झारखंडः 13 साल की बच्ची को जबरन पिलाया था एसिड, छह महीने बाद भी कोई गिरफ़्तारी नहीं

यह मामला पिछले साल 19 दिसंबर का है. इसके दो महीने बाद बच्ची अपने साथ घटे हादसे की जानकारी दे पाई थी. आरोप है कि आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची को स्कूल से घर लौटते समय आरोपी ने जबरन एसिड पिला दिया था.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

यह मामला पिछले साल 19 दिसंबर का है. इसके दो महीने बाद बच्ची अपने साथ घटे हादसे की जानकारी दे पाई थी. आरोप है कि आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची को स्कूल से घर लौटते समय आरोपी ने जबरन एसिड पिला दिया था.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

रांचीः झारखंड के हजारीबाग में दिसंबर 2019 में 13 साल की बच्ची को जबरन एसिड पिला दिया गया था, लेकिन छह महीने बाद भी अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल दिसंबर में हजारीबाग जिले में स्कूल से घर लौट रही आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली इस 13 साल की बच्ची को जबरन एसिड पिला दिया गया था.

शुरुआत में बच्ची कुछ बोल ही नहीं पाई लेकिन दो महीने के इलाज के बाद जब बच्ची ने आपबीती बताई तो इचक पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया.

पीड़ित बच्ची के इलाज पर उनका परिवार अब तक 10 लाख रुपये खर्च कर चुका है, लेकिन एफआईआर लिखने के तीन महीने बाद तक भी अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया.

हजारीबाग जिले के इचक पुलिस थाने में फरवरी महीने में आईपीसी की धारा 341, 342, 354, 307, 504 और 506 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.

एफआईआर में कहा गया है कि पीड़िता हजारीबाग में अपने नाना के घर रहती थी और आरोपी उसे लगातार परेशान कर रहा था.

बच्ची के परिवारवालों ने 25 वर्षीय आरोपी के व्यवहार को लेकर उसके परिवार से शिकायत भी की थी. 19 दिसंबर को जब बच्ची स्कूल से घर लौट रही थी तो आरोपी ने जबरन उसे एसिड पिला दिया.

एफआईआर में पीड़िता के हवाले से कहा गया, ‘आरोपी ने एसिड की बोतल खोली और मेरे मुंह में डाल दी. मैं कुछ नहीं बोल पाई. दो महीने बाद मैंने अपने माता-पिता को इसकी जानकारी दी.’

पुलिस ने बाद में स्पष्ट किया कि बच्ची का बयान अभी रिकॉर्ड नहीं किया गया है क्योंकि शिकायत में सिर्फ नाबालिग बच्ची के ही हस्ताक्षर थे और बच्ची का मौखिक बयान नहीं लिया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, हजारीबाग के सदर अस्पताल से पीड़िता को घटना वाले दिन ही रांची स्थित रिम्स के लिए रिफर कर दिया था. डिस्चार्ज स्लिप पर लिखा था कि पीड़िता को एसिड पिलाया गया है.

इसके बाद पीड़िता को रिम्स रांची में रेफर किया गया. हालांकि परिवार का कहना है कि तबियत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए पटना के एम्स आना पड़ा.

हजारीबाग के इचक पुलिस थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर नंदकिशोर दास का कहना है कि उनकी जांच में विरोधाभासी तथ्य सामने आए हैं.

उन्होंने कहा, ‘लोगों ने हमें बताया कि आरोपी रोजाना बच्ची को स्कूल अपनी मोटरसाइकिल से छोड़ता था और यह प्रेस प्रसंग का मामला है. दोनों के बीच किसी तरह की दिक्कत थी और बच्ची ने अपने घर में शौचालय साफ करने वाला एसिड पी लिया था. एफआईआर दर्ज करने में भी देरी की गई. हम आरोपी को गिरफ्तार करने गए थे लेकिन वह कहीं छिपा हुआ है.’

हालांकि इंस्पेक्टर शुरुआत में जांच शुरू करने में देरी के बारे में कुछ बता नहीं पाए.

इस पूरे मामले पर पीड़िता के पिता ने कहा, ‘मेरी बेटी 13 साल की है और यह आधारहीन आरोप हैं कि वह आरोपी से प्यार करती थी. गांव में झूठ फैलाया जा रहा है. यह एसिड अटैक का मामला है.’

पिता ने कहा, ‘पुलिस द्वारा जांच करने की वजह यह है कि मैंने एक विधायक से आर्थिक मदद मांगी थी, जिन्होंने बदले में इस मामले को लेकर ट्वीट किया था और अब रांची जिला प्रशासन हमारी मदद कर रहा है. उनके हस्तक्षेप के बाद मामले को लेकर कुछ हलचल हुई है.’

बच्ची की मेडिकल स्थिति के बारे में पिता ने बताया, बच्ची की तीन सर्जरी हुई हैं. पिछली बार उसे खून की उल्टी हुई थी. मुझे उम्मीद है कि वह ठीक हो जाएगी.