नए क्वारंटीन नियमों के विरोध में उतरे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी, काला रिबन बांधकर किया काम

बीते दिनों केंद्र सरकार ने कोविड-19 संबंधी ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के क्वारंटीन नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि उन्हें तब तक क्वारंटीन में भेजने की ज़रूरत नहीं है, जब तक उन्हें या तो बहुत अधिक ख़तरा न हो या वायरस संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हों. दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा इसका विरोध किया गया है.

फोटो: फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के ट्विटर @FordaIndia से

बीते दिनों केंद्र सरकार ने कोविड-19 संबंधी ड्यूटी कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के क्वारंटीन नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि उन्हें तब तक क्वारंटीन में भेजने की ज़रूरत नहीं है, जब तक उन्हें या तो बहुत अधिक ख़तरा न हो या वायरस संक्रमण के लक्षण नज़र आ रहे हों. दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा इसका विरोध किया गया है.

फोटो: फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के ट्विटर @FordaIndia से
(फोटो साभार: फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन/ ट्विटर)

नई दिल्ली: स्वास्थ्यकर्मियों को क्वारंटीन संबंधी नियमों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलावों का विरोध करते हुए केंद्र व शहर के विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टर और स्टाफकर्मी शुक्रवार को हाथ पर काली पट्टी बांध कर काम पर पहुंचे.

शुक्रवार को दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज-अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल, राममनोहर लोहिया अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और लोक नायक अस्पताल के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर ड्यूटी की.

बीते दिनों सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों के क्वारंटीन नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि कोविड-19 ड्यूटी के बाद उन्हें तब तक क्वारंटीन में भेजने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि उन्हें या तो बहुत ज्यादा खतरा हो या फिर उनमें वायरस संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हों.

सरकार द्वारा उक्त दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बाद पिछले कुछ दिन में कई अस्पतालों ने क्वारंटीन में विभिन्न होटलों में रह रहे अपने कर्मचारियों से वह जगह खाली करने को कहा है और ऐसा नहीं करने की स्थिति में तय तिथि के बाद से वहां रुकने पर आया खर्च कर्मचारी के वेतन से काट लिया जाएगा.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 15 मई को जारी दिशानिर्देश के अनुसार, कोविड-19 ड्यूटी पर लगे स्वास्थ्यकर्मियों को क्वारंटीन में तभी भेजा जाएगा जब उनके पीपीई के साथ कुछ गड़बड़ी हो गई हो, या फिर वे अत्यधिक खतरे की जद में आ गए हों या फिर उनमें कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हों.

लेकिन, कोविड-19 ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों ने इस नए दिशा-निर्देश का विरोध किया है. फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) ने कोविड-19 ड्यूटी पर तैनात सभी स्वास्थ्यकर्मियों की जांच और उनके लिए उचित क्वारंटीन की मांग करते हुए काला रिबन बांध कर प्रदर्शन करने को कहा है.

एफओआरडीए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर दिशानिर्देश में बदलाव करने की मांग करते हुए कहा है कि वायरस का इंक्यूबेशन समय वायरस के संपर्क में आने के बाद दो से 14 दिन का है और कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें डॉक्टर दूसरी या उसके बाद की गई जांचों में कोरोना वायरस से संक्रमित मिले हैं.

एफओआरडीए के अध्यक्ष डॉक्टर शिवाजी देव बर्मन ने कहा, ‘मौजूदा हालात में सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जरूरी है कि कोविड-19 ड्यूटी के बाद सभी डॉक्टरों की जांच की जाए और उन्हें कम से कम सात दिन के लिए क्वारंटीन में रखा जाए.’

उन्होंने कहा, ‘अभी तक प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज ने गुरुवार को कोविड-19 ड्यूटी अवधि के दौरान होटल सुविधाओं को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था.

उसमें कहा गया है कि स्वास्थ्यकर्मियों को प्रदान की गई होटल सुविधाओं को वापस लिया जा रहा है और सभी को होटल खाली करने का निर्देश दिया गया. कहा गया कि अगर कोई कर्मचारी अपने कमरे खाली नहीं करता है तो होटल का किराया उनके वेतन से काटा जाएगा.

साथ ही इसमें कहा गया है कि हेल्थकेयर वर्कर्स से जुड़े निर्देशों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जो वर्तमान में कोविड-19 सुविधाओं के साथ काम कर रहे हैं. इसी प्रकार राममोहन लोहिया अस्पताल (आरएमएल) ने भी एक परिपत्र जारी किया गया था.

सूत्रों ने बताया कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के अधिकारियों ने एक आदेश जारी कर सभी स्वास्थ्यकर्मियों को होटल खाली करने और उन्हें दी जाने वाली अन्य ठहरने की सुविधा के बारे में बताया है.

सूत्रों ने कहा, ‘मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अस्पताल के अधिकारियों से निवदेन किया कि इस आदेश का अनुपालन करने में दिक्कतें हैं क्योंकि अगर स्वास्थ्य कर्मचारी 14 दिन की अवधि से पहले क्वारंटीन से निकलते हैं तो वो उनके परिवारों में कोरोना संक्रमण फैला सकते हैं.’

आरएमएल अस्पताल के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. एकता यादव ने कहा, ‘सरकार कह रही है कि उनके पास कोई फंड नहीं है. हमने पांच सितारा होटल में रहने की मांग नहीं की है. हमने केवल स्वच्छता और स्वच्छ जगह की मांग की है. कोरोना ड्यूटी के बाद तुरंत घर जाना जोखिम भरा है, क्योंकि यह वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड होता है. किसी तरह का लक्षण नहीं होने के बावजूद हमारा टेस्ट पॉजिटिव हो सकता है. इससे हमारे परिवार के लोग खतरे में पड़ सकते हैं.’

एलएनजेपी अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि उत्तर-पश्चिम जिले की मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी ने क्वारंटीन में रह रहे स्वास्थ्य डॉक्टरों को होटल पिकाडिली, होटल कोजी इन और तेरापंथ भवन में अपने कमरे खाली करने का आदेश दिया है. उन्हें अपने कॉलेजों में वापस जाने का आदेश दिया गया है.

पहले यह नियम था कि कोविड-19 चिकित्सा सेवाओं में लगे सभी स्वास्थ्यकर्मियों को 14 दिनों तक काम करना पड़ता था और फिर उसके बाद उन्हें दो सप्ताह तक क्वारंटीन में रखा जाता था ताकि वे किसी और को संक्रमण न फैला सकें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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