लगातार 21वें दिन पेट्रोल के दाम में 25 पैसे और डीज़ल में 21 पैसे का इज़ाफ़ा

बीते तीन हफ्तों में पेट्रोल के दाम 9.12 रुपये और डीज़ल की कीमत 11.01 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है. इसके बाद राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.38 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल की 80.40 रुपये प्रति लीटर है.

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(फोटो: पीटीआई)

बीते तीन हफ्तों में पेट्रोल के दाम 9.12 रुपये और डीज़ल की कीमत 11.01 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है. इसके बाद राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.38 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल की 80.40 रुपये प्रति लीटर है.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पेट्रोल की कीमत में शनिवार को प्रति लीटर 25 पैसे और डीजल के दामों में 21 पैसे की वृद्धि होने के बाद तीन हफ्तों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अब तक क्रमश: 9.12 और 11,01 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है.

पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की मूल्य अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 80.13 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 80.38 प्रति लीटर हो गई है, वहीं डीजल के दाम 80.19 रुपये से बढ़कर 80.40 रुपये प्रति लीटर हो गई.

वाहन ईंधन के दाम देशभर में बढ़ाए गए हैं, लेकिन स्थानीय बिक्री कर या मूल्यवर्धित कर (वैट) की वजह से विभिन्न राज्यों में इनकी कीमतों में अंतर होता है.

मुंबई में पेट्रोल की कीमत 86.91 रुपये से बढ़कर 87.14 प्रति लीटर हो गई है और डीजल की कीमत 78.51 रुपये से बढ़कर 78.71 रुपये प्रति लीटर हो गई है.

एक ओर जहां डीजल के दामों में लगातार 21वें दिन बढ़ोतरी हुई है, वहीं पेट्रोल की कीमत पिछले तीन हफ्तों में 20वीं बार बढ़ी है.

सात जून से पेट्रोल कुल 9.12 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है. वहीं इस दौरान डीजल कीमतों में 11.01 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है.

मौजूदा वृद्धि से पहले 16 अक्टूबर, 2018 को डीजल का दाम दिल्ली में 75.69 रुपये प्रति लीटर की ऊंचाई को छू चुका है वहीं, पेट्रोल के दाम इससे पहले 4 अक्टूबर, 2018 को 84 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुके हैं.

पेट्रोल के मौजूदा दाम में करीब दो तिहाई हिस्सा विभिन्न करों का शामिल है. पेट्रोल के दाम में 32.98 रुपये केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 17.71 रुपये प्रति लीटर स्थानीय कर अथवा वैट शामिल है.

इसी प्रकार डीजल के दाम में 63 प्रतिशत से अधिक करों का हिस्सा है. इसमें 31.83 रुपये प्रति लीटर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 17.60 रुपये प्रति लीटर वैट का हिस्सा है.

सरकार ने जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे थे, तब 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी.

इसके बाद पांच मई को फिर से पेट्रोल पर रिकॉर्ड 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया. बताया गया कि इससे सरकार को सालाना आधार पर दो लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा.

उल्लेखनीय है कि अप्रैल-मई के दौरान जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन चल रहा था, कच्चे तेल के दाम दो दशक के निम्न स्तर तक गिर गए थे, लेकिन जून की शुरुआत से आर्थिक गतिविधियां शुरू होने के बाद मांग बढ़ने से कच्चे तेल के दाम धीरे-धीरे बढ़ने लगे हैं. यही वजह है कि तेल कंपनियां भी उसी वृद्धि के अनुरूप दाम बढ़ा रही हैं.

पेट्रोल और डीजल की मूल्य वृद्धि को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर हमला बोल रही है.

बीते 23 जून को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था था कि कोरोना संकट और इसके बाद की स्थिति से निपटने में सरकार पूरी तरह विफल रही है और इन सबके बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि कर लोगों की पीड़ा बढ़ा रही है.

इससे पहले सोनिया गांधी ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इसे ‘असंवेदनशील’ करार दिया था और प्रधानमंत्री से आग्रह किया था कि कोरोना महामारी के समय लोगों की परेशानी को बढ़ाने वाली इस वृद्धि को वापस लिया जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)