बिहार चुनाव: विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से वर्चुअल प्रचार अभियान पर रोक लगाने की मांग की

विपक्षी दलों ने सत्तारूढ भाजपा-जदयू गठबंधन द्वारा ज़ोर-शोर से की जा रहीं वर्चुअल रैलियों के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग से गुहार लगाते हुए कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से नहीं हो सकता है. डिजिटल अभियान पर किए जाने वाले ख़र्च की सीमा तय की जानी चाहिए.

Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar adjusts the turban during 'Virat Chhatra Sanagam', in Patna, Thursday, Oct 11, 2018. (PTI Photo) (PTI10_11_2018_000050B)
नीतीश कुमार. (फोटो: पीटीआई)

विपक्षी दलों ने सत्तारूढ भाजपा-जदयू गठबंधन द्वारा ज़ोर-शोर से की जा रहीं वर्चुअल रैलियों के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग से गुहार लगाते हुए कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से नहीं हो सकता है. डिजिटल अभियान पर किए जाने वाले ख़र्च की सीमा तय की जानी चाहिए.

Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar adjusts the turban during 'Virat Chhatra Sanagam', in Patna, Thursday, Oct 11, 2018. (PTI Photo) (PTI10_11_2018_000050B)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फोटो: पीटीआई)

पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही राज्य की नौ विपक्षी दलों ने एक साथ आकर सत्तापक्ष भाजपा-जदयू द्वारा जोर-शोर से की जा रहीं वर्चुअल रैलियों के खिलाफ चुनाव आयोग में गुहार लगाई है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नौ विपक्षी पार्टियों ने बीते शुक्रवार को चुनाव आयोग से कहा कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से नहीं हो सकता है और डिजिटल अभियान पर किए जाने वाले खर्च की सीमा तय की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि डिजिटल अभियान का मतलब है कि दो तिहाई मतदाता इस पूरी प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे.

द क्विंट के अनुसार, ज्ञापन में वर्चुअल तरीके की बजाय परंपरागत शैली में चुनाव कराने की मांग करते हुए कहा गया है कि चुनाव आयोग यह बताए कि जिस राज्य में महज 37 प्रतिशत इंटरनेट सेवा की उपलब्धता है, वहां वर्चुअल तरीके से चुनाव कैसे हो सकता है.

चुनाव को टालने की मांग न करते हुए विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से मतदाताओं को इस बारे में आश्वस्त करने को कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव कोविड-19 महामारी के बीच बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलाने वाला आयोजन नहीं बनेगा.

विपक्षी दलों के नेताओं ने उचित दूरी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक मतदात केंद्र पर मतदाताओं की संख्या भी 250 तक सीमित करने को कहा.

नौ दलों के नेताओं ने चुनाव आयोग से प्रचार अभियान के दौरान अधिकतम मतदाता की भागीदारी को सुनिश्चित करते हुए सामान्य प्रचार अभियान की परिस्थिति तैयार करने, सभी प्रत्याशियों के लिए समान स्तर की भागीदारी, सांप्रदायिक और सामाजिक ध्रुवीकरण चाहने वालों को दंडित करने के लिए मतदान संस्था द्वारा सक्रिय हस्तक्षेप की मांग की.

चुनाव आयोग के साथ वर्चुअल बैठक में कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल, राजद के मनोज कुमार झा, आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन के अन्य नेता जैसे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भाग लिया.

रिपोर्ट के अनुसार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, उनके भाकपा समकक्ष डी. राजा और सीपीआई (एमएल) (लिबरेशन) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य बैठक में शामिल हुए. इससे पता चलता है कि वाम दल महागठबंधन का हिस्सा होंगे.

बैठक के ठीक बाद चुनाव आयोग ने महामारी के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के प्रचार अभियान को लेकर दिशा-निर्देश तय करने के लिए सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से राय मांगी है.

ज्ञापन में कहा गया है, ‘कोविड-19 महामारी से राज्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. राजधानी पटना में करीब 89 निरूद्ध क्षेत्र हैं तथा 16 से अधिक जिलों में 16 जुलाई से और 15 दिनों के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. ’

विपक्षी दलों ने हैरानी जताते हुए कहा है कि करीब 13 करोड़ की आबादी और 7.5 करोड़ मतदाताओं वाले राज्य में चुनाव आयोग लोगों के बीच कम से कम दो गज की दूरी कैसे सुनिश्चित करेगा.

बैठक के बाद राजद सांसद मनोज झा ने दावा किया, ‘हमने आयोग को महामारी के संबंध में राज्य की गंभीर स्थिति से अवगत कराया. जब हम ज्ञापन बना रहे थे तब संक्रमण के 22,000 मामले थे. बैठक खत्म होने पर 23,000 मामले हो गए.’

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर 250 से ज्यादा मतदाता न हों.

राजद सांसद ने कहा, ‘शारीरिक दूरी के नियमों और मतदान के समय को ध्यान में रखते हुए आप 1,000 लोगों को नहीं संभाल सकते. आपको (प्रत्येक मतदान केंद्र पर वोटरों की संख्या) यह संख्या घटाकर 250 करनी होगी. ’

सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने बिहार में प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1,000 तक सीमित कर दी है. क्या महामारी के मद्देनजर विधानसभा चुनाव टालने की भी अपील की गई, इस पर झा ने कहा कि ऐसी कोई मांग नहीं उठी.

उन्होंने कहा, ‘हमने कहा कि जीवन का अधिकार महत्वपूर्ण है. लोकतंत्र में चुनाव एक उत्सव होता है. उस त्यौहार में पूर्ण भागीदारी में कोई अड़चन और अवरोध नहीं हो सकता.’

ज्ञापन में कहा गया है, ‘लोग पूरी तरह से स्पष्टता चाहते हैं ताकि अधिकतम संख्या में मतदाताओं की भागीदारी प्रतिकूल रूप से प्रभावित न हो. लोग आयोग से यह उम्मीद भी करते हैं कि वह लोगों को इस बारे में आश्वस्त करेगा कि समूची चुनाव प्रक्रिया बड़े पैमाने पर लोगों को (कोविड-19 से) संक्रमित करने वाला आयोजन नहीं बनेगी.’

सभी राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय दलों को एक पत्र में चुनाव आयोग ने देश में कोविड-19 की मौजूदा स्थिति का हवाला दिया और इसे रोकने के लिए सुरक्षा उपायों के तौर पर आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत कई निर्देशों का हवाला दिया.

बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ उपचुनावों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि उसने इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों से राय लेने का फैसला किया है.

आयोग के अनुसार, सभी दलों से 31 जुलाई तक अपनी राय और सुझाव देने को कहा गया है ताकि महामारी के दौरान चुनाव करवाने के लिए उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा चलाए जाने वाले प्रचार अभियान को लेकर आवश्यक निर्देश तैयार किए जा सकें.

बता दें कि बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म हो रहा है और नई विधानसभा का गठन उससे पहले किया जाना है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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