विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए यूपी सरकार ने एक सदस्यीय कमेटी गठित की

रिटायर्ड जज जस्टिस एसके अग्रवाल की अगुवाई वाली यह समिति विकास दुबे के अन्य सहयोगियों की एनकाउंटर में मौत के मामलों की भी जांच करेगी. इसका मुख्यालय कानपुर में होगा और इसे दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी.

विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की जगह और पुलिस काफिले की दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी. (फोटो: पीटीआई)

रिटायर्ड जज जस्टिस एसके अग्रवाल की अगुवाई वाली यह समिति विकास दुबे के अन्य सहयोगियों की एनकाउंटर में मौत के मामलों की भी जांच करेगी. इसका मुख्यालय कानपुर में होगा और इसे दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी.

विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की जगह और पुलिस काफिले की दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी. (फोटो: पीटीआई)
विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की जगह और पुलिस काफिले की दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने गैंगस्टर विकास दुबे को कथित पुलिस एनकाउंटर में मौत के मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की है. इस एक सदस्यीय समिति की अगुवाई रिटायर्ड जज जस्टिस एसके अग्रवाल करेंगे.

एनडीटीवी के मुताबिक, यह समिति दुबे के अन्य सहयोगियों के भी एनकाउंटर में मरने के मामलों की जांच करेगी. इसका मुख्यालय कानपुर में होगा और समिति को दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी.

इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने गैंगस्टर विकास दुबे की आपराधिक गतिविधियों और आठ पुलिसकर्मियों की हत्या मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया था.

इस एसआईटी टीम का नेतृत्व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी संजय भूसरेड्डी करेंगे. एसआईटी में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और डीआईजी रविंद्र गौड़ भी होंगे और टीम को अपनी रिपोर्ट 31 जुलाई तक सौंपनी होगी.

मालूम हो कि दो जुलाई की देर रात उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में पुलिस की एक टीम गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई थी, तब विकास और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था.

इस मुठभेड़ में डिप्टी एसपी सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और दुबे फरार हो गया था.

बाद में विकास दुबे को नौ जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार  किया गया. उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, स्पेशल टास्क फोर्स दुबे को अपने साथ कानपुर ला रही थी कि पुलिस दल की एक गाड़ी पलट गई.

पुलिस का कहना था कि इस दौरान विकास दुबे ने भागने की कोशिश की तो पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसके बाद दुबे को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

इसे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लग रहे थे कि दुबे की फर्जी एनकाउंटर में हत्या की गई है और पुलिस मनगढ़ंत कहानी बना रही है. लोगों ने मांग की थी कि मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए.

कथित पुलिस मुठभेड़ में मौत की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को तीन और याचिकाएं दायर की गईं.

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की ओर से दायर याचिका में विकास दुबे और उसके सहयोगियों की मौत की विशेष जांच टीम (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश में मुठभेड़ों और आपराधिक-राजनीतिक गठजोड़ की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाए.

इससे पहले विपक्ष द्वारा भी दुबे के कथित  एनकाउंटर की न्यायिक जांच की मांग की गई थी.