क्रिकेट सम्राट: क्रिकेट के चाहने वालों ने मानो पुराना साथी खो दिया…

क्रिकेट संबंधी हर छोटी-बड़ी जानकारी और आंकड़े सहेजने वाली 'क्रिकेट सम्राट' पत्रिका अब से नहीं छपेगी. क़रीब 42 बरसों तक देश में क्रिकेट के चाहने वालों के लिए किसी पसंदीदा उपन्यास-सी प्रिय रही पत्रिका का प्रकाशन लॉकडाउन के चलते हुए घाटे के कारण बंद कर दिया गया है.

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(फोटो: दीपक गोस्वामी)

क्रिकेट संबंधी हर छोटी-बड़ी जानकारी और आंकड़े सहेजने वाली ‘क्रिकेट सम्राट’ पत्रिका अब से नहीं छपेगी. क़रीब 42 बरसों तक देश में क्रिकेट के चाहने वालों के लिए किसी पसंदीदा उपन्यास-सी प्रिय रही पत्रिका का प्रकाशन लॉकडाउन के चलते हुए घाटे के कारण बंद कर दिया गया है.

(फोटो: दीपक गोस्वामी)
(फोटो: दीपक गोस्वामी)

आज क्रिकइंफो और क्रिकबज जैसी वेबसाइट एक क्लिक करते ही क्रिकेट संबंधी हर जानकारी क्रिकेट प्रशंसकों के सामने रख देती हैं. हर हाथ में मौजूद स्मार्टफोन्स में डाउनलोड इन वेबसाइट के ऐप्स ने क्रिकेट की हर जानकारी को हासिल करना और भी आसान बना दिया है. 

लेकिन एक दौर वह भी था जब क्रिकेट प्रशंसकों का इंटरनेट से कोई राब्ता नहीं था, पर क्रिकेट की हर जानकारी उन्हें तब भी होती थी.

किसी खिलाड़ी के सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर से लेकर किसी टीम द्वारा पारी में बनाए गए सबसे अधिक और सबसे कम स्कोर जैसे आंकड़े उन्हें मुंहजबानी याद रहते थे.

यहां तक कि दशकों पहले रिटायर हो चुके जिन पूर्व खिलाड़ियों को खेलते तक नहीं देखा था, उनकी भी खेलने की शैली की बारीकी स्कूल-कॉलेज के छात्र इस तरह बताते थे मानो कि वे बहुत बड़े क्रिकेट विशेषज्ञ हों. 

और ऐसा संभव होता था क्रिकेट की विशुद्ध पत्रिका ‘क्रिकेट सम्राट’ के कारण. क्रिकेट संबंधी यह राष्ट्रीय मासिक पत्रिका दिल्ली के ‘दीवान पब्लिकेशंस’ द्वारा सन 1978 से प्रकाशित की जा रही थी. यानी कि तब से जब भारत में क्रिकेट को लेकर ऐसी दीवानगी नहीं दिखती थी, जैसी आज है. 

104 पृष्ठों वाली इस पत्रिका में महीने भर के दौरान क्रिकेट जगत में घटी हर घटना का वर्णन होता था. हर अंतरराष्ट्रीय मैच का स्कोरकार्ड, उस मैच में बनने-बिगड़ने वाले हर रिकॉर्ड के साथ मौजूद होता था.

भारतीय घरेलू क्रिकेट के स्कूल से लेकर, विश्वविद्यालय और प्रथम श्रेणी स्तर के टूर्नामेंट की जानकारी और परिणाम दर्ज होते थे. यहां तक कि दूसरे देशों के घरेलू क्रिकेट की भी जानकारी और टूर्नामेंट्स के परिणाम ‘क्रिकेट सम्राट’ में पढ़ने मिलते थे.

जिस तरह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए ‘प्रतियोगिता दर्पण’ नामक पत्रिका हर माह निकलती है और महीने भर के दौरान घटे सभी वैश्विक घटनाक्रमों से छात्रों को रूबरू कराती है, कुछ उसी तरह ‘क्रिकेट सम्राट’ क्रिकेट प्रशंसकों को वैश्विक क्रिकेट के घटनाक्रमों से हर माह रूबरू कराती थी.

इसी कारण उस दौर में जब इंटरनेट नहीं था, तब भी क्रिकेट प्रशंसकों को क्रिकेट संबंधी हर रिकॉर्ड और बारीकी की जानकारी होती थी. यहां तक कि खिलाड़ियों के जन्मदिन भी मुंहजबानी याद रहते थे. 

