मुफ्त जमीन लेने वाले निजी अस्पताल कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज क्यों नहीं कर सकते: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ऐसे अस्पतालों की पहचान करने को कहा है, जहां कोविड-19 मरीजों का इलाज नि:शुल्क या बेहद कम लागत में किया जा सकता है. अदालत ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ऐसे अस्पतालों की पहचान करने को कहा है, जहां कोविड-19 मरीजों का इलाज नि:शुल्क या बेहद कम लागत में किया जा सकता है. अदालत ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा कि जिन निजी अस्पतालों को नि:शुल्क जमीनें मिली हुई हैं, वे अस्पताल कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज क्यों नहीं कर सकते?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ऐसे अस्पतालों की पहचान करने को कहा है, जहां कोविड-19 मरीजों का इलाज नि:शुल्क या बेहद कम लागत में किया जा सकता है.

अदालत ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि निजी अस्पतालों के लिए सरकार मुफ्त में जमीन मुहैया कराती है या फिर बहुत मामूली चार्ज लेती है. ऐसे में इन अस्पतालों को इस महामारी के वक्त संक्रमितों का मुफ्त इलाज करना चाहिए.

अदालत ने केंद्र से पूछा कि क्या निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर कोई दिक्कत है.

दरअसल अदालत में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि कोरोना वायरस के मरीजों के लिए नि:शुल्क या मामूली फीस में इलाज के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाए.

याचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया है कि निजी अस्पताल कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 10 से 12 लाख रुपये चार्ज कर रहे हैं जबकि इस इलाज में कोई सर्जरी भी नहीं हो रही है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश में फंसे प्रवासी मजदूरों के हालात पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को उनके लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे.

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कामगारों की परेशानियों का संज्ञान लेते हुए केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से 28 मई तक जवाब मांगा है.

इन सभी को न्यायालय को बताना है कि इस स्थिति पर काबू पाने के लिए उन्होंने अभी तक क्या कदम उठाए हैं.