कोविड-19: आरटीआई कार्यकर्ता ने उपकरणों पर हुए ख़र्च का ब्योरा मांगा, स्वास्थ्य मंत्रालय का इनकार

मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्र सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन देकर कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उठाए गए क़दमों, ख़रीदे गए उपकरणों एवं सामग्रियों के नाम तथा उन पर किए गए ख़र्च का ब्योरा मांगा था.

(फोटोः पीटीआई)

मुंबई के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने केंद्र सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन देकर कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उठाए गए क़दमों, ख़रीदे गए उपकरणों एवं सामग्रियों के नाम तथा उन पर किए गए ख़र्च का ब्योरा मांगा था.

(फोटोः पीटीआई)
(फोटोः पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए उपकरणों की खरीद पर किए गए खर्च का ब्योरा देने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसे आंकड़े सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दी जाने वाली ‘सूचना’ के दायरे में नहीं आते हैं.

मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने केंद्र सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन देकर कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों, खरीदे गए उपकरणों एवं सामग्रियों के नाम तथा उन पर किए गए खर्च का ब्योरा मांगा था.

यह आवेदन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को सौंपा गया.

आरटीआई आवेदन के 22 दिन बाद गलगली को जवाब मिला, जिसमें कहा गया था कि सीपीआईओ मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड से जुड़े मामलों को देखते हैं.

जवाब में कहा गया है, ‘केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी को ऐसी सूचना देने की जरूरत नहीं है जिसमें दखल देने और/या संकल्पना बनाने या आवेदक द्वारा उठाई गई समस्या का समाधान करने या काल्पनिक प्रश्नों का जवाब देने की जरूरत पड़ती हो. मांगी गई सूचना आरटीआई कानून, 2005 की धारा 2 (एफ) के तहत सूचना की परिभाषा के दायरे में नहीं आती है. इसलिए सीपीआईओ के पास देने के लिए ऐसी कोई खास सूचना नहीं है.’

आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एफ) के अनुसार, पारदर्शिता कानून के तहत कोई भी नागरिक जो सूचना मांग सकता है, वह रिकार्ड, दस्तावेज, मेमो, ई-मेल, राय, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, अनुबंध, रिपोर्ट, कागजात, नमूने, मॉडल, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में डाटा सामग्री और किसी निजी निकाय से जुड़ी ऐसी सूचना है जिसे कोई सार्वजनिक प्राधिकार कुछ समय के लिए किसी अन्य लागू कानून के तहत प्राप्त कर सकता है.

आरटीआई कानून के अनुसार, यदि सीपीआईओ के पास सूचना नहीं हो तो उन्हें धारा 6 (3) के तहत उसे आवेदन अपने सहयोगी के पास भेजना चाहिए जिससे इस अर्जी के मिलने के पांच दिनों के अंदर सूचना जुटाने की उम्मीद की जाती है.

गलगली ने कहा कि यह सीपीआईओ का ‘गैर पेशेवर’ रवैया है और यदि ऐसा ही था तो उसने सूचना देने से मना करने में 22 दिन क्यों लगाए?

उन्होंने कहा, ‘यह सूचना न केवल आरटीआई के जरिए दी जानी चाहिए बल्कि सभी वित्तीय विवरण को अपनी वेबसाइट पर भी डालना चाहिए ताकि किसी को खर्च जानने के लिए आरटीआई देने की जरूरत ही नहीं पड़े.’

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 4,971 हो गई है और संक्रमण के मामलों की संख्या 173,763 पर पहुंच गई है.

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