कांग्रेस नेता सचिन पायलट सहित 19 बागी विधायकों के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि असंतुष्ट विधायक राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिसों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं. याचिकाकर्ता संविधान की 10वीं अनुसूचि में मौजूद दलबदल विरोधी कानून को चुनौती देंगे.

कांग्रेस नेता सचिन पायलट (फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली/जयपुर: राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी द्वारा सचिन पायलट सहित कांग्रेस पार्टी के 19 बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी किए जाने के खिलाफ पायलट समर्थक विधायकों ने गुरुवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
समचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, प्रदेश विधानसभा स्पीकर द्वारा उन्हें अयोग्यता नोटिस जारी किए जाने को पृथ्वीराज मीणा ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले में बागी विधायकों की ओर से हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी अदालत में पेश होंगे.
अपनी याचिका में बागी विधायकों ने उन्हें बीते 14 जुलाई को जारी अयोग्यता नोटिस को रद्द करवाने की मांग की है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, हरीश साल्वे ने कहा कि असंतुष्ट विधायक राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिसों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं. याचिकाकर्ता संविधान की 10वीं अनुसूचि में मौजूद दलबदल विरोधी कानून को चुनौती देंगे.
वहीं, राजस्थान विधानसभा स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी पक्ष रखेंगे.
Sachin Pilot & 18 other Congress MLAs who have approached #Rajasthan High Court over disqualification notice from Assembly Speaker seeks quashing and setting aside of the show cause notice issued on 14th July by Speaker, Rajasthan Legislative Assembly.
— ANI (@ANI) July 16, 2020
इस मामले में बृहस्पतिवार तीन बजे सुनवाई होने वाली थी लेकिन याचिककर्ताओं द्वारा अपनी याचिका में कुछ बदलाव के लिए समय मांगे जाने के बाद फिलहाल सुनवाई टल गई है. बदलाव वाली याचिका पेश होने के लिए मामले की सुनवाई शुरू होगी. कांग्रेस के मुख्य ह्विप महेश जोशी के वकील अभय कुमार भंडारी ने इसकी जानकारी दी.
वहीं, मामले की सुनवाई अब खंडपीठ द्वारा की जाएगी.
बता दें कि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट सहित कांग्रेस पार्टी के 19 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है और शुक्रवार तक जवाब देने के लिए कहा है.
अगर बागी विधायक अयोग्य ठहरा दिए जाते हैं तो यह अशोक गहलोत सरकार के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे सदन में बहुमत साबित करने की संख्या कम हो जाएगी.
बता दें कि राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी घमासान के बीच 14 जुलाई को दूसरी बार बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के शामिल नहीं होने के बाद पार्टी ने उन्हें उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था. हालांकि, वे अभी भी पार्टी के सदस्य बने हुए हैं.
पायलट के साथ ही उनके दो समर्थकों विश्वेंदर सिंह और रमेश मीणा को भी राजस्थान कैबिनेट से हटा दिया गया था.
इसके बाद सचिन पायलट ने बुधवार को कहा था कि वे भाजपा में नहीं शामिल हो रहे हैं और अभी भी कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं.
वहीं, इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि जयपुर में विधायकों की खरीद-फरोख्त की जा रही थी, हमारे पास सबूत हैं.
इस बीच कांग्रेस महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे ने बुधवार को कहा था कि अगर प्रदेश के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपनी ‘गलतियों’ के लिए माफी मांग लें तो बात बन सकती है, लेकिन हर चीज की समयसीमा होती है. उन्होंने यह आरोप फिर दोहराया था कि अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश में पायलट शामिल थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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