यही नहीं, खिलाड़ियों के इंटरव्यू से लेकर उनके घर-परिवार, पार्टी और मैदान आदि की फोटो गैलरी भी क्रिकेट सम्राट में प्रकाशित होती थी, जो नई पीढ़ी को इस खेल के ग्लैमर के सहारे खेल के प्रति आकर्षित करती थी.

कह सकते हैं कि 1983 की विश्वकप विजय के बाद जब क्रिकेट ने देश में लोकप्रियता हासिल की, ‘किक्रेट सम्राट’ उससे भी पहले से क्रिकेट को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रही थी.

दूसरे शब्दों में कहें तो क्रिकेट जब लोकप्रियता हासिल करने के सफर पर था, तब इस खेल को लेकर लोगों की उत्सुकता और इसके बारे में अधिक से अधिक जानने की भूख को शांत करने का एक जरिया ‘क्रिकेट सम्राट’ भी थी.

लेकिन 42 सालों से चले आ रहे ‘क्रिकेट सम्राट’ के इस यादगार सफर का अब अंत हो गया है. यानी कि अब क्रिकेट प्रशंसकों को क्रिकेट सम्राट पढ़ने नहीं मिलेगी क्योंकि तालाबंदी (लॉकडाउन) के कारण क्रिकेट सम्राट पर भी स्थायी रूप से ताला लग गया है.

क्रिकेट सम्राट का अप्रैल 2020 का अंक, जो अंतिम साबित हुआ. (फोटो साभार: amazon.in)
क्रिकेट सम्राट का अप्रैल 2020 का अंक, जो अंतिम साबित हुआ. (फोटो साभार: amazon.in)

20 मार्च को जब इसका अप्रैल 2020 अंक दिल्ली के दीवान पब्लिकेशंस से देश भर में बंटने के लिए निकला था, तब पाठक तो छोड़िए, छापने वालों तक को नहीं पता था कि इसके बाद क्रिकेट सम्राट वे अब आगे नहीं निकाल पाएंगे. 

‘क्रिकेट सम्राट’ के संपादक और दीवान पब्लिकेशंस चलाने वाले आनंद दीवान द वायर  से बातचीत में बताते हैं, ‘हर माह की तरह ही समयानुसार 20 मार्च को हमने अप्रैल अंक का प्रकाशन किया और देश भर में वितरण के लिए भेज दिया. लेकिन 22 तारीख से देशभर में लॉकडाउन की प्रक्रिया शुरू हो गई. जिसके चलते हमारी भेजी हुई मैगजीन या तो रेलवे स्टेशन पर ही रह गईं या स्टेशन से आगे भी बढ़ीं तो अगले स्टेशन पर रुक गईं. फिर जब लॉकडाउन खुला तो सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने यह कहकर अपने-अपने पैकेट हमें वापस भेज दिए कि पुराना अंक अब बिकेगा नहीं.’

आनंद दीवान के मुताबिक, बीते कुछ सालों में जब से इंटरनेट की पहुंच लोगों तक बढ़ी, ‘क्रिकेट सम्राट’ का प्रकाशन अस्सी से नब्बे प्रतिशत तक घट गया था, जिसके चलते मैगजीन लंबे समय से लगभग घाटे में ही चल रही थी. 

वे बताते हैं, ‘घाटे में होने के बावजूद भी हम इसे चलाना चाहते थे, सालों से बस इसीलिए चल रही थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण इतना बड़ा घाटा हो गया कि हम उसे झेल नहीं सके.’

कोरोना के कारण लॉकडाउन सिर्फ बाजारों में ही नहीं हुआ, सिर्फ भारत में ही नहीं हुआ, बल्कि विश्वभर में लॉकडाउन के हालात बन गए, खेल के मैदानों में भी लॉकडाउन हो गया, वैश्विक खेल गतिविधियां रुक गईं. विश्व भर में क्रिकेट भी रुक गया. 

जब विश्व भर में क्रिकेट ही नहीं खेला जा रहा था तो मैगजीन निकालने का भी मतलब नहीं था. इसी बहाने दीवान पब्लिकेशंस ने ‘क्रिकेट सम्राट’ के अगले एक-दो अंक नहीं निकाले. 

आनंद बताते हैं, ‘इस दौरान हमने विचार कि क्या क्रिकेट गतिविधियां शुरू होने के बाद हम ऐसे आर्थिक हालातों में होंगे कि मैगजीन निकाल सकें? फिर आखिरकार तय किया कि अब संभव नहीं हो पाएगा.’

