गुजरात: पुलिस की ग़लती मान कोर्ट ने घर भेजने की मांग करने वाले प्रवासियों को ज़मानत दी

लॉकडाउन के दौरान बीते 17 मई को गुजरात के राजकोट में प्रवासी मज़दूरों का एक समूह पुलिस से भिड़ गया था. ये समूह अपने गृह राज्य जाने के लिए ट्रेनों में जगह देने की मांग कर रहा था. पुलिस ने मज़दूरों के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास, डकैती समेत अन्य आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज की थी.

गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: gujarathighcourt.nic.in)

लॉकडाउन के दौरान बीते 17 मई को गुजरात के राजकोट में प्रवासी मज़दूरों का एक समूह पुलिस से भिड़ गया था. ये समूह अपने गृह राज्य जाने के लिए ट्रेनों में जगह देने की मांग कर रहा था. पुलिस ने मज़दूरों के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास, डकैती समेत अन्य आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज की थी.

गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: gujarathighcourt.nic.in)
गुजरात हाईकोर्ट. (फोटो साभार: gujarathighcourt.nic.in)

नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने बीते मंगलवार को 25 प्रवासी मजदूरों को जमानत दे दी, जिन्हें राजकोट में 17 मई को पुलिस के साथ कथित झड़प के बाद हत्या और डकैती के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था.

कोरोना वायरस के चलते उत्पन्न हुई स्थिति के कारण अपने गृह राज्य लौटने में देरी होने के कारण पुलिस के साथ मजदूरों की झड़प हो गई थी.

जस्टिस गीता गोपी की पीठ ने कहा कि शिकायत में लगाए गए आरोपों से पता चलता है कि तात्कालिक स्थिति के कारण प्रवासी मजदूर जल्द से जल्द अपने घरों को लौटना चाहता थे और पुलिस स्थिति को काबू करने में नाकाम रही है.

लाइव लॉ के मुताबिक जज ने कहा, ‘कोर्ट का मानना है कि पूरी घटना से बचा जा सकता था यदि पुलिस और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त नोडल ऑफिसर उचित समन्वय के साथ काम किया होता.’

पीठ ने कहा, ‘पुलिस का काम था कि वो भीड़ को अपनी सूझबूझ से काबू में करती.’

कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की ऐसी कोई मंशा नहीं थी कि वे पुलिस की हत्या करने का भी प्रयास करते. न्यायालय ने कहा कि पुलिसकर्मियों को आईं चोटें जानलेवा नहीं हैं.

लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं अन्य संबंधित कानून के तहत प्रवासी मजदूरों के खिलाफ दायर की गई शिकायत/मुकदमा वापस लेने पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी राज्यों को दिए गए निर्देशों को आधार बनाते हुए कोर्ट ने इस मामले में 25 प्रवासी मजदूरों को जमानत दे दी.

पुलिस ने मजदूरों पर हत्या के प्रयास, डकैती समेत अन्य आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज किया था.

ये मजदूर प्रवासियों के एक बड़े समूह का हिस्सा थे, जो 17 मई को राजकोट में पुलिस के साथ भिड़ गए थे और लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्य जाने के लिए ट्रेनों में जगह देने की मांग कर रहे थे.

कोर्ट ने नोट किया कि स्थानीय प्रशासन को पहले से ही पता था कि फील्ड मार्शल ग्राउंड में सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर जमा हुए हैं, इसलिए यहां ये जरूरत थी कि पुलिस अन्य विभागों के साथ समन्वय से काम करे.

पीठ ने कहा कि पुलिस और नोडल ऑफिसर के बीच समन्वय की कमी के कारण अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई और इस तरह की घटना हुई.

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