लॉकडाउन में बाल तस्करी बढ़ने से रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया

एनजीओ ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि कोरोना महामारी के बीच बाल तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने गृह मंत्रालय, श्रम एवं अधिकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ ही नौ राज्यों को नोटिस जारी किए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

एनजीओ ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि कोरोना महामारी के बीच बाल तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने गृह मंत्रालय, श्रम एवं अधिकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ ही नौ राज्यों को नोटिस जारी किए हैं.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान देश में अचानक ही बच्चों की तस्करी की घटनाओं में कथित रूप से इजाफा होने के मद्देनजर इस पर अंकुश लगाने को लेकर नीति तैयार करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से जवाब मांगा.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर वीडियो कॉफ्रेन्स के माध्यम से सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में सहयोग करने का आग्रह किया.

पीठ ने इसके साथ ही संकेत दिया कि बाल तस्करी के मसले पर गौर करने के लिए वह विशेषज्ञों की समिति गठित कर सकती है.

नोबल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने गृह मंत्रालय, श्रम एवं अधिकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ ही नौ राज्यों को नोटिस जारी किए.

इन राज्यों में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और तेलंगाना शामिल हैं.

इस संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फूल्का ने कहा कि इस मामले में सभी जिला प्राधिकारियों को समावेशी दृष्टिकोण अपनाना होगा ताकि इस तरह की बढ़ रही घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि कोरोना महामारी संकट के बीच बाल तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. सरकार से आग्रह किया है कि वह न केवल इसे रोकने के लिए एक नीति तैयार करे, बल्कि प्रभावित बच्चों के बचाव और पुनर्वास को सुनिश्चित करे.

न्यायालय इस मामले में अब दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगा. न्यायालय ने संबंधित पक्षकारों से कहा है कि वे इस विषय पर शोध करें और ऐसे उपाय खोजें जिनसे शोषण से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

बचपन बचाओ आंदोलन ने अपनी याचिका में कहा है कि इन राज्यों में सबसे ज्यादा कामगारों का स्थानांतरण हुआ है और बाल तस्करी पर प्रभावी तरीके से काबू पाने का यही उचित समय है.

याचिका में केंद्र और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को बाल तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए तैयार नीति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजने और इस पर अनिवार्य रूप से अमल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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