महाराष्ट्र: सरकार ने कहा- हर ज़िले में कोरोना जांच लैब खोलना संभव नहीं, कोर्ट ने जताई नाराज़गी

एक मछुआरे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ग़ैर-रेड ज़ोन ज़िलों में कोविड-19 संक्रमण की जांच के लिए विशेष प्रयोगशालाएं स्थापित करने को लेकर सरकार को निर्देश देने की मांग की है. महाराष्ट्र कोराना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

एक मछुआरे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ग़ैर-रेड ज़ोन ज़िलों में कोविड-19 संक्रमण की जांच के लिए विशेष प्रयोगशालाएं स्थापित करने को लेकर सरकार को निर्देश देने की मांग की है. महाराष्ट्र कोराना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

मुंबईः महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा है कि राज्य के हर जिले में कोविड-19 जांच प्रयोगशाला स्थापित करना संभव नहीं है. इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है.

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस केके ताटेड की पीठ को बताया, ‘अभी राज्य में 72 कोरोना जांच केंद्र हैं. शुरुआत में जब महामारी शुरू हुई थी, तब नागपुर, मुंबई और पुणे में सिर्फ तीन जांच केंद्र ही थे.’

अतिरिक्त सरकारी वकील मनीष पाबले ने शुक्रवार को अदालत से कहा, ‘जांच प्रयोगशाला की संख्या अब बढ़कर 72 हो गई है, जिनमें 42 प्रयोगशाला सरकारी अस्पतालों में हैं, जबकि शेष 33 निजी प्रयोगशाला हैं.’

पाबले ने पीठ को बताया कि रत्नागिरि सदर अस्पताल में कोविड-19 संक्रमण की जांच के लिए एक प्रयोगशाला स्थापित की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 मई को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या रत्नागिरि सहित महाराष्ट्र के हर जिले में कोविड-19 टेस्ट इकाइयां हैं? इसके साथ ही यह भी पूछा था कि क्या राज्य में मोबाइल क्लिनिक शुरू किए जा सकते हैं?

इसके बाद शुक्रवार को राज्य सरकार के सहायक याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि सरकार के प्रस्ताव के तहत रत्नागिरि के सिविल अस्पताल में कोविड-19 जांच इकाई शुरू की गई है, जो आठ दिनों के भीतर कामकाज शुरू कर देगी.

अदालत के इस सवाल पर कि क्या राज्य के हर जिले में अलग कोविड-19 जांच लैब शुरू की जा सकती है?

इस पर राज्य के वकील ने कहा, ‘यह देखा जा सकता है कि हर जिले में अलग से लैब की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आईसीएमआर के सुझावों के तहत 250 किलोमीटर के दायरे में तैयार की गई लैब में कोरोना जांच सैंपल भेजने के लिए पर्याप्त समय है, ऐसे में हर जिले में कोरोना जांच लैब की कोई जरूरत नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘इसके साथ ही हर जिले में तकनीकी बुनियादी ढांचा उपलब्ध होने में दिक्कतों की वजह से नए लैब तुरंत तैयार नहीं किए जा सकते.’

राज्य सरकार ने कहा कि उन्होंने 250 किलोमीटर के दायरे में जांच लैब स्थापित करने के इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के दिशानिर्देशों का पालन किया है.

पीठ ने राज्य सरकार के इस जवाब पर नाराजगी जताते हुए महाराष्ट्र के महाअधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी को मौजूद होने को कहा, जिसके बाद कुंभकोनी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत के समक्ष पेश हुए.

उनकी मौजूदगी में पीठ ने कहा कि राज्य सरकार का इस तरह का रवैया स्वीकार्य नहीं है.

पीठ खलील वास्ता नाम के एक मछुआरे की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने गैर-रेड जोन जिलों में कोविड-19 संक्रमण की जांच के लिए विशेष प्रयोगशालाएं स्थापित करने को लेकर सरकार को निर्देश देने की मांग की थी.

मामले पर अगली सुनवाई दो जून को होगी.

मालूम हो कि महाराष्ट्र देश में कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है. देश में अब तक 4,971 लोगों की मौत हुई है, इनमें से तकरीबन आधे यानी 2,098 मौतें अकेले महाराष्ट्र में दर्ज की गई हैं. वहीं संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 173,763 हो गई है, महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 62,228 हो गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)