सरकारी शोध संस्थान के निदेशक पद से प्रख्यात वैज्ञानिक गगनदीप कांग ने दिया इस्तीफ़ा

डॉ. गगनदीप कांग पहली भारतीय महिला हैं, जिन्हें रॉयल सोसायटी लंदन का फेलो बनाया गया. उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब दो महीने पहले ही उनके नेतृत्व में कोरोना वायरस वैक्सीन पर काम कर रही समिति को भंग कर दिया गया था.

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गगनदीप कांग. (फोटो साभार: द रॉयल सोसाइटी)

डॉ. गगनदीप कांग पहली भारतीय महिला हैं, जिन्हें रॉयल सोसायटी लंदन का फेलो बनाया गया. उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब दो महीने पहले ही उनके नेतृत्व में कोरोना वायरस वैक्सीन पर काम कर रही समिति को भंग कर दिया गया था.

गगनदीप कांग. (फोटो साभार: द रॉयल सोसाइटी)
गगनदीप कांग. (फोटो साभार: द रॉयल सोसाइटी)

नई दिल्लीः देश की प्रख्यात क्लीनिकल वैज्ञानिक और हरियाणा के फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई) की कार्यकारी निदेशक गगनदीप कांग ने निजी कारणों का हवाला देते हुए बीते सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

टीएचएसटीआई एक सरकारी हेल्थ रिसर्च इंस्टिट्यूट है, जो विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के तहत आता है.

डॉ. गगनदीप कांग ने स्वदेशी रोटावायरस वैक्सीन के विकास में अहम भूमिका निभाई थी.

वह पहली भारतीय महिला हैं, जिन्हें रॉयल सोसायटी लंदन का फेलो बनाया गया. उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब दो महीने पहले ही उनके नेतृत्व में कोरोना वायरस वैक्सीन पर काम कर रही समिति को भंग कर दिया गया था.

डॉ. कांग ने सोमवार को कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों के चलते इस्तीफा दिया है.

डॉ. कांग वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइंस डिपार्टमेंट में प्रोफेसर रही हैं. वह 2016 से टीएचएसटीआई में काम कर रही हैं और उनका कार्यकाल खत्म होने में अभी एक साल बचा हुआ था.

हाल के कुछ महीनों में डॉ. कांग नोवल कोरोना वायरस से जुड़ी टेस्टिंग के काम को करीब से देख रही थीं. उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब भारत कोरोना के खिलाफ मुश्किल लड़ाई लड़ रहा है और एक दिन पहले ही भारत रूस को पीछे छोड़कर कोरोना संक्रमितों देशों की सूची में दुनियाभर में तीसरे स्थान पर आ गया है.

अप्रैल में टीएचएसटीआई को कोरोना टेस्ट की मंजूरी दी गई थी. डॉ. कांग के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम सार्स-2 की जांच के लिए एंटीजन टेस्ट विकसित करने में जुटी थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन पर काम करने वाली समिति के एक सदस्य ने बताया कि कोरोना वैक्सीन पर काम करने वाली जिस समिति का डॉ. कांग नेतृत्व कर रही थीं, मई में उस समिति को बंद किए जाने से पहले उसकी कुछ बैठकें हुई थीं.

एक अन्य सदस्य ने बताया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने समिति को दिए काम में और अन्य समितियों के काम में ओवरलैप की शिकायत की थी.

इस मामले पर डॉ. कांग का कहना है कि इसका उनके इस्तीफे से कुछ लेना-देना नहीं है.

डॉ. कांग ने कहा, ‘मैंने इस्तीफा दिया है. मैं अगले महीने छोड़कर जाने की योजना बना रही हूं. मैं पिछले साल ही जाने वाली थी लेकिन नहीं गई लेकिन अब मैं वेल्लोर में अपने घर जाना चाहती हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी तारीख तय नहीं की है. मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हूं कि यह काफी सहज तरीके से हो.’

डॉ. कांग को स्वदेशी रोटावायरस वैक्सीन बनाने में उनके योगदान के अलावा कालरा और टायफाइड की वैक्सीन के विकास और उपयोग पर काम करने के लिए जाना जाता है.

कांग को अंतरविषयी शोध के लिए जाना जाता है. उन्होंने देश में बच्चों में संक्रमण के संचार, विकास और रोकथाम पर काफी शोध किया है.

वह वैश्विक कंसोर्टियम कॉलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस से जुड़ी हुई हैं, जो कोरोना वायरस का संभावित टीका विकसित कर रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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