झारखंड: लातेहार में पांच वर्षीय दलित बच्ची की कथित तौर पर भूख से मौत

झारखंड के लातेहार जिला प्रशासन ने यह कहते हुए मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि भूख से मौत को साबित करने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है.

कथित तौर पर भूख से मरने वाली पांच वर्षीय बच्ची का परिवार. (फोटो: ट्विटर/@roadscholarz)

झारखंड के लातेहार जिला प्रशासन ने यह कहते हुए मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि भूख से मौत को साबित करने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है.

कथित तौर पर भूख से मरने वाली पांच वर्षीय बच्ची का परिवार. (फोटो: ट्विटर/@roadscholarz)
कथित तौर पर भूख से मरने वाली पांच वर्षीय बच्ची का परिवार. (फोटो: ट्विटर/@roadscholarz)

रांची: झारखंड के लातेहार जिले में बीते 16 मई को कथित तौर पर एक पांच वर्षीय दलित बच्ची की भूख से मौत हो गई. ईंट के भट्ठे पर काम करने वाले उसके पिता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें कोई आमदमी नहीं हो पाई.

स्क्रॉल डॉट इन की रिपोर्ट के अनुसार, लातेहार के हेसातु गांव में बच्ची के घर पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा जारी वीडियो में परिवार के सदस्य, पड़ोसी और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारी पांच वर्षीय निमानी की मौत का कारण भूख को बता रहे हैं.

एक वीडियो में निमानी की मां कमलावती देवी कहती हैं, ‘वह भूख से मर गई. चार-पांच दिनों से उसने कुछ नहीं खाया था. हम क्या खा सकते हैं जब कुछ खाने के लिए ही नहीं है.’

एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, बीते शनिवार को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के दौरान रास्ते में ही निमानी बेहोश हो गई थी.

जिला प्रशासन ने यह कहते हुए मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि भूख से मौत को साबित करने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है.

लातेहार के जिला कमिश्नर जीशान कमर ने कहा, ‘मैं सुना है कि बच्ची ने नाश्ता किया था और तैरने के लिए पास के तालाब में गई थी. वह बेहोश हो गई और शाम को मर गई. अगर उसने नाश्ता किया था तो यह कैसे भुखमरी हो सकती है?’

एक स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा देवी ने भी कहा कि बच्ची दिन में नदी में नहाने के लिए गई थी. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पड़ोसियों से जानकारी मिली कि पांच वर्षीय बच्ची कई दिनों से भूखी थी.

निमानी के पिता जगलाल भुइयां ने कहा कि उसकी मौत के समय वे अपने दो अन्य बच्चों के साथ लातेहार के एक अन्य इलाके में ईंट के भट्ठे में काम कर रहे थे. लॉकडाउन में मजदूरी न मिलने के कारण वे घर पर पैसा नहीं भेज सके थे.

रविवार को बच्ची के घर जाने वाले भोजन का अधिकार कार्यकर्ता और अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि 10 सदस्यों के परिवार के पास कोई जमीन या राशन कार्ड नहीं है.

द्रेज ने कहा कि गांव के मुखिया ने इस बात की पुष्टि की है कि बिना राशन कार्ड वालों के लिए आया 10 हजार रुपये का फंड समाप्त होने के कारण परिवार को चावल नहीं दिया गया था. गांव के मुखिया ने ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) से फंड की दूसरी किस्त के लिए पत्र लिखा था लेकिन फंड नहीं मिला.

द्रेज ने कहा कि जनधन खाते में 500 रुपये की एक किस्त के अलावा परिवार को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली. परिवार पूरी तरह से पड़ोसियों की सहायता पर निर्भर था.

द्रेज द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा देवी कहती हैं, ‘पड़ोसी परिवार को खाना देते थे. लेकिन उनमें से एक कहा कि वे कितना दे सकते थे?’

दैनिक भास्कर के अनुसार, द्रेज ने कहा कि घर में और पांच बच्चे हैं, जो कुपोषण के शिकार हैं.

द्रेज के अनुसार, बीडीओ के कहने पर पीड़ित परिवार ने रविवार की सुबह बच्ची के शव को दफना दिया है. जबकि, प्रावधान के मुताबिक भूख से मौत के मामले में मेडिकल टीम से पोस्टमार्टम कराया जाता है.

बच्ची की मौत की सूचना के बाद बीडीओ नंदकुमार राम शनिवार रात करीब 12 बजे उसके घर पहुंचे. प्रशासन ने पांच हजार रुपये और 40 किलो अनाज उपलब्ध कराया.

वहीं, रविवार सुबह लातेहार अनुमंडल पदाधिकारी सागर कुमार पीड़ित परिवार से मिले. उन्होंने बताया कि बच्ची की तबीयत दो दिनों से खराब थी. उसी अवस्था में बच्ची ने पास के तालाब में शनिवार को स्नान भी किया था. उसके बाद स्थिति और बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई.

बता दें कि, इससे पहले लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड में आने वाले दुरुप पंचायत के लुरगुमी कला गांव के रहने वाले 65 वर्षीय रामचरण मुंडा की पिछले साल छह जून को कथित तौर पर भूख से मौत हो गई थी. उन्हें तीन महीने से राशन नहीं मिल रहा था क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बायोमेट्रिक आधारित राशन पाने के लिए जिस इलेक्ट्रॉनिक मशीन का इस्तेमाल होता है, वह खराब थी.

वहीं, 28 सितंबर, 2017 को झारखंड के सिमडेगा जिले के कारीमाटी गांव में 10 साल की संतोषी कथित रूप से भूख से तड़प-तड़प कर मर गई थी. आरोप था कि उसका परिवार राशन कार्ड को आधार से लिंक नहीं करा पाया, जिसके चलते आठ महीने से उन्हें सस्ता राशन नहीं मिल रहा था.

परिवार का कहना था कि संतोषी कुमारी ने आठ दिन से खाना नहीं खाया था, जिसके चलते भूख से उसकी मौत हो गई थी. बाद में प्रशासन ने जांच की और रिपोर्ट में कहा गया कि बच्ची को मलेरिया था. बाद में राशन डीलर पर कार्रवाई हुई थी.