आरबीआई के तहत आएंगे देश के 1,500 से अधिक सहकारी बैंक, कैबिनेट ने दी मंज़ूरी

देश में कुल 1,482 शहरी सहकारी और 58 के क़रीब बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं, जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हैं. इन बैंकों में लगभग 4.85 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जमा है. सरकार का कहना है कि इस क़दम का उद्देश्य पीएमसी बैंक जैसे घोटाले रोकना है.

भारतीय रिज़र्व बैंक (फोटो: रॉयटर्स)

देश में कुल 1,482 शहरी सहकारी और 58 के क़रीब बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं, जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हैं. इन बैंकों में लगभग 4.85 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जमा है. सरकार का कहना है कि इस क़दम का उद्देश्य पीएमसी बैंक जैसे घोटाले रोकना है.

भारतीय रिज़र्व बैंक (फोटो: रॉयटर्स)
भारतीय रिज़र्व बैंक (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि अब सभी शहरी सहकारी बैंक और बहु-राज्यीय सहकारी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की देख-रेख के तहत काम करेंगे.

सरकार के अनुसार, इस कदम का मकसद देश में पीएमसी बैंक जैसे घोटाले रोकना और सहकारी बैंकों के ग्राहकों को भरोसा देना है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस संबंध में राष्ट्रपति एक अध्यादेश जारी करेंगे.

जावड़ेकर ने सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि देश के 1,540 शहरी सहकारी बैंक और बहु-राज्यीय सहकारी बैंक अब रिजर्व बैंक की निरीक्षण प्रक्रिया के तहत आ जाएंगे.

यह प्रक्रिया अब तक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के मामले में ही अपनाई जाती रही है. जावड़ेकर ने कहा, ‘इस फैसले से सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं को भरोसा होगा कि उनका पैसा सुरक्षित है.’

देश में कुल मिलाकर 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 के करीब बहु-राज्यीय सहकारी बैंक है जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हुए हैं. इन बैंकों में करीब 4.85 लाख करोड़ रुपये की पूंजी जमा है.

सरकार का यह कदम इस लिहाज से काफी अहम है कि पिछले कुछ समय में कई सहकारी बैंकों में घोटाले सामने आए हैं और इससे बैंक के जमाकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.

पंजाब एण्ड महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी बैंक) घोटोले का मामला हाल में काफी चर्चा में रहा. घोटाला सामने आने के बाद बैंक के कामकाज पर रोक लग जाने से ग्राहकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी.

पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के बाद आरबीआई ने 23 सितंबर 2019 को बैंक पर नियामकीय अंकुश लगा दिए थे.

पीएमसी बैंक के बाद आरबीआई ने इस साल जनवरी में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित श्री गुरु राघवेंद्र को-आपरेटिव बैंक से भी पैसे निकालने की सीमा तय कर दी थी.

यह अंकुश इसलिए लगाया था क्योंकि पिछले तीन माह से बैंक को 350 करोड़ रुपये की ऋण भुगतान में चूक या डिफॉल्ट का सामना करना पड़ा था.

इसके बाद आरबीआई ने मुंबई आधारित सीकेपी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया था. आरबीआई का कहना था कि बैंक वित्तीय अस्थिरता की वजह से मौजूदा और भावी जमाकर्ताओं को भुगतान करने की स्थिति में नहीं था.

रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में भी पीपुल्स सहकारी बैंक, कानपुर पर भी निकासी से जुड़े प्रतिबंध लगा दिए थे.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 मार्च 2020 को लोकसभा में ‘बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक 2020’ पेश किया था. यह अभी लंबित है.

इस संशोधन विधेयक के जरिये रिजर्व बैंक कि बैंकिंग नियमक दिशानिर्देशों को सहकारी बैंकों पर भी लागू किया जायेगा. सीतारमण ने एक फरवरी 2020 को पेश बजट भाषण में भी इसका जिक्र किया था.

15,000 करोड़ रुपये के पशुपालन इंफ्रा डेवलपमेंट फंड को मंजूरी

सरकार ने बुधवार को ब्याज सब्सिडी योजना के साथ 15,000 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचा विकास कोष की घोषणा की.

सरकार ने कहा कि इसका उद्देश्य डेयरी, मांस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्रों में निजी कारोबारियों और एमएसएमई के निवेश को प्रोत्साहित करना है. इस पहल के कारण 35 लाख रोजगार सृजित होने की संभावना है.

यह फंड, कोविद -19 वायरस की रोकथाम के लिए लागू किये गये लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए मई में घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है.

एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि डेयरी उत्पादक, मांस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्रों की स्थापना के लिए किसान उत्पादक संगठनों, एमएसएमई और निजी कंपनियों को 3-4 प्रतिशत की ब्याज सहायता दी जायेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष (एएचआईडीएफ) को मंजूरी दी गई.

कैबिनेट के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘मंत्रिमंडल द्वारा 15,000 करोड़ रुपये के फंड को मंजूरी दी गई है जो सभी के लिए खुला रहेगा और यह दूध उत्पादन बढ़ाने, निर्यात को बढ़ावा देने तथा देश में 35 लाख नौकरियां पैदा करने में मदद करेगा.’

पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार ने पहले डेयरी बुनियादी ढांचे के विकास के मकसद से सहकारी क्षेत्र द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपये के डेयरी अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) को मंजूरी दी थी.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि, एमएसएमई और निजी कंपनियों को, पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण और मूल्य वर्धित बुनियादी ढांचे में भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करने और सहायता दिया जाना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), एमएसएमई, धारा-आठ के तहत आने वाली कंपनियां, निजी कंपनियां और व्यक्तिगत उद्यमी इस फंड से लाभ प्राप्त करने के पात्र होंगे.

प्रस्तावित इंफ्रा परियोजना के लिए उद्यमी 10 प्रतिशत मार्जिन का योगदान करना होगा और बाकी 90 प्रतिशत ऋण घटक होगा जो अनुसूचित बैंकों द्वारा उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘पहली बार, हम डेयरी, पोल्ट्री और मांस प्रसंस्करण के बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए निजी कारोबारियों को तीन प्रतिशत तक ब्याज सहायता देंगे.’

एक बयान में सरकार ने कहा कि गैर-आकांक्षात्मक जिलों से पात्र लाभार्थियों को तीन प्रतिशत ब्याज सहायता दी जायेगी जबकि आकांक्षात्मक जिलों के लाभार्थियों को लगभग चार प्रतिशत की ब्याज सहायता दी जायेगी.

देश में लगभग 115 आकांक्षी जिले हैं जो खराब सामाजिक-आर्थिक संकेतकों से प्रभावित हैं. सरकार ने कहा कि ऋण को चुकाने के लिए दो साल की अवकाश अवधि होगी और उसके बाद छह साल में ऋण का पुनर्भुगतान करना होगा.

इसके अलावा, केंद्र राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा प्रबंधित किये जाने वाले 750 करोड़ रुपये का क्रेडिट गारंटी फंड भी स्थापित करेगा जो एमएसएमई द्वारा निर्धारित सीमा के तहत आने वाली परियोजनाओं को क्रेडिट गारंटी प्रदान करेगा.

गारंटी कवरेज में उधारकर्ता की ऋण सुविधा का 25 प्रतिशत हिस्सा होगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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