बिलकिस मामले के दोषियों के ख़िलाफ़ सबूत के बावजूद निचली अदालत ने बरी किया: सुप्रीम कोर्ट

बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार कांड में चार पुलिसकर्मियों और दो डाक्टरों को सजा सुनाने के खिलाफ की गई अपील सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है.

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बिलक़ीस बानो. (फोटो: रॉयटर्स)

बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार कांड में चार पुलिसकर्मियों और दो डाक्टरों को सजा सुनाने के खिलाफ की गई अपील सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है.

Bilkis Bano Reuters
बिलकिस बानो. (फाइल फोटो: रॉयटर्स))

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में गोधरा कांड के बाद 2002 के सनसनीखेज बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार कांड और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में भारतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी सहित चार पुलिसकर्मियों और दो चिकित्सकों की अपील खारिज कर दी. इन सभी को दोषी ठहराने के बंबई हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर उनकी अपील खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ एकदम स्पष्ट सबूत हैं.

न्यायमूर्ति एसए बोबड़े और न्यायमूर्ति एल नागेर राव की पीठ ने दोषियों की अपील खारिज करते हुए कहा कि निचली अदालत ने अनुचित तरीके से उन्हें इस मामले में बरी किया था. पीठ ने तीन अपील खारिज करते हुए कहा, इस मामले में आपके खिलाफ एकदम स्पष्ट सबूत होने के बावजूद निचली अदालत ने आप सभी को नाहक ही बरी कर दिया था.

गुजरात में तैनात भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी आरएस भगोरा को अन्य आरोपी पुलिसकर्मियों के साथ चार मई को बंबई उच्च न्यायालय ने दोषी ठहराया था. उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी करने के निचली अदालत के फैसले को उलट दिया था.

उच्च न्यायालय ने भगोरा और अन्य को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को उलटते हुए सनसनीखेज बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार कांड और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में 11 आरोपियों को दोषी ठहराने का उसका निर्णय बरकरार रखा था. इन दोषियों में से एक की मृत्यु हो गई है.

एक पुलिसकर्मी इदरीस अब्दुल सैयद ने अपनी सजा के खिलाफ अपील नहीं की थी. भगोरा के वकील का कहना था कि वह अनावश्यक रूप से ही परिस्थितियों के जाल में फंस गया और इस घटना में उनकी कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी. परंतु पीठ ने इस मामले में गौर करने से इनकार करते हुए कहा कि भगोरा इस मामले के वरिष्ठ अधिकारी थे और सब कुछ उनकी नाक के नीचे ही हुआ.

बिलकिस बानो की वकील शोभा ने दोषियों की अपील का विरोध किया. इस मामले में विशेष अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो से बलात्कार करने और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी जबकि पुलिसकर्मियों और दो चिकित्सकों सहित चार आरोपियों को बरी कर दिया था.

दोषी व्यक्तियों ने निचली अदालत के फैसले को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इस मामले में सीबीआई ने भी अपील दायर करके तीन दोषियों को इस अपराध में मौत की सजा देने का अनुरोध न्यायालय से किया था.

अभियोजन के अनुसार अहमदाबाद के निकट राधिकापुर गांव में उग्र भीड़ ने तीन मार्च, 2002 को बिलकिस बानो के परिवार पर हमला करके सात सदस्यों की हत्या कर दी थी. दंगाइयों ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया था. इस हमले के दौरान उसके परिवार के छह सदस्य किसी तरह बचकर निकल गए थे.

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