जम्मू कश्मीर: शाह फैसल और पीडीपी के दो नेताओं के ख़िलाफ़ लगा पीएसए हटाया गया

पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के कुछ दिन बाद शाह फैसल को हिरासत में ले लिया गया था.

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शाह फैसल. (फोटो: पीटीआई)

पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के कुछ दिन बाद शाह फैसल को हिरासत में ले लिया गया था.

शाह फैसल. (फोटो: पीटीआई)
शाह फैसल. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर सरकार ने बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी और राजनेता शाह फैसल के साथ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के दो नेताओं सरताज मदनी और पीर मंसूर के खिलाफ लगाया गया जन सुरक्षा कानून (पीएसए) हटा दिया है.

शाह फैसल जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के अध्यक्ष हैं और पिछले साल पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाने के कुछ दिन बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया था.

फैसल को पिछले साल 13 और 14 अगस्त की दरमियानी रात में दिल्ली हवाई अड्डे पर इस्तांबुल के लिए उड़ान भरने से पहले रोक दिया गया था और उन्हें वापस श्रीनगर ले जाकर हिरासत में ले लिया गया था.

इस साल फरवरी में छह महीने की हिरासत खत्म होने के बाद उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है, जो अधिकतम दो साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है. इसके बाद उनकी हिरासत 14 मई तक बढ़ा दी गई थी.

पीएसए के तहत दो प्रावधान हैं- लोक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा को खतरा. पहले प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के छह महीने तक और दूसरे प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है.

35 वर्षीय शाह फैसल ने जनवरी 2019 में आईएएस पद से इस्तीफा देकर जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी का गठन किया था.

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान खत्म करते हुए जम्मू कश्मीर में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित अनेक नेताओं को घरों में ही नजरबंद कर दिया गया था. इसके अलावा तमाम नेताओं को हिरासत में भी ले लिया गया था.

बीते 24 मार्च को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर से पीएसए हटाते हुए रिहा कर दिया गया था. इससे पहले पीएसए के तहत ही हिरासत में रखे गए उमर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला बीते 13 मार्च को रिहा कर दिए गए थे.

हालांकि जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अली मोहम्मद सागर, पीडीपी नेता सरताज मदनी की और पूर्व आईएएस शाह फैसल की नजरबंदी की अवधि जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत तीन महीने बढ़ा दी गई थी. हिरासत में रखे गए अन्य प्रमुख नेताओं में पीडीपी नेता नईम अख्तर, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष सज्जाद लोन शामिल हैं.

बीती 29 मई को पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं जम्मू कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफ़ुद्दीन सोज़ की बीते साल पांच अगस्त से घर में ही नजरबंदी को चुनौती देते हुए उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है.

याचिका में सोज़ की नजरबंदी का आदेश निरस्त करने और उन्हें अदालत में पेश करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है.

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