उत्तर प्रदेश: उत्पीड़न को लेकर फतेहपुर प्रशासन के ख़िलाफ़ पत्रकारों का जल सत्याग्रह

फतेहपुर के पत्रकार अजय भदौरिया ने बीती 13 मई को ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि फतेहपुर के विजयपुर में एक कम्युनिटी किचन को बंद कर दिया गया है. इसके बाद झूठी ख़बर फैलाने के आरोप में प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया.

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फतेहपुर में जल सत्याग्रह करते पत्रकार. (फोटो साभार: ट्विटर)

फतेहपुर के पत्रकार अजय भदौरिया ने बीती 13 मई को ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि फतेहपुर के विजयपुर में एक कम्युनिटी किचन को बंद कर दिया गया है. इसके बाद झूठी ख़बर फैलाने के आरोप में प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया.

फतेहपुर में जल सत्याग्रह करते पत्रकार. (फोटो साभार: ट्विटर)
फतेहपुर में जल सत्याग्रह करते पत्रकार. (फोटो साभार: ट्विटर)

लखनऊः उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में प्रशासन के उत्पीड़न के खिलाफ स्थानीय पत्रकारों ने गंगा नदी में उतरकर जल सत्याग्रह शुरू किया है.

न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन द्वारा पत्रकारों को प्रताड़ित करने और उन पर मुकदमे दर्ज करने के विरोध में स्थानीय पत्रकार सात जून से जल सत्याग्रह कर रहे हैं.

दो स्थानीय पत्रकारों अजय भदौरिया (57) और विवेक मिश्रा (35) के खिलाफ मामला दर्ज होने के विरोध में पत्रकारों ने यह सत्याग्रह शुरू किया है.

पत्रकार अजय भदौरिया का कहना है, ‘उन्होंने बीते 13 मई को ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि फतेहपुर के विजयपुर में एक कम्युनिटी किचन (सामुदायिक रसोई) को बंद कर दिया गया है. इसके बाद झूठी खबरें फैलाने के आरोप में प्रशासन ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.’

भदौरिया ने कहा, ‘मैंने बताया कि विजयपुर का सामुदायिक रसोईघर बंद हो गया है. मेरे पास इसके सबूत हैं लेकिन पुलिस शिकायत में कहा गया कि मैंने फतेहपुर के सभी सामुदायिक रसोइघरों के बंद होने का दावा किया है.’

पत्रकार अजय भदौरिया ने बताया कि इस मुकदमे के विरोध में स्थानीय पत्रकारों ने एकजुट होकर जिला प्रशासन को छह जून तक एफआईआर खारिज करने का समय दिया था लेकिन उन्होंने एफआईआर नहीं हटाई और न ही पत्रकारों से इस बारे में कोई बातचीत की.

इसी कारण एक दर्जन से अधिक स्थानीय पत्रकारों ने एकजुट होकर यहां की गंगा नदी में उतरकर जल सत्याग्रह शुरू कर दिया.

पत्रकारों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं सुनी गईं तो जिले के सारे पत्रकार मिलकर प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करेंगे.

दरअसल लॉकडाउन के दौरान गरीबों के लिए चलाई जाने वाली कम्युनिटी किचन बंद होने की खबर के लिए भदौरिया व अन्य के खिलाफ जिला प्रशासन ने आईपीसी की 505, 385, 188, 270 व 269 धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया है.

इसके अलावा आपराधिक षड्यंत्र की धारा 120बी भी लगा दी गई है.

एफआईआर में पत्रकार पर आरोप लगाया गया है कि सामुदायिक रसोईघर बंद होने की खबर से अव्यवस्था फैल गई.

प्रशासन का कहना है कि सामुदायिक रसोईघर बंद होने की खबर से क्वारंटीन सेंटर्स, जहां पर यहां से खाना पहुंचाया जाता है, वहां अव्यवस्था फैल गई जिस वजह से महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है.

पूरे जिले में अलग-अलग जगहों पर पत्रकारों ने जल सत्याग्रह अनशन करते हुए जिला प्रशासन के खिलाफ घंटों नारेबाजी की.

पत्रकारों ने लगभग दो घंटे नदी में खड़े होकर जल सत्याग्रह किया, राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया और डीएम के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. इसके साथ ही पत्रकारों पर दर्ज फर्जी मुकदमे भी वापस लेने की मांग की.

फतेहपुर के डीएम ने सात जून को जारी प्रेस नोट में कहा कि जिला सूचना अधिकारी द्वारा की गई जांच में पता चला है कि बीते 32 सालों से पत्रकारिता कर रहे अजय भदौरिया साल 2020 में किसी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े हुए नहीं हैं. यह एक आधिकारिक खंडन है कि भदौरिया पत्रकार हैं.

प्रेस नोट में यह भी कहा गया कि भदौरिया लगातार अपने निजी ट्विटर अकाउंट का इस्तेमाल कर एकतरफा, भ्रमपूर्ण और अफवाहें फैलाकर प्रशासन की छवि धूमिल करते हैं.

जल सत्याग्रह कर रहे पत्रकारों की मांग है कि जिला मजिस्ट्रेट का तबादला किया जाए और पत्रकारों के उत्पीड़न मामले की जांच हो.

बता दें कि इससे पहले विवेक मिश्रा नाम के स्थानीय पत्रकार पर गौशाला का हाल दिखाने पर दिसंबर 2019 में फतेहपुर प्रशासन द्वारा मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है.

जल सत्याग्रह का समर्थन कर रहे विवेक मिश्रा कहते हैं, ‘पूरे जिले में गोशालाओं में गायें मर रही हैं. मैंने दैनिक भास्कर के लिए इसे कवर किया था. जिलाधिकारी ने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी लेकिन मेरे पास मेरे दावों को साबित करने के लिए सबूत हैं.’

स्थानीय पत्रकारों के इस जल सत्याग्रह का कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी समर्थन किया है.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘पत्रकार साथियों ने आपदा के दौर में कोरोना से जुड़ी अव्यवस्थाओं को उजागर कर सकारात्मक हस्तक्षेप किया. हैरानी की बात है कि यूपी सरकार के प्रशासन ने फतेहपुर में पत्रकारों पर उनका काम करने के लिए मुकदमा कर दिया. पत्रकार सत्याग्रह कर रहे हैं. सरकार सच्चाई से डर क्यों रही है?’

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