है और वे इस संबंध में भारत सरकार और भारतीय दूतावास से मदद मांग रहे हैं. ये 140 मजदूर जेद्दा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के पास ही रहते हैं. इन 140 में से 110 मेरी निर्वाचन क्षेत्र राधापुरम तालुक से हैं, 24 उत्तर प्रदेश और छह केरल से हैं. ये मजदूर कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं हैं और इनकी स्थिति बहुत दयनीय है.’

उन्होंने आगे कहा कि इन फंसे हुए मजदूरों को मदुरै या तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डा भेजा जा सकता है.

इझिल्वेंडन के मुताबिक, ‘कई फोन और ईमेल करने के बाद भी रियाद में भारतीय दूतावास इन आग्रहों पर ध्यान देने में असफल रहा जबकि भारत सरकार का रवैया भी इसी तरह का रहा.’

उन्होंने कहा, ‘हमने यहां रियाद में भारतीय दूतावास, भारत सरकार और राज्य सरकार को भी पत्र भेजे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.’

इझिल्वेंडन ने कहा, ‘दूतावास हमेशा कहता रहा कि वे हमसे संपर्क करेंगे और अन्य अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कुछ नंबर देंगे लेकिन उसके बाद भी वे हमें इंतजार करने को कहते. यह सब कई सप्ताह तक चलता रहा. हमें वंदे भारत मिशन अभियान के पहले और दूसरे चरण में हमारे नाम भी नहीं मिले.’

वह कहते हैं, ‘कई ऐसे मामले थे, जिन्हें तुरंत मदद की जरूरत थी. आठ महीने की गर्भवती महिला यहां जूझ रही थी. क्या वह भी इनकी प्राथमिकता सूची में नहीं आती? उस महिला को पिछले महीने ही भारत बुला लेना चाहिए था लेकिन वह अभी तक यहां है. अगर वह यहां बच्चे को जन्म देती है तो उसके बाद भी उनकी स्वदेश वापसी को लेकर एक बड़ी प्रक्रिया का पालन करने होगा.’

उन्होंने कहा कि सरकार को चार्टर विमानों का इंतजाम कर आपात स्थिति वाले लोगों को भारत वापस लाना चाहिए.

रबिग में एक अग्रणी तेल रिफाइनरी में इंस्पेक्शन इंजीनियर विनोद कहते हैं कि वे बीते एक महीने से रियाद में भारतीय दूतावास से लगातार आग्रह कर रहे हैं लेकिन उन्हें अभी तक किसी तरह का सकारात्मक जवाब नहीं मिला है.

विनोद लगभग एक महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर सऊदी अरब आए थे और उनके कॉन्ट्रैक्ट की अवधि एक मार्च से 30 अप्रैल थी.

उन्होंने कहा, ‘अकेले रबिग शहर में लगभग 350 भारतीय और 200 से अधिक तमिल हैं. कई गर्भवती महिलाएं भी हैं, जो दिक्कतों का सामना कर रही हैं. हमने विभिन्न पार्टियों के कई मंत्रियों, नेताओं से मदद की गुहार लगाई. सभी ने कहा कि वे हमारी मदद करेंगे लेकिन की किसी ने भी नहीं. हमने सोशल मीडिया पर हमारी स्थिति को लेकर वीडियो पोस्ट किए थे, जिसके बाद प्रशासन ने हमसे वॉट्सएप ग्रुप बनाने को कहा. हमने सभी सूचनाएं दी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ.’

उन्होंने कहा कि उन जैसे कई भारतीयों को घर पहुंचाने के लिए सरकार ने एक भी विमान का इंतजाम नहीं किया.

सऊदी अरब में 15 मई तक कोरोना के 49,716 मामले दर्ज हुए हैं. फिलहाल सऊदी अरब में कर्फ्यू लगा है.

व्यवसायों और अन्य कारोबारी प्रतिष्ठानों को और कुछ सरकारी कार्यालयों को स्थानीय समयानुसार सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक काम करने की मंजूरी है. 23 से 27 मई तक देश में पूरी तरह से लॉकडाउन था, जिससे वहां फंसे भारतीयों को और ज्यादा तकलीफें हुईं.

सऊदी अरब में फंसी 56 गर्भवती नर्सों को वापस लाने के लिए अदालत में जनहित याचिका दायर

दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर लॉकडाउन के कारण सऊदी अरब में फंसी 56 गर्भवती नर्सों को देश वापस लाने के संबंध में केंद्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

यह याचिका यूनाइटेड नर्स एसोसिएशन ने दायर की है.

वकील सुभाष चंद्रन के माध्यम से दायर याचिका में गृह मंत्रालय को निर्देश दिये जाने की मांग की गई है कि वह विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के संबंध में घोषित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन करें.

याचिका में कहा गया कि गर्भवती महिलाओं सहित चिकित्सीय आपात स्थिति वाले लोगों को प्राथमिकता दी जानी है. कई गर्भवती नर्सें गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में हैं और इसलिए उन्हें चिकित्सकीय सहायता की जरूरत है.

याचिका में कहा गया कि ये महिलाएं सऊदी अरब में अकेले रह रही हैं क्योंकि उनकी जैसी स्टाफ नर्सों को पारिवारिक दर्जे वाला वीजा नहीं दिया जाता.

एसोसिएशन ने अदालत से फंसी हुईं गर्भवती नर्सों को 19 मई से 23 मई के बीच ‘वंदे भारत मिशन’ के दूसरे चरण में ही वापस लाने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है.

अब मामले पर अगली सुनवाई 18 मई को होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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