केरलः पटाखों से भरा अनानास खिला देने से गर्भवती हथिनी की मौत, मामला दर्ज

घटना पलक्कड़ के साइलेंट वैली जंगल के बाहरी इलाके की है. बताया जा रहा है कि गांव के कुछ शरारती तत्वों ने भूखी हथिनी को अनानास में पटाखे भरकर खिला दिए, जो उसके मुंह में ही फट गए, जिसके बाद 27 मई को उसकी मौत हो गई. पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है, लेकिन किसी की गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है.

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घटना पलक्कड़ के साइलेंट वैली जंगल के बाहरी इलाके की है. बताया जा रहा है कि गांव के कुछ शरारती तत्वों ने भूखी हथिनी को अनानास में पटाखे भरकर खिला दिए, जो उसके मुंह में ही फट गए, जिसके बाद 27 मई को उसकी मौत हो गई. पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है, लेकिन किसी की गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है.

Kerala Elephant FB
वेलियार नदी में खड़ी हथिनी. (फोटो साभार: फेसबुक/मोहन कृष्णन)

केरल के पलक्कड़ में एक गर्भवती हथिनी को पटाखों से भरा हुआ अनानास खिलाने का मामला सामने आया है. ये घटना साइलेंट वैली जंगलों के बाहरी इलाके की है.

बताया जा रहा है कि ये गर्भवती हथिनी खाने की तलाश में भटकते हुए 25 मई को जंगल के पास के गांव में आ गई थी और कथित तौर पर कुछ शरारती तत्वों ने हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिला दिया.

इसे खाते ही उसके मुंह में विस्फोट हुआ, जिस कारण उसका जबड़ा बुरी तरह से फट गया और दांत भी टूट गए. दर्द से तड़प रही हथिनी को जब कुछ समझ नहीं आया तो वह वेलियार नदी में जा खड़ी हुई.

दर्द को कम करने के लिए वह पानी में खड़ी थी और बार-बार पानी पीती थी. इसके बाद 27 मई को उसकी मौत हो गई.

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और मुख्य वन्यजीव वॉर्डन सुरेंद्र कुमार ने बताया, ‘हथिनी के जबड़े टूट गए थे और वह कुछ भी खा नहीं थी. अनानास के भीतर भरे पटाखे उसके मुंह में ही फट गए. यह माना जा रहा है कि हथिनी को मारने के इरादे से ही उसे अनानास में पटाखे भरकर खिलाए गए.’

सुरेंद्र कुमार ने कहा कि हथिनी की मौत 27 मई को वेलियार नदी में हुई. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम से पता चला है कि वह गर्भवती थी.

उन्होंने कहा कि वन अधिकारियों को अपराधी को पकड़ने के निर्देश दिए गए हैं, दोषी को सजा दी जाएगी.

मालूम हो कि हथिनी की मौत का मामला तब सामना आया, जब वन अधिकारी मोहन कृष्णन ने बीते शनिवार को इस बारे में अपने फेसबुक पेज पर एक भावनात्मक पोस्ट लिखी.

कृष्णन हथिनी को बचाने के लिए मौके पर पहुंचे रैपिड रिस्पॉन्स टीम का हिस्सा थे. मोहन ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘जब मैने उसे देखा, वह नदी में खड़ी हुई थी, उसका सिर पानी में डूबा हुआ था. उसे पता चल गया था कि वह मरने वाली है. उसने खड़े-खड़े ही पानी में जलसमाधि ले ली. ‘

मलयालम में लिखी पोस्ट में मोहन ने आगे लिखा, ‘उसने सभी पर भरोसा किया. उसके मुंह में अनानास के फटने के बाद वह खुद के बारे में नहीं बल्कि अपने पेट में पल रहे बच्चे को लेकर परेशान हुई होगी, जिसे वह अगले 18 से 20 महीने में जन्म देने वाली थी.’

मोहन कृष्णन ने यह भी बताया है कि घायल हथिनी दर्द की वजह से पूरे गांव में घूमती रही लेकिन उसने एक भी घर नहीं कुचला.

इस मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है लेकिन अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा भी हो सकता है कि हथिनी ने वो पटाखे खा लिए हों, जिन्हें इस इलाके में अक्सर जानवरों को भगाने के लिए लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है.

वन विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि मोहन कृष्णन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में यह नहीं कहा था कि हथिनी को जानबूझकर पटाखे भरा अनानास खिलाया गया, बल्कि उन्होंने लोगों द्वारा पटाखों की मदद से जानवरों को भगाने के तरीकों के खतरों के बारे में बताया था.

अधिकारियों ने यह भी बताया कि जब उन्हें हथिनी के उस क्षेत्र में होने की जानकारी मिली थी, तब वे वहां पहुंचे और उसे घायल पाया. डॉक्टर ने उसके जख्म की गंभीरता देखते हुए उसे बेहोश करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उसे नदी से निकाला जाता सकता, उससे पहले हथिनी ने दम तोड़ दिया.

मन्नारकड डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर  केके सुनील कुमार ने बताया, ‘जब उसे पहले बार देखा गया था, तब उसका जख्म कुछ दिन पुराना हो चुका था. इसलिए हम यह पता नहीं लगा पाए हैं कि किस जगह पर उसे यह चोट लगी.’

वन्य अधिकारीयों का यह मानना है कि बहुत संभावना है कि वह जंगली सुअरों को मारने के लिए तैयार किए गए किसी जाल में फंस गई हो.

एक अधिकारी ने बताया, ‘ऐसा सामने आ चुका है कि जंगल के सीमांत इलाकों में लोग सुअर और अन्य जंगली जीवों को मारने के लिए पटाखों और देसी बमों का उपयोग करते हैं. ऐसा हो सकता है कि हथिनी ने गलती से उन्हें खा लिया हो.’

अधिकारियों का कहना है कि चूंकि हाथी एक दिन में सौ किलोमीटर तक चल सकते हैं, वह उस जगह से काफी दूर आ गयी हो, जहां ये घटना हुई. उनका कहना है कि बिना किसी निशानदेही के उस जगह तक पहुंचना मुश्किल है.

इस डिवीज़न के फॉरेस्ट रेंज अफसर शशि कुमार कहते हैं कि इस क्षेत्र में पटाखों से सुअरों या जानवरों को फंसाने की घटनाएं पहले होती थीं, लेकिन जब से ऐसे मामलों को दर्ज करना शुरू किया गया, तबसे इनमें कमी आई है.

(इस ख़बर को अपडेट किया गया है.)