दिल्ली दंगा: ‘पहले दंगाइयों ने घर और दुकान लूट ली, अब केस वापस लेने का दबाव डाला जा रहा’

इस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के पीड़ित रेडीमेड कपड़ा व्यापारी निसार अहमद ने हाईकोर्ट याचिका दायर कर आरोप लगाया है पुलिस उनकी शिकायत पर उचित कार्रवाई नहीं कर रही है और आरोपियों द्वारा उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है.

New Delhi: A man folds his hands as security personnel conduct patrolling in Bhagirathi Vihar area of the riot-affected north east Delhi, Wednesday, Feb. 26, 2020. At least 22 people have lost their lives in the communal violence over the amended citizenship law as police struggled to check the rioters who ran amok on streets, burning and looting shops, pelting stones and thrashing people. (PTI Photo/Manvender Vashist)(PTI2_26_2020_000187B)

इस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के पीड़ित रेडीमेड कपड़ा व्यापारी निसार अहमद ने हाईकोर्ट याचिका दायर कर आरोप लगाया है पुलिस उनकी शिकायत पर उचित कार्रवाई नहीं कर रही है और आरोपियों द्वारा उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है.

New Delhi: A man folds his hands as security personnel conduct patrolling in Bhagirathi Vihar area of the riot-affected north east Delhi, Wednesday, Feb. 26, 2020. At least 22 people have lost their lives in the communal violence over the amended citizenship law as police struggled to check the rioters who ran amok on streets, burning and looting shops, pelting stones and thrashing people. (PTI Photo/Manvender Vashist)(PTI2_26_2020_000187B)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के पीड़ित एक रेडीमेड कपड़ा व्यापारी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि दिल्ली पुलिस उचित एफआईआई दर्ज नहीं कर रही है और उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला जा रहा है.

व्यापारी की शिकायत में स्थानीय भाजपा पार्षद कन्हैया लाल पर भी आरोप लगाया है.

इसी साल के फरवरी महीने में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुए दंगे में दंगाइयों ने भागीरथी विहार के निवासी निसार अहमद की दुकान और घर को लूट लिया था. इस संबंध में उन्होंने पुलिस में शिकायत की थी, लेकिन अहमद का आरोप है कि दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करना चाह रही है.

याचिका में विस्तार से बताया गया है कि अहमद के घर के आसपास किस तरह दंगे भड़के थे. उन्होंने कहा कि कुछ स्थानीय लोगों ने विवादित नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में नारे लगाते हुए उस क्षेत्र में माइक और स्पीकर लगाया था.

इसके बाद शाम 7:30 बजे के करीब मगरिब की नमाज के तुरंत बाद इन्हीं स्पीकरों और माइक के जरिये मुस्लिम समुदाय के लोगों को भगाने और मारने की बात कही जाने लगी थी. इसके बाद धीरे-धीरे 500 से ज्यादा लोगों की भीड़ जमा हो गई.

याचिका में कहा गया, ‘यदि किसी के पहचान पत्र या पैंट उतारकर ये पता लगा लिया जाता था कि व्यक्ति मुस्लिम है, उसे तलवार या अन्य औजार के जरिये काट दिया जाता था. कुछ लोग मारे जाने से बच निकले, लेकिन उन्हें बहुत बुरी तरह लाठी से पीटा गया था.’

याचिका में उन्होंने कहा है, ‘महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया. वैसे तो बहुत कम ही मुस्लिम महिलाएं बाहर थीं, लेकिन यदि कोई बुरका पहने या किसी और तरीके से मुस्लिम महिला लगती थी तो उसे तलवार से मार दिया जाता था. लोगों को मारकर भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया गया.’

अहमद ने कहा कि उन्होंने कई बार 100 नंबर पर कॉल करते इसकी शिकायत की लेकिन कोई भी पुलिसवाला सहायता के लिए आगे नहीं आया.

अहमद ने अपनी याचिका में सिलसिलेवार ढंग से बताया है कि किस तरह उनकी दुकान और घर को लूटा गया और किस तरह दहशत का माहौल था. उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके बेशकीमती सामान के साथ-साथ दस लाख रुपये भी दंगाइयों ने लूट लिए.

याचिकाकर्ता ने कहा है कि उनकी तीन मोटरसाइकिल को भी आग लगाकर राख कर दिया गया. इस बीच उनके परिवार किसी तरह पड़ोसी द्वारा मुहैया कराई गई सीढ़ी के जरिये छत से उतरकर भागकर अपनी जान बचाई थी. उन्होंने कहा कि दंगाई जितना सामान ले जा सकते थे वो ले गए, बाकी चीजों को उन्होंने आग लगा दिया.

अहमद ने याचिका में यह भी बताया है कि किस तरह उन्हें अपने भाई को ढूंढने में तीन दिन लग गए जो कि मानसिक रूप से कमजोर हैं.

इस त्रासदी से गुजरने बाद अहमद को शिकायत दर्ज कराने में अभी तक समस्या हो रही है. शुरू में जब वो पुलिस के पास गए तो उन्होंने कहा कि चोरी की शिकायत दर्ज करा दो. हालांकि अहमद ने इस पर सहमति नहीं जताई और अगले दिन उन्होंने लिखित शिकायत दर्ज की, जिसमें उन्होंने मोगली, माइकल और टिंकू का नाम बतौर आरोपी दर्ज कराया था.

इसके बाद 18 मार्च को उन्होंने एक विस्तृत शिकायत दायर की. अहमद ने याचिका में कहा कि 20 मार्च को उन्हें एक एफआईआर के संबंध में नोटिस प्राप्त हुआ जो कि इलियास नाम के एक व्यक्ति द्वारा दर्ज कराई गई थी. इस संबंध में सब-इंस्पेक्टर ने उनसे उनका फोन जमा करने को कहा.

उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि शिकायत दर्ज करने के बाद उन्हें स्थानीय भाजपा नेता द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दो अप्रैल को गगन नाम के एक व्यक्ति ने खुद को दिल्ली पुलिस से जुड़ा हुआ बताते हुए कॉल किया और कहा कि मैं कन्हैया लाल (भाजपा काउंसलर) से बात करूं.

नेता ने अहमद से सवाल किया क्या उन्होंने मोगली का नाम शिकायत में दर्ज कराया है. इसके बाद से ही अहमद को कई कॉल आने लगे, जिसमें कहा गया कि वे मामले को लेकर समझौता कर लें.

उन्होंने कहा कि जिनके खिलाफ उन्होंने मामला दर्ज कराया है वो लोग उन्हें और उनके परिजनों को डरा-धमका रहे हैं और कह रहे हैं कि अगर वे घर बेचकर नहीं गए तो उनकी हत्या करा दी जाएगी.

याचिका में कहा गया है कि अहमद के खिलाफ गोकुलपुरी में दर्ज की गई तीन एफआईआर के संबंध ने पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की लेकिन अहमद द्वारा उनके और परिजनों की सुरक्षा को खतरा के संबंध में दर्ज कराई गई शिकायत को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

(इस स्टोरी को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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