भीमा-कोरेगांव: नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन को स्वास्थ्य आधार पर ज़मानत देने से इनकार

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने अदालत में अंतरिम जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं और इस वजह से उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है.

शोमा सेन. (फोटो साभार: फेसबुक)

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन ने अदालत में अंतरिम जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं और इस वजह से उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा अधिक है.

शोमा सेन. (फोटो साभार: फेसबुक)
शोमा सेन. (फोटो साभार: फेसबुक)

मुंबईः मुंबई की एक विशेष अदालत ने भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े एलगार परिषद मामले में आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने शुक्रवार को जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह कुछ बीमारियों से पीड़ित हैं लेकिन यह उनकी अंतरिम रिहाई का आधार नहीं हो सकता.

बायकुला महिला जेल में बंद सेन ने मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत याचिका दायर करते हुए कहा था कि उन्हें लंबे समय से हाइपरटेंशन, ऑस्टियोआर्थराइटिस और अन्य बीमारियां हैं, जिससे उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा अधिक है.

पिछले महीने भी अदालत ने शोमा सेन और 81 साल के कवि एवं लेखक वरवरा राव की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतरिम जमानत याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस के मद्देनजर जेलों में भीड़ को कम करने के लिए एक समिति का गठन किया था.

इनके वकीलों ने अदालत को बताया था कि इनकी बढ़ती उम्र और मेडिकल स्टेटस की वजह से इनके समक्ष कोरोना वायरस का अत्यधिक खतरा बना हुआ है इसलिए इन्हें रिहा किया जाना चाहिए.

विशेष अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों में जेलों के अधीक्षकों को उचित कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं.

मालूम हो कि वरवरा राव पिछले महीने जेल में बेहोश हो गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

अदालत का कहना है कि उन्हें बेहोश हो जाने के तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी उचित मेडिकल देखरेख की गई थी और इस वजह से उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती.

मालूम हो कि एलगार परिषद मामले में कुल 11 लोगों पर मामला दर्ज हैं. इन पर पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद के कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.

पुलिस के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 को हुए एलगार परिषद में दिए गए भाषणों के चलते अगले दिन पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी.

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