कोरोना से अपने बचाव की अंतिम ज़िम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

केंद्र ने दो श्रेणियों को छोड़कर बाकी सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन के क्वारंटीन की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया गया है. केवल उन कर्मचारियों के लिए 14 दिन तक क्वारंटीन में रहना अनिवार्य है, जो कोरोना संक्रमित के मरीज़ों के सीधे संपर्क में आए हों या जिनमें बीमारी के लक्षण हों.

Srinagar: Health workers conduct door-to-door surveillance in a red zone area for COVID-19, amid the nationwide lockdown imposed to contain the spread of the novel coronavirus, in Srinagar, Thursday, April 9, 2020. (PTI Photo/S. Irfan) (PTI09-04-2020_000153B)

केंद्र ने दो श्रेणियों को छोड़कर बाकी सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन के क्वारंटीन की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया गया है. केवल उन कर्मचारियों के लिए 14 दिन तक क्वारंटीन में रहना अनिवार्य है, जो कोरोना संक्रमित के मरीज़ों के सीधे संपर्क में आए हों या जिनमें बीमारी के लक्षण हों.

Srinagar: Health workers conduct door-to-door surveillance in a red zone area for COVID-19, amid the nationwide lockdown imposed to contain the spread of the novel coronavirus, in Srinagar, Thursday, April 9, 2020. (PTI Photo/S. Irfan) (PTI09-04-2020_000153B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास और क्वारंटीन सुविधा को लेकर उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई एक याचिका के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि संक्रमण से बचाव की अंतिम जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से बृहस्पतिवार से कहा कि अस्पताल संक्रमण रोकथाम एवं नियंत्रण (आईपीसी) गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन कोविड-19 से स्वयं का बचाव करने की अंतिम जिम्मेदारी स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शीर्ष अदालत को बताया कि केवल कोरोना वारयस ही नहीं, बल्कि अन्य संक्रमणों से बचाव की खातिर स्वयं को पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित करना और इसके लिए सभी संभावित कदम उठाना स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की जिम्मेदारी है.

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. आरुषि जैन के वकीलों मिथु जैन और अरुण सयाल को केंद्र के शपथपत्र के जवाब में एक सप्ताह में शपथपत्र दायर करने की अनुमति दी और मामले की सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.

डॉ. जैन ने अपनी याचिका में कोविड-19 के मरीजों के उपचार में मदद कर रहे स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों (एचसीडब्ल्यू) के लिए केंद्र की 15 मई की नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर सवाल खड़े किए हैं.

इस एसओपी के जरिये केंद्र ने केवल दो श्रेणियों को छोड़कर शेष सभी स्वास्थ्यसेवा कर्मचारियों के लिए 14 दिनों के क्वारंटीन की अनिवार्यता समाप्त कर दी है.

मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, ‘संक्रमण रोकथाम एवं नियंत्रण (आईपीसी) गतिविधियां लागू करने और एचसीडब्ल्यू के लिए आईपीसी संबंधी नियमित प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य केंद्रों में अस्पताल संक्रमण नियंत्रण समिति (एचआईसीसी) है, लेकिन अपना बचाव करने और संक्रमण रोकने की अंतिम जिम्मेदारी एचसीडब्ल्यू की है.’

उसने कहा कि यदि स्वास्थ्यकर्मी संक्रमण की रोकथाम के लिए सभी प्रकार की सावधानियां बरतते हैं तो उनके संक्रमित होने का खतरा भी उतना ही है, जितना अन्य लोगों के संक्रमित होने का खतरा है.

मंत्रालय ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के नेतृत्व में संयुक्त निगरानी समूह (जेएमजी) ने स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों को खतरे के संबंध में विस्तार से विचार-विमर्श किया. जेएमजी में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि भी शामिल हैं.

मंत्रालय के अनुसार, जोखिम आकलन संबंधी दृष्टिकोण अमेरिका के अटलांटा में रोग रोकथाम केंद्र के दिशा-निर्देशों के भी अनुरूप है.

मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि कार्यस्थल पर पीपीई से उचित तरीके से सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी अपने परिवार या बच्चों के लिए कोई अतिरिक्त खतरा पैदा नहीं करते हैं.

याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने 15 मई को एक परामर्श जारी किया था, जिसमें दो श्रेणियों को छोड़कर शेष सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन के क्वारंटीन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है. केवल उन कर्मचारियों के लिए 14 दिन तक क्वारंटीन में रहना अनिवार्य है जो कोविड-19 के मरीजों के सीधे संपर्क में आए हों या जिनमें बीमारी के लक्षण हों.

न्यायालय ने 26 मई को इस मामले में केंद्र को एक हलफनामा दायर कर जवाब देने को कहा था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ खबरों के माध्यम से डॉ. जैन ने अपनी याचिका में कोरोना संक्रमित लोगों के इलाज में लगे डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे मेडिकल स्टाफ के कठोर, दुखद और कठिन परिस्थितियों में रहने की स्थिति अदालत का ध्यान भी दिलाया.

इसके जवाब में सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता की ओर से इस बात के सबूत पेश नहीं किए गए हैं कि पीपीई किट पहनने के बाद भी डॉक्टर कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)