मिज़ोरम के बाद नगालैंड में कुत्ते के मांस की बिक्री और सेवन पर रोक

नगालैंड के संसदीय मामलों के मंत्री एन. क्रोनू ने बताया कि क्षेत्र में स्वाइन फ्लू के प्रकोप के बाद राज्य ने पहले ही सूअरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और अब मंत्रिमंडल ने इनके वाणिज्यिक आयात और व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का भी निर्णय लिया है.

/
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नगालैंड के संसदीय मामलों के मंत्री एन. क्रोनू ने बताया कि क्षेत्र में स्वाइन फ्लू के प्रकोप के बाद राज्य ने पहले ही सूअरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और अब मंत्रिमंडल ने इनके वाणिज्यिक आयात और व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का भी निर्णय लिया है.

(फाइल फोटो: रॉयटर्स)
(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

कोहिमा: मिजोरम के बाद नगालैंड में सरकार ने शुक्रवार को कुत्ते के मांस की बिक्री और सेवन पर रोक लगा दी. जानवरों के साथ क्रूरता को लेकर चिंताओं के बीच यह अहम फैसला है.

राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री एन. क्रोनू ने बताया कि कुत्तों के वाणिज्यिक आयात और व्यापार पर तथा कुत्ते के मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया. यह रोक कुत्ते के पके हुए और कच्चे दोनों तरह के मांस पर लगी है.

सरकार के प्रवक्ता क्रोनू ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने यह निर्णय सेवन के लिए दूसरे राज्यों से कुत्तों को लाने के खतरों को देखते हुए और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अनुरूप किया.

उन्होंने बताया कि सरकार ने तत्काल प्रभाव से सूअरों के वाणिज्यिक आयात और व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का भी निर्णय लिया.

उन्होंने बताया कि क्षेत्र में स्वाइन फ्लू के प्रकोप के बाद राज्य ने पहले ही सूअरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था और मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दे दी.

नगालैंड के मुख्य सचिव तेमजेन टॉय ने भी सरकार के इस कदम की जानकारी एक ट्वीट के माध्यम से दी है.

उन्होंने कहा है, ‘राज्य सरकार ने कुत्तों के आयात और व्यापार तथा डॉग मार्केट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. साथ ही कुत्तों के पकाए गए और बिना पके मीट पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया फैसला सराहनीय है.’

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, नगालैंड के दिमापुर स्थित एक बाजार में कुत्तों को एक बैग में बांधकर रखे जाने से जुड़ी तस्वीर हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर काफी साझा की गई थी. इस तस्वीर में उनके मुंह रस्सी से बंधे हुए थे.

गैर सरकारी संगठन द फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशंस (एफआईएपीओ) ने कुत्तों के मीट के व्यापार को बंद करने के संबंध में राज्य सरकार को एक याचिका दी थी.

एक बयान में संगठन ने कहा है, ‘’आज (दो जुलाई) हमने कुत्तों के मीट की बिक्री, तस्करी और सेव पर प्रतिबंध लागू करने के संबंध में नगालैंड सरकार को एक नया ज्ञापन दिया है.’

नगालैंड के कुछ समुदायों में कुत्तों का मीट खानपान का हिस्सा है.

साल 2016 से एफआईएपीओ की ओर से कुछ अभियान भी चलाए गए थे, जिसमें खुलासा हुआ था कि उत्तर-पूर्व के दूसरे राज्यों, यहां तक कि पश्चिम बंगाल से भी कुत्तों को मीट के लिए मारने के लिए राज्य में लाया जाता है.

रिपोर्ट के अनुसार, एफआईएपीओ ने एक बयान में कहा गया है, ‘असम में डॉग कैचर्स (तस्करों के लिए काम करने वाले) एक कुत्ते के बदले 50 रुपये पाते हैं. यही कुत्ता नगालैंड के होलसेल बाजार में जब बेचा जाता है तो इसकी कीमत 1,000 रुपये हो जाती है. नगालैंड के बाजारों में कुत्तों का मीट 200 रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है.’

मालूम हो कि बीते मार्च महीने में मिजोरम में भी कुत्तों के मीट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)