डॉक्टरों के वेतन का भुगतान करने के लिए केंद्र राज्यों को निर्देश दे: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ जंग में पहली कतार के योद्धाओं- डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर उसमें कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में देरी की जा रही है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ जंग में पहली कतार के योद्धाओं- डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर उसमें कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में देरी की जा रही है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह कोविड-19 के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान करने और उन्हें आवश्यक क्वारंटीन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को निर्देश जारी करे.

केंद्र सरकार ने पीठ से कहा कि वह इस बारे में आवश्यक निर्देश जारी करेगी.

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोविड-19 के मरीजों का इलाज और देखभाल कर रहे डॉक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों को क्वारंटीन की सुविधा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के बकाया वेतन के भुगतान और उनकी क्वारंटीन की सुविधा के बारे में चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का केंद्र को निर्देश दिया. साथ ही पीठ ने केंद्र को आगाह किया कि इसका अनुपालन नहीं होने पर कड़ा रुख अपनाया जाएगा.

शीर्ष अदालत एक निजी चिकित्सक डॉ. आरुषि जैन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं (डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ) को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में देरी की जा रही है.

यही नहीं इस याचिका में डॉक्टरों के लिए 14 दिन के क्वारंटीन की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केंद्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाए थे.

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस बारे में 24 घंटे के भीतर ही निर्देश जारी करेगी, ताकि डॉक्टरों तथा स्वास्थ्यकर्मियों के लिए समय से वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके.

मेहता ने कहा कि 15 मई के सर्कुलर में आवश्यक सुधार किया जाएगा और कोविड-19 की ड्यूटी में तैनात डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए क्वारंटीन की अनिवार्यता खत्म करने का उपबंध हटा दिया जाएगा.

मेहता ने आश्वासन दिया कि कोविड ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उपयुक्त वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराने के बारे में नया आदेश जारी किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि केंद्र भी अस्पतालों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों को वेतन का भुगतान नहीं किए जाने को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून के तहत आपराधिक कृत्य बनाने के बारे में सोच रहा है.

पीठ ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और राज्यों के मुख्य सचिवों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने चाहिए.

इससे पहले न्यायालय ने 12 जून को कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे डॉक्टरों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर कड़ा रुख अपनाया था.

न्यायालय ने कहा था, ‘युद्ध के दौरान आप योद्धाओं को नाराज मत कीजिये. थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिए कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिए.’

न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए.

पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में डॉक्टरों को वेतन नहीं दिया जा रहा है.

पीठ ने कहा था, ‘हमने ऐसी खबरें देखी हैं कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं. दिल्ली में कुछ डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमें न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए.’

केंद्र ने इस संबंध में दलील दी थी कि यद्यपि संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है, लेकिन कोविड-19 से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.

केंद्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिये 14 दिन का क्वारंटीन अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (नॉर्थ एमसीडी) को उसके तहत आने वाले कस्तूरबा गांधी और हिंदू राव समेत छह अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों को मार्च का वेतन 19 जून तक देने का निर्देश बीते 12 जून को दिया था.

अदालत ने दिल्ली सरकार को एमसीडी को धन जारी करने के लिए भी कहा था ताकि वह अपने अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों को अप्रैल का वेतन 24 जून तक दे सकें.

बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के तहत काम करने वाले करीब 3,000 स्वास्थ्य कर्मचारियों को तीन महीने से अधिक समय से वेतन नहीं मिला है.

द वायर  ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि नॉर्थ एमसीडी के तहत आने वाले दो अस्पतालों- कस्तूरबा और हिंदू राव के 350 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों ने तीन से चार महीने तक का वेतन न मिलने की बात कहते हुए सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दी है.

वहीं, बीते 12 जून को नॉर्थ एमसीडी के वरिष्ठ डॉक्टरों के संगठन दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी नगर आयुक्त, मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तीन महीने से वेतन न मिलने के मुद्दे को उठाया था.

नॉर्थ एमसीडी के तहत हिंदू राव और कस्तूरबा अस्पताल के अलावा महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल, गिरधारी लाल मैटरनिटी अस्पताल और राजन बाबू इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन और तपेदिक आते हैं. इसके साथ ही 21 डिस्पेंसरी, 63 मैटर्निटी एंड चाइल्ड वेलफेयर सेंटर, 17 पॉलीक्लिनिक और 7 मैटर्निटी होम हैं. नॉर्थ एमसीडी में 1000 वरिष्ठ डॉक्टर, 500 रेजिडेंट डॉक्टर और 1500 नर्सिंग स्टाफ काम करते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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