असम: कोविड सेंटर में उचित देखभाल न मिलने से नाराज़ होकर निकले सौ मरीज़, हाईवे अवरुद्ध किया

मामला कामरूप ज़िले के एक कोविड केयर सेंटर का है, जहां रह रहे मरीज़ों का आरोप है कि उन्हें सेंटर में उचित खाना-पीना नहीं दिया जा रहा, बिस्तरों की हालत भी ठीक नहीं है, साथ ही 10-12 मरीज़ों को एक ही कमरे में रखा गया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मामला कामरूप ज़िले के एक कोविड केयर सेंटर का है, जहां रह रहे मरीज़ों का आरोप है कि उन्हें सेंटर में उचित खाना-पीना नहीं दिया जा रहा, बिस्तरों की हालत भी ठीक नहीं है, साथ ही 10-12 मरीज़ों को एक ही कमरे में रखा गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

रांगिया/गुवाहाटी: असम के कामरूप जिले में एक कोविड देखभाल केंद्र से करीब सौ मरीज बाहर निकल आए और राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें पर्याप्त भोजन और पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है.

एनडीटीवी की खबर के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह घटना चांगसारी में गुरुवार को हुई, जब कुछ असिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीज सेंटर से निकलकर पास के गुवाहाटी के बाहरी इलाके वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर पहुंच गए और कथित तौर पर इसे अवरुद्ध कर दिया।

उनका आरोप था कि उन्हें सेंटर में उचित खाना-पीना नहीं दिया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि इसकी सूचना मिलने पर कामरूप के उपायुक्त कैलाश कार्तिक पुलिस के साथ गुरुवार को कोविड सेंटर पहुंचे।

उन्होंने मरीजों से राजमार्ग से हटने तथा सेंटर लौटने के लिए कहा ताकि बातचीत के जरिए मामले का हल निकाला जा सके. एक अधिकारी ने बताया कि इलाके में तनाव बना हुआ है. हालांकि आश्वासन के बाद मरीज केंद्र में वापस लौट गए.

मरीजों ने आरोप लगाया कि उन्हें भोजन और पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा और बिस्तरों की हालत भी ठीक नहीं है, साथ ही 10-12 मरीजों को एक ही कमरे में रखा गया है.

अधिकारी ने बताया कि उपायुक्त ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनके आरोपों पर विचार किया जाएगा और उन्हें दूर करने के प्रयास किए गए.

वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि अगर मरीज कोविड केयर सेंटर से खुश नहीं है, तो वे अपने घर में क्वारंटीन हो सकते हैं.

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम उन्हें देखभाल सेंटर लेकर आए ताकि उनका इलाज हो सके और वे दूसरे लोगों को संक्रमित न करें. अगर वे वहां खुश नहीं हैं तो वे शपथपत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं और घर पर क्वारंटीन में रह सकते हैं.’

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्यकर्मी दिन- रात ड्यूटी पर हैं और काम का अत्यधिक बोझ होने के कारण कुछ विलंब हो सकता है.

शर्मा ने कहा, ‘दूसरे राज्यों में तो जांच के लिए भी पैसे लिए जा रहे हैं लेकिन असम में जांच से लेकर रहने और खाने तक का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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