साल 2016 से 2018 के बीच चीनी सेना ने 1,025 बार सीमा पर घुसपैठ किया: सरकार

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के जवानों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने पर दोनों देशों के बीच तल्ख़ी आ गई है. भारत में इसे लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज़ हो गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के जवानों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने पर दोनों देशों के बीच तल्ख़ी आ गई है. भारत में इसे लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज़ हो गई है.

Indian army soldiers rest next to artillery guns at a makeshift transit camp before heading to Ladakh, near Baltal, southeast of Srinagar (REUTERS/Stringer)
लद्दाख के पास बालटाल में एक अस्थायी कैंप के पास मौजूद भारतीय सैनिक. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कुछ दिन पहले लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए. चीन का दावा है कि गलवान घाटी उनकी सीमा में है और भारतीय सैनिक गलत ढंग से वहां घुस गए थे, जबकि भारत का कहना है कि गलवान घाटी हमेशा से उनके क्षेत्र में रहा है.

पिछले करीब पांच दशकों में पहली बार भारत-चीन सीमा पर भारतीय जवानों के शहीद होने पर दोनों देशों के रिश्तों में काफी तल्खी आ गई है और राजनीतिक बयानबाजी काफी तेज हो गई हैं.

हालांकि ये पहला मौका नहीं है, जब चीनी सेना में भारतीय सीमाओं में घुसपैठ किया है. साल 2016 से 2018 के बीच चीनी सेना के 1,025 बार घुसपैठ या अतिक्रमण किया है.

रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाईक द्वारा 17 नवंबर 2019 को लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक चीनी सैनिकों ने 2016 में 273 बार, 2017 में 426 बार और 2018 में 326 बार भारतीय सीमा में अतिक्रमण किया था.

भारत सरकार का कहना है कि चूंकि भारत और चीन के सीमाक्षेत्र को स्पष्ट रूप से रेखांकित नहीं किया गया है, इसलिए इस तरह के अतिक्रमण बार-बार होते हैं.

नाईक के कहा था, ‘भारत और चीन के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में सामान्य रूप से रेखांकित कोई वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) नहीं है. वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट कुछ क्षेत्र हैं, जिसे लेकर दोनों पक्षों की अपनी-अपनी अलग धारणा या दावा है. इसी आधार पर दोनों ओर की सेनाएं सीमा पर गश्त लगाती हैं, जिसके कारण अतिक्रमण होता है.’

China transgression
चीन द्वारा किए गए अतिक्रमणों की संख्या. (स्रोत: लोकसभा)

सरकार ने संसद में दावा कि चीन द्वारा किए गए इन अतिक्रमणों के कारण किसी सैनिक के हताहत होने की कोई सूचना नहीं मिली है.

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि किसी भी अतिक्रमण या घुसपैठ की स्थिति उत्पन्न होने पर वे स्थापित माध्यमों जैसे कि फ्लैग मीटिंग, बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग्स, भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए बनी समिति और राजनयिक चैनल के माध्यम से इसे सुलझाते हैं.

मालूम हो कि लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आलोचना किए जाने के बाद भाजपा और कांग्रेस में जवाबी बयानबाजी शुरू हो गई है.

सिंह ने कहा था कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति एवं मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता तथा यह सुनिश्चित होना चाहिए कि जवानों का बलिदान व्यर्थ न जाए.

बीते सोमवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट कर सिंह पर आरोप लगाया कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2011 से 2013 के बीच चीन ने 600 बार घुसपैठ किया था, तब उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की.

नड्डा ने सिंह और कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे सवाल उठाकर सैनिकों का अपमान करना बंद करें. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही भारत की 43,000 किमी भूमि को चीन को दे दिया था.

इसके जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर कहा कि भाजपा के कार्यकाल में 2015 के बाद से 2,264 बार चीनी घुसपैठ हुआ है. उन्होंने नड्डा को चुनौती दी कि क्या वे इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछ सकते हैं?

चीनी हमले पर सवाल उठाने के संबंध में चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए के कार्यकाल (2004-2014) के दौरान भाजपा ने चीनी घुसपैठ और यूपीए की चीन नीति की खूब आलोचना की थी. इसके अलावा भाजपा ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संबंध भी बनाए रखा था.

मालूम हो कि लद्दाख में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर का भारतीय भूक्षेत्र चीन के कब्जे में है. इसके अतिरिक्त दो मार्च 1963 को चीन और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा करार’ के तहत पाकिस्तान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का 5,180 वर्ग किलोमीटर चीन को सौंप दिया था.

इसके अलावा चीन अक्सर अरुणाचल प्रदेश राज्य में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर के भारतीय भूक्षेत्र पर दावा करता रहता है.