एंटी-रोमियो स्क्वॉड वाले लखनऊ में बलात्कार पीड़ित महिला पर पांचवीं बार तेज़ाब हमला

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली इस पीड़ित महिला के साथ इससे पहले तीन बार बलात्कार हुआ है और चार बार चेहरे पर तेज़ाब फेंका जा चुका है.

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मार्च में ट्रेन में तेज़ाब पिलाने की घटना के बाद लखनऊ के अस्पताल में भर्ती पीड़िता (फोटो साभार : भास्कर डॉट कॉम)

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने वाली इस पीड़ित महिला के साथ इससे पहले तीन बार बलात्कार हुआ है और चार बार चेहरे पर तेज़ाब फेंका जा चुका है.

मार्च में ट्रेन में तेज़ाब पिलाने की घटना के बाद लखनऊ के अस्पताल में भर्ती पीड़िता (फोटो साभार : भास्कर डॉट कॉम)
मार्च में ट्रेन में तेज़ाब पिलाने की घटना के बाद लखनऊ के अस्पताल में भर्ती पीड़िता (फोटो साभार : भास्कर डॉट कॉम)

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का अलीगंज इलाक़ा. तीन बार बलात्कार और चार बार तेज़ाब हमले की पीड़ित महिला नीतू (परिवर्तित नाम) पर फिर से तेज़ाब फेंक दिया जाता है. महिला की सुरक्षा में दो गनर भी तैनात किए हैं, जिनको इस हमले की भनक तक नहीं लगती है. बदमाश तेज़ाब फेंककर भाग निकलते हैं.

नीतू के साथ आठ साल पहले बलात्कार हुआ था. उस अन्याय के ख़िलाफ़ इंसाफ़ की लड़ाई लड़ रही नीतू पर बार बार मुक़दमा वापस लेने का दबाव बनाया जाता रहा है. वे पीछे नहीं हट रही हैं और राजधानी में बेख़ौफ़ बदमाश अपनी क्रूर हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. ऐसा लगता है कि महिला सुरक्षा में लगे एंटी-रोमियो स्क्वॉड वाले प्रशासन ने भी बदमाशों के सामने हथियार डाल दिए हैं.

बीते 23 मार्च को इसी महिला को ट्रेन में तेज़ाब पिला दिया गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ युवती से मिलने गए थे. उन्होंने महिला को एक लाख रुपये की सहायत दी थी, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया था, न्याय का भरोसा दिलाया था और बेहतर इलाज का आदेश दिया था.

राज्य की परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी भी पीड़िता से मिलने पहुंची थीं. एक बलात्कार और तेज़ाब हमला पीड़ित, जिसके बारे में सबकुछ मुख्यमंत्री और प्रशासन के संज्ञान में है, उस पर हमला करने वाले लोग क्या सरकार से ज़्यादा ताक़तवर हैं?

फ़िलहाल लखनऊ ट्रॉमा सेंटर में महिला का इलाज चल रहा है. डॉक्टरों ने बताया कि तेज़ाब से उसके चेहरे और गले का एक तरफ़ का हिस्सा जल गया है. घटना के बाद एडीजी जोन व आईजी रेंज समेत वरिष्ठ अफसरों ने ट्रॉमा सेंटर पहुंचकर जायज़ा लिया. हमलावर बदमाशों की तलाश शुरू कर दी गई है.

ऊंचाहार के एक गांव की रहने वाली 35 वर्षीय इस महिला के साथ 2008 में एक पारिवारिक विवाद के बाद गांव के कुछ लोगों ने बलात्कार किया था. बाद में उस पर तेज़ाब भी फेंका गया. तीन महीने पहले 23 मार्च को गंगा गोमती एक्सप्रेस से ऊंचाहार लखनऊ आते समय महिला को ट्रेन में कुछ लोगों ने ज़बर्दस्ती तेज़ाब पिला दिया था. नीतू की शिकायत पर तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, जो फ़िलहाल ज़मानत पर हैं.

