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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स की राशि एनडीआरएफ में ट्रांसफर करने का विरोध किया

By द वायर स्टाफ on 10/07/2020

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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स के गठन जायज़ ठहराते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत एक क़ानूनी कोष यानी नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के होने मात्र से स्वैच्छिक दान के लिए अलग कोष के सृजन पर रोक नहीं है.

(फोटो साभार: ट्विटर)

(फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: केंद्र ने बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पीएम केयर्स फंड के गठन को सही ठहराया और कहा कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत एक कानूनी कोष यानी नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) के होने मात्र से स्वैच्छिक दान के लिए अलग कोष के सृजन पर रोक नहीं है.

केंद्र ने पीएम केयर्स फंड में प्राप्त हुई धनराशि को एनडीआरएफ में हस्तांतरित करने के अनुरोध का न्यायालय में विरोध किया है.

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इस संबंध में केंद्र के हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि गैर-सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस (सीपीआईएल) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी को इसकी प्रति उपलब्ध कराई जाए.

पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई करते हुए इसे प्रवासी श्रमिकों की स्थिति को लेकर न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान में लिए गए मामले के साथ संलग्न करने का आदेश दिया.

याचिकाकर्ता सीपीआईएल ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग में मदद के लिए एनडीआरएफ में प्राप्त राशि का इस्तेमाल करने और पीएम केयर्स फंड के बजाय एनडीआरएफ में सारा अनुदान करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है.

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि ऐसे अनेक फंड हैं जिनका राहत कार्यों के लिए पहले या अभी गठन किया गया है. पीएम केयर्स ऐसा ही एक स्वैच्छिक योगदान वाला कोष है.

हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि आपदा प्रबंधन कानून की धारा 46 के तहत प्रदत्त कोष पहले से ही है, जिसका नाम नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड है. एक कानूनी कोष होने मात्र से स्वैच्छिक दान के लिए पीएम केयर्स फंड जैसे अलग कोष का सृजन करने पर कोई प्रतिबंध नहीं हैं.

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि एनडीआरएफ केंद्र सरकार द्वारा बजट में किये गए प्रावधान का हिस्सा है. इसी तरह राज्य सरकारें और केंद्र बगैर किसी निजी योगदान के स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के लिए भी आवंटन करते हैं.

केंद्र ने कोविड-19 महामारी जैसे आपात हालात से निपटने और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के लिए 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड की स्थापना की थी. प्रधानमंत्री इस कोष के पदेन अध्यक्ष हैं जबकि रक्षा, गृह और वित्त मंत्री इसके पदेन ट्रस्टी हैं.

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि चंद लोगों द्वारा इसकी आलोचना के आधार पर इस कोष को केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, स्थानीय स्वशासी संस्थाओं, और नागरिकों आदि से मिले अप्रत्याशित राष्ट्रव्यापी सहयोग को कमतर करके नहीं आंका जा सकता है.

मालूम हो कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में पहले से ही ये प्रावधान है कि एनडीआरएफ में केंद्र सरकार के अलावा व्यक्तियों या संस्थानों द्वारा अनुदान दिया जा सकता है. हालांकि इसे लेकर अभी तक कोई एकाउंट या दिशानिर्देश तय नहीं किए गए हैं.

इस बारे में द वायर  ने अपनी एक रिपोर्ट में सवाल उठाया था कि आखिर क्यों इस एक्ट के बनने के 15 साल के बाद भी आज तक कोई एकाउंट नहीं खोला गया है, जिसमें लोग डोनेशन दे सकें.

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (डीएम एक्ट, 2005) की धारा 46(1) तहत एनडीआरएफ का गठन किया गया था. इस फंड की राशि को आपदा राहत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि अब तक इस फंड में सिर्फ केंद्र सरकार ही योगदान देती आई है.

जबकि एक्ट की धारा 46 (1) (बी) के तहत ये भी प्रावधान है कि कोई व्यक्ति या संस्थान भी योगदान दे सकते हैं, लेकिन इस संबंध में अब तक कोई एकाउंट नहीं खोला गया था या इसकी कोई प्रक्रिया नहीं बनाई गई थी.

इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए द वायर एवं अन्य द्वारा कुछ आरटीआई आवेदन दायर किए गए थे और भारत सरकार के सचिवों को पत्र लिखकर उनका ध्यान इस ओर खींचा गया, जिसके बाद सरकार हरकत में आई और वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इस संबंध में एक कार्यप्रणाली को मंजूरी दी है.

मंत्रालय ने केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर कहा है कि एकाउंट खोलने के संबंध में वे उचित कार्रवाई करें, ताकि व्यक्ति एवं संस्थान भी इसमें अनुदान दे सकें.

पीएम केयर्स फंड के विपरीत एनडीआरएफ को संसद से पारित किए गए कानून के तहत बनाया गया है, इसलिए इस पर आरटीआई एक्ट लागू है और यह एक पब्लिक अथॉरिटी है. इसके अलावा इसमें प्राप्त हुई राशि एवं खर्च की ऑडिटिंग राष्ट्रीय ऑडिटर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) करता है.

ये दो प्रमुख वजहें हैं जो कि जो एनडीआरएफ को पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है. इसलिए कई सारे लोग ये मांग कर रहे हैं कि पीएम केयर्स में प्राप्त अनुदान को इसमें ट्रांसफर किया जाए और जनता द्वारा अनुदान प्राप्त करने के लिए एनडीआरएफ में एक खाता खोला जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)


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