हालांकि, आनंद बताते हैं कि एक बार क्रिकेट शुरू हो जाए तो वे ‘क्रिकेट सम्राट’ का डिजिटल संस्करण लाने पर विचार करेंगे. साथ ही वे ‘क्रिकेट सम्राट’ के राइट्स भी बेचने पर विचार कर रहे हैं.

वे बताते हैं, ‘हमारी ओर से तो क्रिकेट सम्राट की छपाई बंद हो चुकी है. हो सकता है कि इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लेकर आएं. क्योंकि डिजिटल में उतना लॉस नहीं होगा, जितना इस बार प्रिंट में हुआ है. साथ ही अगर कोई इसका टाइटल लेता है तो फिर उसके ऊपर निर्भर करता है कि वह इसे पहले की तरह छपवाता है या फिर डिजिटलीकरण करता है.’ 

बहरहाल, यहां सवाल उठता है कि जिस देश में क्रिकेट का जुनून दीवनागी के स्तर को छूता हो, जिस देश में इस खेल के सबसे अधिक प्रशंसक हों, जिस देश का क्रिकेट बोर्ड विश्व में सबसे अधिक अमीर हो और वैश्विक क्रिकेट की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता हो, जिस देश में क्रिकेट पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता हो, उसी देश में क्रिकेट की एकमात्र पत्रिका (हिंदी/अंग्रेजी) का बंद हो जाना चौंकाता जरूर है. 

इस पर आनंद दीवान कहते हैं, ‘नयी पीढ़ी में रीडिंग हैबिट नहीं है. मैगजीन पढ़ने की आदत अब लोगों में उतनी ज्यादा नहीं रही. वह सब चीजें मोबाइल में ही ढूढ़ते हैं. क्रिकइंफो और क्रिकबज जैसे ऐप्स में एक क्लिक करते ही उन्हें क्रिकेट संबंधी हर सामग्री मिल मिल जाती है. वहीं, जो पुराने लोग पढ़ते थे, उन्होंने भी पढ़ना छोड़ दी है. जब पाठक ही नहीं मिलेंगे तो कब तक कोई पत्र-पत्रिका खुद को बचाए रख पाएंगे?’ 

गौरतलब है कि दीवान पब्लिकेशंस ‘क्रिकेट सम्राट’ के साथ-साथ ‘नन्हे सम्राट’ नामक एक बच्चों की मैगजीन भी निकालता था, वह भी बंद कर दी गई है. 

बता दें कि ‘क्रिकेट सम्राट’ का अंग्रेजी संस्करण 2005 में बंद हो गया था. वहीं, कुछ सालों पहले तक देश में हिंदी-अंग्रेजी भाषा में ‘क्रिकेट भारती’ और ‘क्रिकेट टुडे’ जैसी कुछ चुनिंदा मैगजीन और भी निकलती थीं.

लेकिन, वे भी सालों पहले बंद हो चुकी हैं. हालांकि क्रिकेट टुडे अभी भी डिजिटल स्वरूप में निकाली जा रही है. 

आनंद दीवान कहते हैं, ‘प्रिंट मीडिया के लिए यह बहुत चुनौतीपूर्ण दौर है, जो आगे और भी चुनौतीपूर्ण होता जाएगा. मैगजीन पढ़ने का रिवाज बहुत ही कम हो जाएगा, मुझे तो लगता है कि डेली न्यूजपेपर को भी खुद को बचाए रखना आसान नहीं होगा.’

हालांकि, ‘क्रिकेट सम्राट’ के एक डिस्ट्रीब्यूटर रजत अग्रवाल कहते हैं, ‘क्रिकेट सम्राट की मांग पहले की तरह भले ही न रही हो, लेकिन आज भी उसके पाठक थे. लेकिन हमने ही इसे मंगाना सीमित कर दिया था क्योंकि 60 रुपये की मैगजीन आती थी और अगर कुछ मैगजीन बिक नहीं पाती थीं तो पब्लिकेशन वाले इन्हें वापस नहीं लेते थे, जबकि अन्य पब्लिकेशन न बिकने पर अपनी मैगजीन वापस ले लेते हैं. इस हालात में नुकसान हमारी जेब पर आता था इसलिए भी मैगजीन का सर्कुलेशन कम हुआ था.’ 

बहरहाल, जब से देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन शुरू हुआ, तब से लगातार मीडिया हाउसेज की तरफ से बुरी खबरें ही आ रही हैं.

मीडियाकर्मियों की नौकरियां लगातार जा रही हैं. उसी कड़ी में ‘क्रिकेट सम्राट’ बंद हो जाने से वहां कार्यरत करीब दर्जनभर कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं.

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)

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