ग्रामीण स्तर पर क्वारंटीन सेंटर की स्थिति दयनीय, जिला प्रशासन फंड दे: उत्तराखंड हाईकोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे लोगों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है. खाना या तो गांववाले मुहैया करा रहे हैं या फिर यहां रह रहे लोगों के परिजन उन्हें भोजन दे रहे हैं.

उत्तराखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे लोगों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है. खाना या तो गांववाले मुहैया करा रहे हैं या फिर यहां रह रहे लोगों के परिजन उन्हें भोजन दे रहे हैं.

उत्तराखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)
उत्तराखंड हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बीते मंगलवार को राज्य के ग्रामीण क्वारंटीन सेंटरों को लेकर गहरी चिंता जाहिर की और संबंधित जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया कि वे इसे संबंध में सभी जरूरी कदम उठाएं.

इसके अलावा हाईकोर्ट ने राज्य में ‘रैपिड टेस्टिंग’ की स्थिति को लेकर रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया है.

उत्तराखंड के विभिन्न जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा सौंपे गए रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और रविंद्र मैथानी की पीठ ने कहा, ‘इस रिपोर्ट को पढ़ने से हमें यह पता चलता है कि गांव स्तर पर बनाए गए क्वारंटीन सेंटर की स्थिति एकदम बर्बाद है. ज्यादातर क्वारंटीन सेंटर सरकारी प्राइमरी स्कूलों में बनाए गए हैं. इनकी स्थिति दयनीय है.’

लाइव लॉ के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि इन सेंटर में रह रहे लोगों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है. पीठ ने कहा, ‘खाना या तो गांववाले मुहैया करा रहे हैं या फिर क्वारंटीन सेंटर में रह रहे लोगों के परिजन उन्हें भोजन दे रहे हैं.’

न्यायालय ने कहा कि इनमें से कई क्वारंटीन सेंटर में सिर्फ एक या दो शौचालय हैं जबकि यहां 20-30 लोग रह रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि इन शौचालयों में साफ-सफाई की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है. ज्यादातर शौचालय साफ नहीं हैं.’

इन साक्ष्यों के आधार पर उत्तराखंड हाईकोर्ट की पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंची कि इन क्वारंटीन सेंटर के संचालन की जिम्मेदारी ग्राम सभा को मिली हुई है और उनके पास फंड की कमी है. कोर्ट ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर क्वारंटीन सेंटर की व्यवस्था ठीक करने की जरूरत है, जिसके लिए उचित फंड दिया जाना चाहिए.

हाईकोर्ट ने कहा, ‘जिला मजिस्ट्रेटों और पंचायत स्तर के अधिकारियों और जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के बीच एक उचित समन्वय होना चाहिए. जहां ग्राम प्रधान वर्तमान में कार्य नहीं कर रहे हैं, जो भी कारण से, संबंधित जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित अधिकारी के माध्यम से वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.’

इससे पहले चार मई, 2020 को उत्तराखंड सरकार ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया था कि वे ग्राम सभा और ग्राम प्रधानों के साथ क्वारंटीन सेंटर के संबंध में कोआर्डिनेट करें और उन्हें फंड दिया जाए तथा इस पर नजर बनाए रखें कि ये क्वारंटीन सेंटर सही से कार्य कर रहे हैं या नहीं.

हालांकि कोर्ट ने कहा कि अब तक ये काम सही से नहीं किया जा सका है.

इसलिए हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन सचिव को नोटिस जारी कर कहा कि वे जिला मजिस्ट्रेटों को उचित आदेश जारी करें ताकि 04/05/2020 को जारी किए गए उनके आदेश की मूल भावना को लागू किया जा सके और ग्राम सभा को पर्याप्त फंड दिया जाए ताकि इन सेंटरों की स्थिति बेहतर हो सके.

शुक्रवार सुबह तक देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 226,770 और मृतकों की संख्या बढ़कर 6,348 हो गई. उत्तराखंड में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमण के कुल 1,153 मामले सामने आ चुके हैं.