नीतू लखनऊ में एसिड अटैक पीड़िताओं द्वारा चलाए जा रहे एक कैफ़े में काम करती हैं. जनवरी में कैफ़े में नीतू के नाम धमकी भरा ख़त आया था जिसमें कैफ़े प्रबंधन को संबोधित करते हुए लिखा था कि ‘या तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाए, नहीं तो उससे मुक़दमा वापस लेने के लिए कहा जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो उसके शरीर में ख़ून नहीं तेज़ाब दौड़ेगा.’

उस हमले के बाद पीड़िता ने बताया था, ‘2008 में अपने बेटे के साथ टीवी देख रही थी. थोड़ी देरी बाद गांव का एक लड़का भोनू सिंह भी घर टीवी देखने आया. इस दौरान भोनू ने छेड़खानी करने की कोशिश की तो मैंने उसे लात मार दी. इस घटना के एक महीने बाद भोनू सिंह के परिवार के लोगों ने मेरे साथ बलात्कार किया. फिर 2011 में उन लोगों ने मुझ पर तेज़ाब डाल दिया. ऐसा मेरे साथ उन्होंने कई बार किया.’

शनिवार की शाम को इस महिला पर अलीगंज इलाक़े में फिर से कुछ बदमाश तेज़ाब फेंक कर भाग गए. एडीजी जोन अभय कुमार प्रसाद ने अमर उजाला अख़बार को बताया कि ‘अलीगंज के एक हॉस्टल में रह रही महिला शनिवार शाम 7:45 बजे हैंडपंप से पानी भरने गई थी. वहां अज्ञात व्यक्तियों ने उसके चेहरे पर तेज़ाब फेंका और फरार हो गए.

महिला फ़िलहाल अस्पताल में भर्ती है और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है. समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, ‘अभी इस मामले में कोई मुक़दमा दर्ज नहीं किया गया है और पुलिस तहरीर का इंतज़ार कर रही है.’

ट्रेन में तेज़ाब पिलाने की घटना के बाद युवती गंगा गोमती एक्सप्रेस से चारबाग स्टेशन पहुंची थी और रेलवे पुलिस को ख़ुद को तेजाब पिलाए जाने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. उसने यह शिकायत लिखकर दी थी क्योंकि उसका कहना था कि तेज़ाब पिलाए जाने की वजह से वह बोल नहीं पा रही थी.’

इस युवती पर 2012 में चाकू से हमला किया गया और 2013 में भी उसे तेज़ाब से जलाने की कथित कोशिश की गई थी.

कैफ़े में धमकी भरा पत्र आने के बाद महिला ने बयान दिया था कि ‘अगर मेरे बच्चे नहीं होते तो मैं आत्महत्या कर लेती. मैं अपने बच्चों के लिए ही ज़लालत की ज़िंदगी जी रही हूं. मेरे जिस्म को नोचा, जलाया और काटा गया. मैं 2008 से मर-मर के जी रही हूं.’

यह पत्र आने के बाद पुलिस और जिलाधिकारी को सूचित किया गया था, जिन्होंने सुरक्षा मुहैया करवाने का वादा किया था. इसके बावजूद 23 मार्च को ऊंचाहार से अपने बच्चों से मिलकर लौट रही महिला को मोहनलालगंज पर ट्रेन में चढ़कर अज्ञात लोगों ने तेज़ाब पिला दिया. वे आधी बेहोशी की हालत में जैसे-तैसे चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंचीं. वहां प्लेटफार्म पर बेसुध पड़ी नीतू को एक महिला दरोगा ने अस्पताल पहुंचाया था. जीआरपी के एक इंस्पेक्टर के अनुसार आरोपियों ने पहले इस महिला के साथ मारपीट भी की थी.

एक बलात्कार और तेज़ाब हमला पीड़ित महिला के साथ बार बार वैसे ही हमले का दोहराया जाना क़ानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है. यह तब है जब उत्तर प्रदेश में नई सरकार आने के तुरंत महिला सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन हुआ था और सरकार का कहना था कि वह महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी. लेकिन आठ साल से बार-बार  क्रूरता का शिकार हो रही एक महिला की हालत जस की तस है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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