पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग की

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के वक्त जब जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारी भरकम धनराशि की जरूरत है तब यह गैर-जिम्मेदाराना कदम उठाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के वक्त जब जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारी भरकम धनराशि की जरूरत है तब यह गैर-जिम्मेदाराना कदम उठाया जा रहा है.

A bird’s eye view of Rajpath, during the 66th Republic Day Parade 2015, in New Delhi on January 26, 2015.
प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: देश के 60 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर केंद्र की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चिंता व्यक्त की है.

उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए भारी भरकम धनराशि की जरूरत है तब यह कदम ‘गैर-जिम्मेदारी’ भरा है.

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. पत्र को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी को भी संबोधित किया गया है.

पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि संसद में इस पर कोई बहस अथवा चर्चा नहीं हुई. पत्र में कहा गया है कि कंपनी का चयन और इसकी प्रक्रियाओं ने बहुत सारे प्रश्न खड़े किए हैं जिनका उत्तर नहीं मिला है.

पत्र में कहा गया, ‘कोविड-19 से उबरने के बाद जब सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए, लोगों को भरण-पोषण प्रदान करने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए एक बड़ी धनराशि की आवश्यकता है, तो ऐसे वक्त में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरे सेंट्रल विस्टा को नया स्वरूप देने का प्रस्ताव गैर-जिम्मेदाराना प्रतीत होता है.’

पत्र में आगे कहा गया, ‘यह ऐसा ही है जैसे- जब रोम जल रहा था तो नीरो बंसी बजा रहा था.’

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी शामिल हैं. डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष वीएस ऐलावाड़ी और प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार भी इनमें शामिल हैं.

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में नए संसद भवन का निर्माण, एक साझा केंद्रीय सचिवालय का निर्माण और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक लगभग 3.5 किलोमीटर लंबे मार्ग के पुनर्निर्माण की परिकल्पना है.

पूर्व सिविल सेवकों ने कहा कि पुनर्विकास की योजना पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी. उन्होंने कहा कि तहखानों के साथ बड़ी संख्या में बहुमंजिला कार्यालय भवनों का निर्माण, इस खुले क्षेत्र में भीड़भाड़ पैदा करेगा और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा.

पत्र में आगे कहा गया है कि दिल्ली पहले से ही बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त है. ऐसे में कुछ ऐसा करने की योजना जो प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देगी, बिना सोचा समझा और गैरजिम्मेदाराना कृत्य है.

पूर्व नौकरशाहों ने यह भी कहा कि सेंट्रल विस्टा वर्तमान में पूरे शहर के लिए एक मनोरंजक स्थान है और इस क्षेत्र में परिवार गर्मियों में रात में घूमते हैं और खुली हवा में बैठते हैं लेकिन विस्टा में बदलाव से वे इससे वंचित रह जाएंगे.

मालूम हो कि पिछले महीने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय की विशेष मूल्यांकन समिति (ईएसी) ने मौजूदा संसद भवन के विस्तार और नवीकरण को मंजूरी देने की सिफारिश की.

भवन और नवीकरण में शामिल कुल क्षेत्र 21.25 एकड़ है, जिसमें 1,09,940 वर्ग मीटर का निर्मित क्षेत्र है और इसमें 233 पेड़ों के प्रत्यारोपण की आवश्यकता होगी.

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी लुटियंस दिल्ली में नया संसद और केंद्र के अन्य सरकारी ऑफिसों के निर्माण के लिए लाए गए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से मना कर दिया था.

(पूर्व नौकरशाहों का पूरा पत्र पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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