कोरोना से ठीक होने के पांच दिन बाद उर्दू शायर गुलज़ार देहलवी का निधन

पुरानी दिल्ली के गली कश्मीरियां में 1926 में जन्मे गुलज़ार देहलवी भारत सरकार द्वारा 1975 में प्रकाशित पहली उर्दू विज्ञान पत्रिका ‘साइंस की दुनिया’ के संपादक भी रह चुके थे.

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गुलज़ार देहलवी. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

पुरानी दिल्ली के गली कश्मीरियां में 1926 में जन्मे गुलज़ार देहलवी भारत सरकार द्वारा 1975 में प्रकाशित पहली उर्दू विज्ञान पत्रिका ‘साइंस की दुनिया’ के संपादक भी रह चुके थे.

गुलज़ार देहलवी. (फोटो साभार: विकिपीडिया)
गुलज़ार देहलवी. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: कोविड-19 संक्रमण से उबरने के पांच दिन बाद वरिष्ठ उर्दू शायर आनंद मोहन ज़ुत्शी उर्फ गुलज़ार देहलवी का शुक्रवार दोपहर को निधन हो गया.

वह एक माह बाद 94 वर्ष की उम्र पूरा करने वाले थे. उनका निधन नोएडा स्थित उनके आवास पर हुआ.

बीते सात जून को उनकी कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट दोबारा निगेटिव आई थी जिसके बाद उन्हें घर वापस लाया गया.

शुक्रवार को उनके बेटे अनूप ज़ुत्शी ने कहा, ‘सात जून को उनकी कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट दोबारा निगेटिव आई, जिसके बाद हम उन्हें घर वापस लाए. आज लगभग दोपहर ढाई बजे खाना खाने के बाद उनका निधन हो गया.’

उन्होंने कहा, ‘वह काफी बूढ़े थे और संक्रमण के कारण काफी कमजोर भी हो गए थे. डॉक्टरों का मानना है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा होगा.’

स्वतंत्रता सेनानी और जाने-माने ‘इंकलाबी’ कवि गुलज़ार देहलवी को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद एक जून को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके अलावा पूरे भारत में उर्दू स्कूल खोलने का श्रेय उनको जाता था.

पुरानी दिल्ली के गली कश्मीरियां में 1926 में जन्मे गुलज़ार देहलवी भारत सरकार द्वारा 1975 में प्रकाशित पहली उर्दू विज्ञान पत्रिका ‘साइंस की दुनिया’ के संपादक भी रह चुके थे. इसके अलावा पूरे भारत में उर्दू स्कूल खोलने का श्रेय उनको जाता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, देहलवी बीती 28 मई की रात बीमार पड़े थे. 31 मई को उनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी. एक जून को उन्हें शारदा अस्पताल के कोविड-19 आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था. सात जून को रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें घर वापस लाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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