बीमार वरवरा राव को जेल में रखने की इजाज़त नहीं देता क़ानून: सामाजिक कार्यकर्ता

इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार और एनआईए को पत्र लिखकर अपील की है कि कवि वरवरा राव को जेल से जेजे अस्पताल में शिफ्ट किया जाए, जहां उन्हें उचित इलाज मिल सके. राव भीमा कोरोगांव हिंसा मामले में जेल में हैं.

वरवरा राव. (फोटो: पीटीआई )

इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार और एनआईए को पत्र लिखकर अपील की है कि कवि वरवरा राव को जेल से जेजे अस्पताल में शिफ्ट किया जाए, जहां उन्हें उचित इलाज मिल सके. राव भीमा कोरोगांव हिंसा मामले में जेल में हैं.

वरवरा राव. (फोटो: पीटीआई )
वरवरा राव. (फोटो: पीटीआई )

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से अपील करते हुए प्रसिद्ध इतिहासकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक एवं अन्य ने पत्र लिखकर कहा है कि जाने-माने कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव की बिगड़ी स्वास्थ्य हालत के कारण उन्हें तत्काल जेल से जेजे अस्पताल ट्रांसफर किया जाए और उचित स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाए.

कार्यकर्ताओं ने कहा कि ऐसी स्थिति में उन्हें जेल में रखने का कोई भी आधार न तो कानून में है और न ही हमारा जमीर (अंतरआत्मा) ऐसा करने की इजाजत देता है.

81 साल के वरवरा राव भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में एक आरोपी हैं और नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. बीते शनिवार को परिवार ने कहा कि राव की तबीयत काफी खराब हो गई है और उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है.

बीते मई में राव की तबियत बिगड़ने के तुरंत बाद उनके परिवार ने उन्हें जल्द जमानत दिए जाने को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी.

उनकी बेटी पावना ने द वायर  को बताया कि राव की जेल में पर्याप्त देखभाल नहीं की जा रही.

बीते शनिवार को पावना ने कहा, ‘आज हमें उनका फोन आया था, वह मुश्किल से एक मिनट बोल पाए. उनकी तबियत ठीक नहीं लग रही थी. उनके एक सह-आरोपी, जिन्हें उनकी देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्होंने हमें बताया कि उन्हें बेहतर इलाज के लिए जल्द से जल्द अस्पताल ले जाने की जरूरत है.’

वहीं, अकादमिक जगत के लोगों द्वारा लिखे गए पत्र में मांग की गई है कि वरवरा राव को तुरंत जेजे अस्पताल भेजा जाए, जहां उन्हें उचित इलाज मिल पाएगा.

सरकार और जांच एजेंसी से की गई अपील में कहा गया, ‘राव कहीं भाग नहीं जाएंगे और उन्होंने पिछले 22 महीनों में सभी जांच में सहयोग किया है. न तो कानून और न ही हमारी अंतरआत्मा ये गवाही देती है कि उन्हें ऐसी स्थिति में जेल में रखा जाए, जिसके चलते उनकी स्वास्थ्य और बिगड़ सकती है.’

उन्होंने कहा कि राव की गिरफ्तारी से काफी पहले से वे मांग कर रहे हैं कि जांच निष्पक्ष, तेज और न्यायपालिका की निगरानी में होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘अब हम ऐसी स्थिति में आ गए हैं जहां उनका जीवन दांव पर लगा है. ये सब जानते हुए भी व्यक्ति को हिरासत में रखकर उचित स्वास्थ्य इलाज देने से इनकार करना ‘एनकाउंटर’ के समान होगा.’

अथॉरिटीज से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करके देश के लोगों को विश्वास दिलाया जाएगा कि भारत कानून और संविधान का सम्मान करता है और ये सुनिश्चित किया जाए कि वरवरा राव को तत्काल और पर्याप्त इलाज मिले. उन्होंने कहा कि राव के परिजनों को ये इजाजत दी जानी चाहिए कि वे उनकी देखभाल कर सकें.

इस पत्र पर रोमिला थापर, प्रभात पटनायक, देवकी जैन, माजा दारूवाला और सतीश देशपांडे ने हस्ताक्षर किया है.

एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के आवास मंत्री जितेंद्र अव्हाड़ ने भी केंद्र सरकार से विनती की है कि वरवरा राव को अस्पताल भेजा जाए.

बीते रविवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘हम वरवरा राव की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर बहुत चिंतित हैं. वो केंद्रीय गृह मंत्रालय की कैद में हैं, न कि महाराष्ट्र सरकार में. हम केंद्र सरकार से गुजारिश करते हैं कि उन्हें तत्काल अस्पताल में शिफ्ट किया जाए.’

बता दें कि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव-एलगार परिषद मामले में कथित भूमिका के लिए राव को जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था और वह तब से जेल में हैं.

उन्हें एक अन्य आरोपी के साथ पुणे की यरवदा जेल से तलोजा जेल ले जाया गया था. मुंबई की जेलों में लगभग 500 लोग कोरोना संक्रमित हैं जबकि चार की मौत हो चुकी है.

तलोजा जेल में बंद 81 वर्षीय वरवरा राव को 28 मई की शाम अचानक बेहोश हो जाने के बाद जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

उस समय दो पूर्व सूचना आयुक्तों ने महाराष्ट्र सरकार को लिखे पत्र में कहा था कि सबूतों के अभाव के चलते राव के पास निर्दोष होने के बतौर रिहाई का पूरा हक़ है.

राव बवासीर, हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं जबकि अल्सर और रक्तचाप की दवा लेते हैं. राव के वकीलों ने उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी, जो अभी लंबित है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25