मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन पिछले कुछ समय से विभिन्न ​बीमारियों से जूझ रहे थे. उनके निधन पर उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है.

लालजी टंडन. (फोटो: फेसबुक)

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन पिछले कुछ समय से विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे थे. उनके निधन पर उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है.

लालजी टंडन. (फोटो: फेसबुक)
लालजी टंडन. (फोटो: फेसबुक)

लखनऊ: मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार सुबह लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. वह 85 वर्ष के थे.

मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने कहा, ‘मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का सुबह 5:35 बजे पर निधन हो गया.’

टंडन को पिछले महीने 11 जून को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और पेशाब संबंधी समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत खराब होने के कारण उत्तर प्रदेश की राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्‍य प्रदेश का अतिरिक्‍त कार्यभार सौंपा गया था.

टंडन के पुत्र एवं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन ने जानकारी दी कि लालजी टंडन का अंतिम संस्कार लखनऊ के गुलाला घाट चौक में शाम 4:30 बजे होगा.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा है, ‘बाबूजी नहीं रहे.’

उन्होंने यह भी कहा है, ‘कोरोना आपदा के कारण आप सब से करबद्ध प्रार्थना है कि शासन द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अपने अपने घरों में ही पूज्य बाबू जी को श्रद्धासुमन अर्पित करें, जिससे कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके.’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टंडन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, मध्य प्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री लालजी टंडन जी के निधन की खबर सुनकर शोक हुआ. उनके निधन से देश ने एक लोकप्रिय जननेता,योग्य प्रशासक एवं प्रखर समाज सेवी को खोया है.’

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘वे लखनऊ के प्राण थे. ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना करता हूं. मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं.’

उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री लाल जी टंडन के निधन पर मुझे गहरा दुख है. देश ने एक ऐसे दिग्गज नेता को खो दिया है, जो लखनवी नफासत और प्रखर-बुद्धिमत्ता के मूर्तिमान उदाहरण थे. उनके परिवार और मित्रजनों के प्रति मेरी गहन शोक-संवेदनाएं.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘श्री लालजी टंडन को समाज की सेवा के उनके अथक प्रयासों के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने एक प्रभावी प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई, हमेशा लोक कल्याण को महत्व दिया. उनके निधन से दुखी हूं.’

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके निधन पर शोक जताया है. उन्होंने कहा, श्रद्धेय टंडन जी का जाना मेरी व्यक्तिगत क्षति है. उनसे मुझे सदैव पितृतुल्य स्नेह मिला. जब भी कभी मुश्किल आती थी, मैं उनका मार्गदर्शन लेता था. उनकी कमी को अब पूरा नहीं किया जा सकता.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘श्रद्धेय टंडन जी कुशल संगठक, राष्ट्रवादी विचारक और सफल प्रशासक थे. स्व. अटल जी के निकट सहयोगी रहते हुए उन्होंने लखनऊ और उत्तर प्रदेश के विकास में अतुलनीय योगदान दिया. उनके द्वारा किये गए विकास कार्यों को वर्षों तक याद किया जाएगा.’

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ट्वीट किया, ‘भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, हम सभी के मार्गदर्शक, मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन जी के निधन की खबर बेहद दु:खद है. उनसे हर कदम पर कुछ नया सीखने को मिलता रहा. समाज एवं राष्ट्र के प्रति उनका पूर्ण समर्पण भाव आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा.’

उन्होंने कहा, ‘उनका निधन भाजपा संगठन के लिए ही नहीं, अपितु पूरे राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे और उनके परिजनों व समर्थकों को यह दुख सहने का संबल प्रदान करे.’

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया, ‘मध्यप्रदेश के राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में कई बार वरिष्ठ मंत्री रहे लालजी टंडन बहुत सामाजिक, मिलनसार एवं संस्कारी व्यक्ति थे. इलाज के दौरान आज लखनऊ में उनका निधन होने की खबर अति-दुःखद है. मैं उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं.’

बसपा सुप्रीमो अगस्त 2003 में जब उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, उस समय उन्होंने रक्षाबंधन के मौके पर टंडन को राखी बांधी थी.

समर्थकों में ‘बाबूजी’ के नाम से लोकप्रिय थे टंडन

समर्थकों और शुभचिन्तकों के बीच ‘बाबूजी’ के नाम से लोकप्रिय लालजी टंडन का नाम उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं की सूची में शुमार है. उनका राजनीतिक करियर कई दशकों लंबा रहा, जिसमें उन्होंने राज्य में मंत्री बनने से लेकर कई राज्यों का राज्यपाल बनने तक का सफर तय किया.

अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के दौर के नेता टंडन लोकसभा सांसद भी रहे और मौजूदा समय में मध्य प्रदेश के राज्यपाल थे.

‘बाबूजी’ के नाम से लोकप्रिय टंडन 2009-14 में लखनऊ लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए. उस समय खराब स्वास्थ्य के चलते अटल बिहारी वाजपेयी ने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा था.

मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उन्होंने 29 जुलाई 2019 को शपथ ली थी. इससे पहले 23 अगस्त 2018 से 28 जुलाई 2019 तक वह बिहार के राज्यपाल थे.

टंडन जब मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने, तब वहां कांग्रेस सरकार थी. मार्च में वहां राजनीतिक उठा-पटक और कांग्रेस के बाहर जाने ओर भाजपा के सत्ता में आने के पूरे घटनाक्रम में टंडन की भूमिका काफी चर्चा में रही.

मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से मार्च में छह मंत्रियों सहित 22 विधायकों ने बगावत कर दी और इस्तीफा दे दिया. ये सभी पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते थे.

जब कमलनाथ ने शक्ति परीक्षण में देरी की तो मंझे हुए प्रशासक एवं राजनेता के रूप में टंडन ने सरकार से कहा कि वह विधानसभा में बहुमत साबित करें. इसके बाद मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच पत्राचार का सिलसिला चलता रहा, जो बाद में कानूनी लड़ाई में तब्दील हो गया. अंतत: उच्चतम न्यायालय ने इस पूरे प्रकरण में टंडन के निर्देश के पक्ष में फैसला सुनाया

कमलनाथ सरकार 22 विधायकों के इस्तीफे से अल्पमत में आ गयी और सरकार गिर गयी, जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने का रास्ता तैयार हुआ.

उसी समय देश भर में वैश्विक महामारी कोविड-19 फैली और अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी लॉकडाउन लगा. इस दौरान टंडन ने जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने के लिए राजभवन की रसोई खोल दी.

साथ ही राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में टंडन शैक्षिक संस्थानों की नियमित निगरानी करते रहे और उन्होंने सुनिश्चित किया कि किसी भी कीमत पर शिक्षण के मानदंड बने रहें.

टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ के चौक में हुआ था. स्नातक करने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. पहली बार वह 1978 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने. ऊपरी सदन में वह दो बार 1978 -1984 और उसके बाद 1990 -1996 के बीच चुने गए.

वह 1996 से 2009 के बीच तीन बार विधायक चुने गये और 1991-92 में पहली बार उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री बने. उस समय उनके पास उर्जा विभाग था.

उत्तर प्रदेश में भाजपा के दमदार नेता माने जाने वाले टंडन ने बसपा-भाजपा की गठबंधन सरकार में बतौर शहरी विकास मंत्री अपनी सेवाएं दी. उन्होंने कल्याण सिंह सरकार में भी बतौर मंत्री अपनी सेवाएं दी थीं.

टंडन का विवाह 1958 में कृष्णा टंडन से हुआ था. उनके तीन बेटे हैं. उनमें से एक आशुतोष टंडन इस समय उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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