उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में युवती ने फांसी लगाकर आत्महत्या की

पुलिस ने मृतक युवती के चाचा के हवाले से बताया कि युवती की मां यशोदा और भाई विक्रम गुजरात में मज़दूरी करते हैं और वहां से नहीं आ पाए हैं. बबेरू में उनके रिश्ते की बात चल रही थी, लेकिन मां और भाई की वापसी न हो पाने पर रिश्ते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

पुलिस ने मृतक युवती के चाचा के हवाले से बताया कि युवती की मां यशोदा और भाई विक्रम गुजरात में मज़दूरी करते हैं और वहां से नहीं आ पाए हैं. बबेरू में उनके रिश्ते की बात चल रही थी, लेकिन मां और भाई की वापसी न हो पाने पर रिश्ते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था.

(फोटो साभार: indiarailinfo)
(फोटो साभार: indiarailinfo)

बांदा: बांदा जिले की नगर कोतवाली क्षेत्र के पडुई गांव में एक युवती ने अपने घर के शौचालय में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. मामला बीते 23 जून का है.

नगर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक दिनेश सिंह ने मंगलवार को बताया कि पडुई गांव में अपने चाचा-चाची के साथ रह रही युवती सरोज (23) ने सोमवार तड़के अपने घर के शौचालय की खपरैल में दुप्पटे से फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली.

सूचना पर पहुंची पुलिस ने पोस्टमॉर्टम कराने के बाद शव उसके चाचा को सौंप दिया है.

चाचा राम मनोहर प्रजापति के हवाले से सिंह ने बताया कि सरोज स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुकी थीं. उनकी मां यशोदा और भाई विक्रम गुजरात में मजदूरी करने गए हैं और वहां से नहीं आ पाए हैं. बबेरू में उसके रिश्ते की बात चल रही थी, लेकिन मां और भाई की वापसी न हो पाने पर रिश्ते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका.

एसएचओ ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन उसके चाचा और चाची आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं कर पाए हैं. मेडिकल कॉलेज पुलिस चौकी के उपनिरीक्षक मामले की विस्तृत जांच कर रहे हैं.

बता दें कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लगातार कोरोना वायरस और लॉकडाउन से बनी परिस्थितियों में आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. बांदा जिले में लॉकडाउन के दौरान 16 से 18 लोगों के आत्महत्या करने की खबरें आ चुकी हैं.

बीते 21 जून को ललितपुर और बांदा जिलों में एक किसान और  एक सफाईकर्मी ने आत्महत्या की थी. ललितपुर जिले में ग़रीबी और क़र्ज़ से कथित तौर पर परेशान 40 वर्षीय किसान ने ज़हर खा लिया था. वहीं, बांदा जिले के नरैनी पंचायत में कार्यरत सफाईकर्मी ने कथित तौर पर घरेलू कलह से परेशान होकर आत्महत्या की थी.

बीते 20 जून को बांदा जिले के मटौंध इलाके के बोधी पुरवा गांव में बालू खदान में मजदूरी करने वाले युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

बीते 19 जून को बांदा जिले के चिल्ला थाना क्षेत्र के चकला गांव में 45 वर्षीय किसान मुन्ना निषाद ने खेत में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी, जबकि जिले के महेड़ गांव में एक अन्य घटना में एक 17 वर्षीय लड़की ने घर में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी.

बीते 18 जून को बांदा जिले के अतर्रा और बिसंडा थाना क्षेत्र में दो मजदूरों ने आत्महत्या की थी. एक मज़दूर दो महीने से काम न मिलने के कारण कथित तौर पर परेशान थे, जबकि एक अन्य मज़दूर गुजरात के वापी शहर से लौटे थे.

बीते 17 जून को बांदा जिले के बिसंडा थाना क्षेत्र के जरोहरा गांव में महाराष्ट्र के पुणे शहर से लौटे एक मजदूर ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मृतक की पहचान 25 वर्षीय अखिलेश सिंह के रूप में हुई.

इसी तरह जिले के अतर्रा थाना क्षेत्र के उरइहा पुरवा गांव में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान होकर 16 जून को एक मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. युवक की पहचान 20 वर्षीय रामकेश (20) के रूप में हुई थी. वह पंजाब में मजदूरी करते थे.

बीते 11 जून को बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के महुआ गांव में मजदूर सुखराज प्रजापति (35) ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर गुरुवार रात आत्महत्या कर ली. वह ईंट-भट्ठे पर काम करते थे और लॉकडाउन के कारण काम बंद होने पर अपने गांव वापस लौटे आए थे.

बीते आठ जून को बांदा जिले में एक युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी थी. लॉकडाउन के कारण वह हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद शहर से लौटे थे. घटना मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव में हुई और मृतक की पहचान 19 वर्षीय उदय गुप्ता के रूप में हुई थी.

बीते तीन जून को बांदा ज़िले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र के मोतियारी गांव में कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान एक महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें बचा लिया गया था. महिला के पति ने एक महीने पहले ही जान दे दी थी.

इसी तरह बीती 28 मई को उत्तर प्रदेश में ही बांदा ज़िले के तिंदवारी थाना क्षेत्र में एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर ने वहां से भागकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी.

उनकी पहचान 35 वर्षीय जगदीश निषाद के रूप में हुई थी. वह सूरत में मजदूरी का काम करते थे. पुलिस ने बताया था कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के चलते आत्महत्या करने की वजह पता चली है.

बीती 27 मई को बांदा ज़िले में कथित रूप से आर्थिक तंगी से परेशान दो प्रवासी मजदूरों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. लॉकडाउन के चलते लोहरा गांव के 22 वर्षीय सुरेश कुछ दिन पहले दिल्ली से घर लौटे थे. वहीं पैलानी थाना क्षेत्र के 20 साल के मनोज दस दिन पहले मुंबई से लौटे थे.

इससे पहले 25 मई को इसी ज़िले के बिसंडा थाना क्षेत्र के ओरन कस्बे में एक मजदूर ने बेरोजगारी से परेशान होकर कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इससे पहले 22 मई को कमासिन थाना क्षेत्र के मुसीवां गांव के सुनील (19) ने होम-क्वारंटीन में फांसी लगा ली थी. वह कुछ रोज पहले ही मुंबई से लौटे थे.

इसी तरह 14 मई को तिंदवारी थाना क्षेत्र के लोहारी गांव के 25 वर्षीय सूरज ने अपने घर में फांसी लगा ली थी. वह आगरा की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे, जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थी.

इसी तरह बीते 11 जून को उत्तर प्रदेश बलिया जिले में उत्तराखंड से लौटे एक प्रवासी मजदूर ने आत्महत्या कर ली थी. मृतक की पहचान जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के मठ योगेंद्र गिरि गांव के अंजनी कुमार सिंह के रूप में हुई थी. पुलिस ने आशंका जताई थी कि आर्थिक तंगी के कारण घरेलू कलह से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या की थी.

बीते पांच जून को मुज़फ्फरनगर जिले में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान एक गन्ना किसान ने आत्महत्या की थी. उनकी पहचान 50 वर्षीय ओमपाल सिंह के रूप में हुई थी.

बीती 29 मई को राज्य के लखीमपुर खीरी ज़िले में लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए एक 50 वर्षीय शख्स भानु प्रकाश गुप्ता ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली. मृतक की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी गरीबी और बेरोजगारी का जिक्र किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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