डॉक्टरों-नर्सों के लिए दिए गए पीपीई किट का बेहतर उपयोग करना राज्यों की ज़िम्मेदारी: केंद्र

इससे प​हले कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास और क्वारंटीन सुविधा को लेकर उच्चतम न्यायालय में दाख़िल एक अन्य याचिका के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि संक्रमण से बचाव की अंतिम ज़िम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.

फोटो: पीटीआई

इससे पहले कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास और क्वारंटीन सुविधा को लेकर उच्चतम न्यायालय में दाख़िल एक अन्य याचिका के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि संक्रमण से बचाव की अंतिम ज़िम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी आवश्यकता के अनुसार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट और एन-95 मास्क प्रदान किए हैं और सुरक्षात्मक सामान का बेहतर उपयोग करना उनके ऊपर है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर की गई जनहित याचिका के जवाब में दाखिल एक हलफनामे में यह बात कही है.

याचिका में दावा किया गया है कि निजी अस्पतालों में नर्सों को कोविड-19 महामारी के खिलाफ सुरक्षा के लिए उचित सुरक्षा उपकरण प्रदान नहीं किए जा रहे हैं.

एनजीओ ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में नर्सों को इस्तेमाल किए गए पीपीई किट दिए जा रहे हैं.

मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा, ‘केंद्र सरकार आवश्यकता के अनुसार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पीपीई किट, एन-95 मास्क आदि उपलब्ध करा रही है. इन चीजों का बेहतर उपयोग करना राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है.’

‘डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव’ नामक एनजीओ की याचिका पर अपने जवाब में दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह उन निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जो कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं और जब इस तरह के मामले सामने आते हैं तो कार्रवाई की जाती है.

दिल्ली सरकार ने कहा कि उसने एक नर्सिंग होम को कारण बताओ नोटिस जारी किया है जिसके खिलाफ नर्सिंग स्टाफ से शिकायतें मिली थीं कि उन्हें पीपीई किट, मास्क आदि उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं.

दिल्ली सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि नर्सिंग होम का निरीक्षण करने के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें पाया गया कि नर्सिंग स्टाफ को पीपीई किट नहीं दिए गए थे.

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की पीठ ने हलफनामों को संज्ञान में लिया और मामले की अगली सुनवाई दो जुलाई को निर्धारित की.

एनजीओ ने अपनी याचिका में यह भी मांग की है कि सभी निजी क्षेत्र की नर्सों को बीमा सुरक्षा के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत कवर किया जाए और उन्हें उचित मानसिक-सामाजिक सहायता प्रदान की जाए.

मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा कि सरकारी और निजी क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत आते हैं जिसके तहत 50 लाख रुपये का व्यक्तिगत दुर्घटना कवर प्रदान किए जाने का प्रावधान है.

इससे पहले इस महीने की शुरुआत में कोरोना वायरस की रोकथाम में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास और क्वारंटीन सुविधा को लेकर उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक याचिका के जवाब में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि संक्रमण से बचाव की अंतिम जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है.

केंद्र ने कहा था कि अस्पताल संक्रमण रोकथाम एवं नियंत्रण (आईपीसी) गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन कोविड-19 से स्वयं का बचाव करने की अंतिम जिम्मेदारी स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की है.

डॉ. आरुषि जैन ने अपनी याचिका में कोविड-19 के मरीजों के उपचार में मदद कर रहे स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों (एचसीडब्ल्यू) के लिए केंद्र की 15 मई की नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर सवाल खड़े किए हैं. इस एसओपी के जरिये केंद्र ने केवल दो श्रेणियों को छोड़कर शेष सभी स्वास्थ्यसेवा कर्मचारियों के लिए 14 दिनों के क्वारंटीन की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी.

मालूम हो कि देश के विभिन्न हिस्सों से अस्पतालों में पीपीई किट और दूसरी सुविधाओं के लिए स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा लगातार प्रदर्शन करने के मामले सामने आ चुके हैं.

बीते मई महीने में दिल्ली के एक निजी अस्पताल के कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि उन्हें इस्तेमाल किए पीपीई किट दोबारा पहनने को मजबूर होना पड़ रहा है.

दिल्ली स्थित कालरा अस्पताल की एक नर्स की कोविड-19 से मौत हो गई थी. उसके बाद उनके सहयोगियों ने आरोप लगाया था कि अस्पताल प्रशासन इस्तेमाल किए हुए पीपीई किट, ग्ल्व्ज और मास्क को दोबारा इस्तेमाल करने का नर्सों पर दबाव बनाता था. कोविड-19 से अपनी जान गंवाने वाली नर्स केरल की थीं.

केरल के पतनमतिट्टा से सांसद एंटो एंटनी ने नर्स की मौत को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा था.

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में एंटनी ने अंबिका के परिवार के लिए पचास लाख रुपये के बीमा कवर जारी करने का आग्रह करते हुए कहा था कि निजी अस्पताल एन-95 मास्क सहित किसी भी तरह के निजी सुरक्षात्मक सामान अपने कर्मचारियों को मुहैया नहीं करा रहे हैं.

इसके अलावा मई महीने में दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में ख़राब पीपीई किट को लेकर नर्सों और स्वास्थकर्मियों ने प्रदर्शन किया था. ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि जिम्स प्रबंधन कर्मचारियों को घटिया किट देकर काम करवा रहा है, जिससे स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं. साथ ही प्रदर्शनकारियों ने एक डॉक्टर पर दुर्व्यवहार का भी आरोप लगाया.

 

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