छत्तीसगढ़: क्वारंटीन सेंटर्स में बीते 48 घंटों में तीन बच्चियों और एक महिला की मौत

राज्य के तीन अलग-अलग क्वारंटीन सेंटर्स में रह रहे प्रवासी श्रमिकों की दो साल से भी कम उम्र की तीन बच्चियों की मौत हो गई है. अधिकारियों का कहना है कि दो बच्चियों की मौत खाते समय दम घुटने से हुई और एक कई दिन से बीमार थी.

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Migrant workers and their families rest inside a shelter managed by Indian Red Cross Society volunteers, during a nationwide lockdown to slow the spreading of the coronavirus disease (COVID-19), in Faridabad, India, April 14, 2020. REUTERS/Danish Siddiqui

राज्य के तीन अलग-अलग क्वारंटीन सेंटर्स में रह रहे प्रवासी श्रमिकों की दो साल से भी कम उम्र की तीन बच्चियों की मौत हो गई है. अधिकारियों का कहना है कि दो बच्चियों की मौत खाते समय दम घुटने से हुई और एक कई दिन से बीमार थी.

Migrant workers and their families rest inside a shelter managed by Indian Red Cross Society volunteers, during a nationwide lockdown to slow the spreading of the coronavirus disease (COVID-19), in Faridabad, India, April 14, 2020. REUTERS/Danish Siddiqui
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

छत्तीसगढ़ में तीन अलग-अलग क्वारंटीन सेंटर्स पर बीते 48 घंटों में दो नवजात समेत तीन बच्चियों की मौत के मामले सामने आए हैं. अधिकारियों के अनुसार दो की मौत खाना खिलाते समय दम घुटने से हुई है, वहीं एक बच्ची कई दिनों से बीमार थी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, चार महीने की एक बच्ची की मौत गुरुवार को हुई है और उसकी कोविड टेस्ट की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है. इससे पहले बुधवार को डेढ़ साल की एक बच्ची और तीन महीने की एक बच्ची की जान गई थी. सूत्रों के अनुसार वे ‘बेहद कुपोषित’ थी.

ये तीनों ही दूसरे राज्यों से वापस आए और क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूरों की बेटियां थीं. अधिकारियों ने इन मौतों के लिए गर्मी और जरूरत से ज्यादा भरे क्वारंटीन सेंटरों को जिम्मेदार बताया है.

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा है कि अगर इन सेंटर्स पर कोई गड़बड़ी पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी जोड़ा कि बड़ी संख्या में बाहर से लौट रहे श्रमिकों के चलते व्यवस्था पर आवश्यकता से अधिक दबाव है.

गुरुवार को बालोद जिले में चार महीने की जिस बच्ची की मौत हुई है, वह टेंगा के रहने वाले युवराज निषाद की बेटी थी. वे 14 मई को अपनी पत्नी तीन साल के बेटे और चार महीने की बेटी के साथ महाराष्ट्र के चंद्रपुर से लौटे थे.

युवराज के बड़े भाई योगेश्वर निषाद ने बताया, ‘बच्ची बीमार थी, स्थानीय स्वास्थ्यकर्मी उसे देख रहे थे. 26 मई को उन्होंने घर वालों से कहा कि उसे अस्पताल ले जाएं. 27 मई को उसे अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां उसे पूरे दिन किसी ने नहीं देखा. मेरे भाई ने अब बताया कि बच्ची नहीं रही.’

स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि बच्ची के माता-पिता ने उसका शव देने से इनकार कर दिया था, पुलिस से अंतिम संस्कार के लिए इसे वापस मिलने के आश्वासन पर वे तैयार हुए.

जिले  के एक अधिकारी ने बताया, ‘यह परिवार महाराष्ट्र से एक ट्रक में आया था. हमने बच्ची के सैंपल लेकर 25 मई को टेस्ट के लिए भेज दिए थे, लेकिन रिपोर्ट अभी नहीं आई है.’

बुधवार को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के एक क्वारंटीन सेंटर पर डेढ़ साल की बच्ची की मौत हुई थी. परिवार के साथ भोपाल से आई यह बच्ची सेंटर में तीन दिन पहले पहुंची थी. अधिकारियों का कहना है कि दूध पिलाते समय गले में फंसने से दम घुटने से उसकी जान गई है.

एक अधिकारी ने बताया, ‘बच्ची का पिता एक 22 वर्षीय प्रवासी श्रमिक है, जो करीब हफ्ते भर पहले सेंटर में आये थे, फिर चले गए. जब गांव वालों को पता लगा तब उन्होंने दोबारा उन्हें यहां भेजा.’

इसी दिन कबीरधाम जिले के बांधाटोला गांव के क्वारंटीन सेंटर में एक तीन महीने की बच्ची की मौत हो गई. अधिकारियों ने बताया कि बच्ची का परिवार 11 मई को नागपुर से लौटा था, जिसके बाद पूरे परिवार को 30 और लोगों के साथ गांव के स्कूल में क्वारंटीन किया गया था.

सूत्रों के मुताबिक यह बच्ची ‘बेहद कुपोषित’ थी और उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जिसके बाद दूध पिलाते समय दम घुटने से उसकी मौत हो गई.

इन बच्चियों के अलावा क्वारंटीन सेंटर में गरियाबंद जिले में गर्भवती महिला की मौत हो गई है. अधिकारियों ने बताया कि गरियाबंद जिले के धरनीगोड़ा गांव के क्वारंटीन सेंटर में भगवती यादव (27) की मौत हो गई है.

वे प्रवासी मजदूर थीं और इस महीने की 14 तारीख को अपने माता-पिता के साथ तेलंगाना से अपने गांव पहुंची थी. तब से वे सभी इसी सेंटर में रह रहे थे.

अधिकारियों ने बताया कि भगवती की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें रायपुर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से 21 मई को उन्हें इस सेंटर में लाया गया.

उन्होंने बताया कि भगवती को देखरेख में रखा गया था लेकिन गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई. शव को पोस्टमार्टम के लिए मैनपुर भेज दिया गया है और रिपोर्ट का इंतजार है.

14 मई से राज्य के क्वारंटीन सेंटरों में कम से कम 10 मौतें हो चुकी हैं, जिनमें एक बिजली का करंट लगने, दो सांप के काटने और तीन बीमारियों के चलते हुई हैं. दो लोगों ने आत्महत्या की थी.

इन सेंटर्स की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर है. एक स्वास्थ्यकर्मी ने बताया,’हर गांव में सरकरी इमारत को क्वारंटीन सेंटर के जैसे इस्तेमाल किया जा रहा है. ये पूरी तरह भरी हुई हैं और गर्मी बेहद बढ़ चुकी है. इससे डिहाइड्रेशन और संबंधी मुश्किलें हो सकती हैं.

हालांकि इस बीच कार्यकर्ता सरकारी व्यवस्थाओं, खाने-पीने के समुचित इंतजाम पर भी सवाल उठा रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा, ‘प्रवासियों के आने-जाने के नियमितीकरण की जरूरत है. हर व्यवस्था की अपनी सीमाएं हैं. इस समय हमारे पास टेस्टिंग के लिए लंबा बैकलॉग है क्योंकि पर्याप्त लैब ही नहीं हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम नई लैब स्थापित कर रहे हैं, लेकिन इसमें कुछ हफ़्तों का समय लगेगा. हम क्वारंटीन सेंटर्स में रह रहे लोगों को सभी सुविधाएं देने की कोशिश कर रहे हैं. अभी का मौसम देखते हुए पानी और ओआरएस के पैकेट भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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