हर रात क़रीब 3,000 मज़दूर रबर ट्यूब के सहारे यमुना पारकर हरियाणा से यूपी आ रहे: पुलिस

सहारनपुर के डिविज़नल कमिश्नर ने कहा कि लोग जिस रबर ट्यूब का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे पहले से ही ख़राब हालत में है और कभी भी फट सकते हैं. इससे नदी को पार करने का जोख़िम उठाने वालों की ज़िंदगी ख़तरे में पड़ सकती है.

(फोटो साभार: विकिपीडिया)

सहारनपुर के डिविज़नल कमिश्नर ने कहा कि लोग जिस रबर ट्यूब का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे पहले से ही ख़राब हालत में है और कभी भी फट सकते हैं. इससे नदी को पार करने का जोख़िम उठाने वालों की ज़िंदगी ख़तरे में पड़ सकती है.

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मेरठ: देशव्यापी लॉकडाउन के बीच अपने घरों को पहुंचने के लिए प्रवासियों का संघर्ष खत्म नहीं हो रहा है. हरियाणा से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर पहुंचने के प्रयास में तकरीबन तीन हजार प्रवासी हर रात रबर ट्यूब के सहारे यमुना को पार कर रहे हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पिछले कुछ दिनों हर रोज बच्चों और महिलाओं के साथ प्रवासी रबर ट्यूब के सहारे यमुना को पार कर रहे हैं.

डिविजनल कमिश्नर (सहारनपुर) संजय कुमार ने कहा कि खुद के लिए और अपने परिवार के लिए खतरा उठाते हुए तीन हजार के करीब लोग हर रात इस तरह जा रहे हैं. वे जिस रबर ट्यूब का इस्तेमाल कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि मजदूर इस ट्यूब को 200 से 300 रुपये में खरीद रहे हैं, जो कि पहले से ही खराब हालत में है और कभी भी फट सकते हैं. इससे नदी को पार करने का जोखिम उठाने वालों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है.

एक मजदूर ने कहा कि उनका लक्ष्य घर पहुंचना है चाहे इस तरह जाएं चाहे दूसरी तरह. अगर सरकार उनकी मदद करती तो अच्छा होता लेकिन जब उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है तब उनके पास इस असुरक्षित रास्ते को अपनाने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता है.

हाल ही में सहारनपुर पुलिस ने तीन ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया था जो कथित तौर पर पैसे लेकर प्रवासियों को नदी पार करवा रहे थे.

सहारनपुर के एसएसपी दिनेश कुमार पी. ने कहा, ‘हमारे पास सख्त निर्देश हैं कि केवल उन्हीं श्रमिकों को प्रवेश की अनुमति दी जाए जो हरियाणा सरकार द्वारा चिकित्सकीय रूप से जांचे गए हैं, लेकिन उनमें से हजारों ऐसे हैं जो अनिवार्य प्रक्रिया से नहीं गुजरे हैं और हर तरह के प्रयास कर रहे हैं, भले ही यह जानलेवा हो.’

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग उन्हें 200-300 रुपये में रबर की ट्यूब उपलब्ध करा रहे हैं. यह खतरनाक है क्योंकि नदी का जल स्तर उतार-चढ़ाव भरा रहता है और आदमी के लिए इतनी लंबी जल सीमा पार करना बहुत मुश्किल है.’

दिनेश कुमार ने आगे कहा कि प्रवासी बड़ी संख्या में आ रहे हैं और यह संख्या प्रतिदिन के हिसाब से 12000-15000 से अधिक है. जहां कुछ बसों और ट्रेन के माध्यम से आधिकारिक तरीके से आ रहे हैं तो वहीं अन्य नदी पार करने जैसा कठिन रास्ता अपना रहे हैं.

अधिकारियों ने अब उन रास्तों की पहचान कर ली है जहां से वे नदी पार करने के बाद जा रहे हैं. वहां अधिकारियों को संक्रमण स्क्रीनिंग के लिए तैनात कर दिया गया है और उन्हें अनिवार्य क्वारंटीन में रखा जा रहा है.