कोरोना वायरस महामारी 2020 के अंत तक 8.6 करोड़ बच्चों को ग़रीबी में धकेल सकती है: रिपोर्ट

यूनिसेफ और मानवतावादी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि यदि महामारी के कारण होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से परिवारों को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो कम और मध्यम आय वाले देशों में ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले बच्चों की कुल संख्या वर्ष के अंत तक 67.2 करोड़ तक पहुंच सकती है.

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मई 2020 में स्पेशल ट्रेन से इलाहाबाद पहुंचने के बाद घर जाने के लिए साधन के इंतजार में प्रवासी मजदूरों के परिवार. (फोटो: पीटीआई)

यूनिसेफ और मानवतावादी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि यदि महामारी के कारण होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से परिवारों को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो कम और मध्यम आय वाले देशों में ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले बच्चों की कुल संख्या वर्ष के अंत तक 67.2 करोड़ तक पहुंच सकती है.

Prayagraj: Migrants wait to board buses to reach their native places after arriving via special train, during the ongoing COVID-19 lockdown, in Prayagraj, Tuesday, May 26, 2020. (PTI Photo) (PTI26-05-2020 000040B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

संयुक्त राष्ट्र: कोरोना वायरस महामारी से पैदा हुए आर्थिक संकट के कारण 2020 के अंत तक कम और मध्यम आय वाले देशों में गरीब घरों में रहने वाले बच्चों की संख्या 8.6 करोड़ तक बढ़ सकती है.

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार इस वायरस से पूरी दुनिया में 5,837,541 लोग संक्रमित हुए हैं जबकि 360,919 लोगों की मौत हो चुकी है. यूनिसेफ और मानवतावादी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी 2020 के अंत तक 8.6 करोड़ और बच्चों को पारिवारिक गरीबी में धकेल सकती है.

विश्लेषण में कहा गया है कि यदि महामारी के कारण होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से परिवारों को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो कम और मध्यम आय वाले देशों में राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले बच्चों की कुल संख्या वर्ष के अंत तक 67.2 करोड़ तक पहुंच सकती है.

विश्लेषण में कहा गया है कि इनमें से लगभग दो-तिहाई बच्चे उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में रहते हैं. सबसे अधिक 44 प्रतिशत वृद्धि यूरोप और मध्य एशिया के देशों में देखी जा सकती है. लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों में 22 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा सकती है.

यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनेरिटा फोर ने कहा, ‘कोरोनो वायरस महामारी ने एक अभूतपूर्व सामाजिक-आर्थिक संकट पैदा कर दिया है, जो दुनिया भर के परिवारों के लिए संसाधनों को कम कर रहा है. परिवारों की वित्तीय कठिनाइयां आवश्यक सेवाओं से वंचित बच्चों को गंभीर गरीबी की ओर धकेल रहा है.’

सेव द चिल्ड्रन एंड यूनिसेफ ने चेतावनी दी है कि महामारी और संबंधित नियंत्रण नीतियों के कारण होने वाले वैश्विक आर्थिक संकट का प्रभाव दोगुना है. तुरंत आय के नुकसान का मतलब है कि गरीब परिवारों को भोजन और पानी सहित बुनियादी जरूरतों को वहन करने में सक्षम न होना हैं.

इससे इन परिवारों का स्वास्थ्य देखभाल या शिक्षा तक पहुंचने की संभावना कम है और बाल विवाह, हिंसा, शोषण और दुरुपयोग का खतरा अधिक है.

रिपोर्ट में कहा गया कि महामारी से पहले भी दुनिया भर में दो-तिहाई बच्चों के पास किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच नहीं थी, जिससे परिवारों के लिए वित्तीय संकट को झेलना असंभव हो जाता था.

कोरोना महामारी सबसे गरीब परिवारों को सामाजिक देखभाल सेवाओं या प्रतिपूरक उपायों तक पहुंच की कमी के कारण रोकथाम और शारीरिक दूरी बनाए रखने के उपायों की उनकी क्षमता को सीमित कर देती है. इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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