महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश के बांदा लौटे प्रवासी मज़दूर ने आत्महत्या की

उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले से कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर लोगों के आत्महत्या की ख़बरें लगातार आ रही हैं.

(फोटो साभार: indiarailinfo)

उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले से कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर लोगों के आत्महत्या की ख़बरें लगातार आ रही हैं.

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बांदा: उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र के जरोहरा गांव में महाराष्ट्र के पुणे शहर से लौटे एक मजदूर ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है.

बिसंडा थाना की ओरन पुलिस चौकी के प्रभारी उपनिरीक्षक (एसआई) सुल्तान सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘जरोहरा गांव में 17 जून की शाम करीब छह बजे अखिलेश सिंह (25) ने अपने मकान के कमरे की छत की हुक से नॉयलान की रस्सी बांधकर फांसी लगा ली जिससे उनकी मौत हो गई.’

मृतक के चचेरे भाई अमर सिंह के हवाले से उन्होंने बताया, ‘वह महाराष्ट्र के पुणे शहर में रहकर मजदूरी करते थे और 20 दिन पहले ही गांव लौटे था. इस दौरान अपने घर में ही रहकर क्वारंटीन की अवधि पूरी की थी, लेकिन इस दौरान कोई काम धंधा नहीं मिलने से उसकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी.’

उपनिरीक्षक ने बताया, ‘शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेज दिया गया है और मामले की जांच की जा रही है.’

इसी तरह बांदा जिले के अतर्रा थाना क्षेत्र के उरइहा पुरवा गांव में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान होकर 16 जून को एक मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

अतर्रा थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) रवींद्र तिवारी ने बीते बुधवार को बताया कि 16 जून की सुबह उरइहा पुरवा गांव में बिसंडा थाना क्षेत्र के तकुली (हस्तम) गांव के रहने वाले युवक रामकेश (20) ने खेत की मेड़ में लगे बेर के पेड़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है.

उन्होंने मृतक के भाई रामअवतार के हवाले से बताया, ‘रामकेश अपनी दो मौसेरी बहनों की शादी समारोह में शामिल होने उरइहा पुरवा गांव गए थे, और शादी में नेग न दे पाने और अच्छे कपड़े न होने की आत्मग्लानि के चलते उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है.’

परिजन के हवाले से तिवारी ने बताया कि वह पंजाब में मजदूरी करते थे और एक माह पहले ही घर लौटे थे.

मृतक के भाई रामअवतार ने पुलिस को बताया कि परिवार के ऊपर करीब डेढ़ लाख रुपये का कर्ज है, इसी की अदायगी के लिए पैसे कमाने वह पंजाब गया था, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन से काम बंद हो गया और वह गांव लौट आया था.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से बनी परिस्थितियों के कारण लोगों द्वारा आत्महत्या करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

बीते 11 जून को उत्तर प्रदेश बलिया जिले में उत्तराखंड से लौटे एक प्रवासी मजदूर ने आत्महत्या कर ली थी. मृतक की पहचान जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के मठ योगेंद्र गिरि गांव के अंजनी कुमार सिंह के रूप में हुई थी. पुलिस ने आशंका जताई थी कि आर्थिक तंगी के कारण घरेलू कलह से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या की थी.

बीते पांच जून को मुज़फ्फरनगर जिले में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान एक गन्ना किसान ने आत्महत्या की थी. उनकी पहचान 50 वर्षीय ओमपाल सिंह के रूप में हुई थी.

बीती 29 मई को राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए एक 50 वर्षीय शख्स भानु प्रकाश गुप्ता ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली. मृतक की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया था.

उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में पिछले एक पखवाड़े के दौरान 10 से 11 लोगों के आत्महत्या करने की खबरें आ चुकी हैं.

बीते 11 जून को बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के महुआ गांव में मजदूर सुखराज प्रजापति (35) ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर गुरुवार रात आत्महत्या कर ली. वह ईंट-भट्ठे पर काम करते थे और लॉकडाउन के कारण काम बंद होने पर अपने गांव वापस लौटे आए थे.

बीते आठ जून को बांदा जिले में एक युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी थी. लॉकडाउन के कारण वह हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद शहर से लौटे थे. घटना मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव में हुई और मृतक की पहचान 19 वर्षीय उदय गुप्ता के रूप में हुई थी.

बीते तीन जून को बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया था. महिला के पति ने एक महीने पहले ही जान दे दी थी.

इसी तरह बीती 28 मई को उत्तर प्रदेश में ही बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर ने वहां से भागकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी.

उनकी पहचान 35 वर्षीय जगदीश निषाद के रूप में हुई थी. वह सूरत में मजदूरी का काम करते थे. पुलिस ने बताया था कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के चलते आत्महत्या करने की वजह पता चली है.

बीती 27 मई को बांदा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान दो प्रवासी मजदूरों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लॉकडाउन के चलते लोहरा गांव के 22 वर्षीय सुरेश कुछ दिन पहले दिल्ली से घर लौटे थे. वहीं पैलानी थाना क्षेत्र के 20 साल के मनोज दस दिन पहले मुंबई से लौटे थे.

इससे पहले 25 मई को इसी ज़िले के बिसंडा थाना क्षेत्र के ओरन कस्बे में एक मजदूर ने बेरोजगारी से परेशान होकर कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले 22 मई को कमासिन थाना क्षेत्र के मुसीवां गांव के सुनील (19) ने होम-क्वारंटीन में फांसी लगा ली थी. वह कुछ रोज पहले ही मुंबई से लौटे थे.

इसी तरह 14 मई को तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के 25 वर्षीय सूरज ने अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह आगरा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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