मध्य प्रदेशः इलाज के लिए 14 घंटे इंतज़ार के बाद अस्पताल परिसर में युवक की मौत, जांच के आदेश

मामला गुना के ज़िला अस्पताल का है. मृतक की पत्नी का आरोप है कि इलाज के लिए पर्ची बनवाने के लिए उनसे पैसे मांगे थे और पैसे न होने के कारण उनके पति को भर्ती नहीं किया गया. अस्पताल ने आरोप का खंडन किया है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

मामला गुना के ज़िला अस्पताल का है. मृतक की पत्नी का आरोप है कि इलाज के लिए पर्ची बनवाने के लिए उनसे पैसे मांगे थे और पैसे न होने के कारण उनके पति को भर्ती नहीं किया गया. अस्पताल ने आरोप का खंडन किया है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

मध्य प्रदेश के गुना के जिला अस्पताल में मरीज को कथित तौर पर इलाज के लिए 14 घंटे इंतजार करना पड़ा लेकिन समय पर इलाज न मिलने से उसकी मौत हो गई.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मरीज की पत्नी का आरोप है कि अस्पताल ने इलाज के लिए पर्ची बनवाने के लिए उनसे पैसे मांगे थे. पैसे न होने के कारण उनके पति को भर्ती नहीं किया गया और इलाज नहीं मिलने से उनकी मौत हो गई.

इस घटना के सामने आने के बाद जिला कलेक्टर ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं.

गुना के जिला अस्पताल के सिविल सर्जन ने शुक्रवार को कलेक्टर के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उन्होंने मरीज की पत्नी से अस्पताल द्वारा किसी भी तरह के पैसे मांगने और पैसों का भुगतान न करने पर मरीज का इलाज नहीं करने के आरोपों से इनकार किया है.

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, गुना के अशोक नगर में शंकर कॉलोनी की रहने वाली आरती रजक (20) अपने पति सुनील धाकड़ (22) और अपने ढाई साल के बच्चे के साथ 22 जुलाई की शाम को अस्पताल पहुंची थीं.

आरती ने संवाददाताओं को बताया कि वह अपने पति को लेकर अस्पताल पहुंची थीं और अस्पताल परिसर में पेड़ के नीचे लिटा दिया.

आरती ने बताया, ‘डॉक्टर से मिलने के लिए उसने काउंटर पर संपर्क किया लेकिन वहां बैठे शख्स ने इसके लिए पर्ची कटाने के लिए पैसे मांगे.’

महिला का कहना है कि उसे पास पैसे नहीं थे इसलिए वह पति के पास लौट आई और उन्होंने पूरी रात पेड़ के नीचे बिताई.

महिला का कहना है कि अगले दिन वह दोबारा काउंटर पर गई लेकिन इस बार पर वहां बैठे एक अन्य शख्स ने अगला काउंटर खुलने तक उन्हें इंतजार करने को कहा. इस बीच करीब आठ बजे सुनील ने दम तोड़ दिया।

गुना के कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने शुक्रवार को कहा, ‘उन्होंने बिना इलाज अस्पताल परिसर में एक युवक की मौत का पता लगने के बाद जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ एसके श्रीवास्तव के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं.’

पुरुषोत्तम ने कहा, ‘सिविल सर्जन ने अपने आठ पेज की रिपोर्ट में कहा है कि सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, महिला 23 जुलाई को सुबह चार बजे अस्पताल पहुंची थीं और उन्होंने इलाज के लिए अस्पताल के किसी भी स्टाफ से संपर्क नहीं किया था. न ही महिला से किसी तरह का पैसा मांगा गया. राज्य सरकार के आदेशों के अनुरूप पर्ची कटाने के लिए अस्पताल मरीज से किसी तरह का शुल्क नहीं लेता.’

उन्होंने कहा, ‘सिविल सर्जन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि महिला ने अस्पताल में अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि वह अस्पताल परिसर के भीतर नहीं गई और मृतक के दोस्त जमील खान के बयान के मुताबिक मृतक को टीबी था और वह शराब और नशे का आदी था.’

कलेक्टर ने कहा, ‘जब कोई अस्पताल से संपर्क करता है तो यह अस्पताल स्टाफ की ड्यूटी है कि वह मरीज को इलाज मुहैया कराए और उनके प्रति संवेदना दिखाएं.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने डिप्टी कलेक्टर सोनम जैन द्वारा मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं और अगर कोई जांच में लापरवाही बरतने का आरोपी पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.’

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