एम्स के पैनल ने कोरोना वायरस वैक्सीन के मानव परीक्षण की मंज़ूरी दी

एम्स की एथिक्स कमेटी ने स्वदेशी तौर पर विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ के मानव परीक्षण की अनुमति दी है. इसके लिए 20 जुलाई से रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाएगा.

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कोवैक्सिन. (फोटो साभार: फेसबुक/bharatbiotech)

एम्स की एथिक्स कमेटी ने स्वदेशी तौर पर विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ के मानव परीक्षण की अनुमति दी है. इसके लिए 20 जुलाई से रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाएगा.

कोवैक्सिन. (फोटो साभार: फेसबुक/bharatbiotech)
कोवैक्सिन. (फोटो साभार: फेसबुक/bharatbiotech)

नई दिल्ली: एम्स की आचार समिति (एथिक्स कमेटी) ने कोविड-19 के स्वदेशी तौर पर विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ के मानव परीक्षण की शनिवार को अनुमति दे दी.

अब इसके लिए एम्स परीक्षण में स्वेच्छा से शामिल होने के इच्छुक स्वस्थ लोगों का सोमवार से रजिस्ट्रेशन शुरू करेगा.

कोवैक्सीन के मानव पर पहले और दूसरे चरण के परीक्षण के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने दिल्ली स्थित एम्स समेत 12 संस्थानों का चयन किया है.

पहले चरण में टीके का 375 लोगों पर परीक्षण किया जाएगा, जिनमें से अधिकतम 100 लोग एम्स से हो सकते हैं.

एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन में प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने बताया, ‘एम्स की आचार समिति ने कोवैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू करने की आज (शनिवार को) मंजूरी दे दी. इस परीक्षण में स्वस्थ लोगों को शामिल किया जाएगा जिन्हें कोई और रोग नहीं है, जो कोविड-19 से पीड़ित नहीं रहे हैं और जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक तथा 55 वर्ष से कम है.’

उन्होंने बताया, ‘कुछ लोग इस परीक्षण के लिए पहले ही पंजीयन करवा चुके हैं. अब हर व्यक्ति की जांच, सेहत आदि का आकलन करने का काम सोमवार से शुरू होगा जिसके बाद ही टीका परीक्षण किया जाएगा.’

परीक्षण में शामिल होने के इच्छुक लोग एम्स की वेबसाइट पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

कोवैक्सीन को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने आईसीएमआर तथा राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर विकसित किया है. इसके मानव परीक्षण की मंजूरी भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने हाल में दी थी.

यह देखते हुए कि यह भारत द्वारा विकसित किया जाने वाला पहला स्वदेशी वैक्सीन है, आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने हाल ही में 12 केंद्रों के प्रमुख जांचकर्ताओं को लिखे एक पत्र में कहा था कि मानव परीक्षण में तेजी लाया जाए क्योंकि यह सर्वोच्च प्राथमिकता वाला प्रोजेक्ट है.

फिलहाल पटना के एम्स में परीक्षण शुरू कर दिया है और कुछ अन्य जगहों पर भी काम हो रहा है.

डीजीसीआई ने भारत बायोटेक के अलावा जाइडस कैडिला द्वारा निर्मित एक अन्य वैक्सीन को मानव परीक्षण के लिए मंजूरी दी है.

डॉ. बलराम भार्गव ने कहा था कि इन दोनों वैक्सीनों का चूहों और खरगोशों पर सफलतापूर्वक विषाक्तता अध्ययन किया गया है और इन आंकड़ों को डीसीजीआई को प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद दोनों को इस महीने की शुरुआत में प्रारंभिक चरण के मानव परीक्षण शुरू करने की मंजूरी मिली थी.

उन्होंने कहा कि परीक्षण का स्थान तैयार है और लगभग 1000 लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा.

हालांकि भार्गव द्वारा वैक्सीन को लोगों के स्वास्थ्य इस्तेमाल के लिए तैयार करने की 15 अगस्त की समयसीमा निर्धारित करने पर वैज्ञानिक चिंता जता रहे हैं.

भार्गव की इस घोषणा को राजनीतिक दलों द्वारा इस तरह से देखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर वैक्सीन लॉन्च कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करेंगे.

इस पर आईसीएमआर का कहना है कि अनावश्यक लालफीताशाही से बचने के लिए बिना किसी आवश्यक प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए वैक्सीन के विकास में तेजी लाने का आदेश दिया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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