65 से अधिक उम्र के कलाकारों के काम करने पर रोक लगाने का फ़ैसला भेदभावपूर्णः बॉम्बे हाईकोर्ट

महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना के मद्देनज़र 65 वर्ष से अधिक उम्र के कलाकारों के शूटिंग सेट पर काम करने पर रोक लगाई है. इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब किसी वरिष्ठ नागरिक को दुकान खोलने और वहां पूरा दिन बैठे रहने से नहीं रोका जा सकता, तो कलाकारों को काम से रोकने का आधार क्या है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना के मद्देनज़र 65 वर्ष से अधिक उम्र के कलाकारों के शूटिंग सेट पर काम करने पर रोक लगाई है. इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब किसी वरिष्ठ नागरिक को दुकान खोलने और वहां पूरा दिन बैठे रहने से नहीं रोका जा सकता, तो कलाकारों को काम से रोकने का आधार क्या है.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

मुंबईः बॉम्बे हाईकोर्ट ने 65 साल से अधिक उम्र के कलाकारों के शूटिंग स्थलों पर काम करने पर रोक लगाने के फैसले को भेदभावपूर्ण बताया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है कि जब एक वरिष्ठ नागरिक को दुकान खोलने और वहां पूरा दिन बैठे रहने से नहीं रोका जा सकता तो आखिर किन आधारों पर कलाकारों के काम करने पर रोक लगाई गई है.

जस्टिस एसजे कथावाला और जस्टिस आरआई छागला की पीठ वरिष्ठ अभिनेता प्रमोद पांडेय (70) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात टिप्पणी की है.

वरिष्ठ अभिनेता प्रमोद पांडे ने महाराष्ट्र सरकार के 31 मई 2020 को जारी दिशानिर्देशों को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इन दिशानिर्देशों में कोरोना के मद्देनजर 65 वर्ष से अधिक उम्र के कलाकारों के शूटिंग सेट पर काम करने पर रोक लगाई गई है.

याचिकाकर्ता ने कहा, ‘वह चार दशक से टीवी सीरियल और फिल्मों में छोटी भूमिकाएं निभा रहे हैं और उनके पास आय का कोई दूसरा स्रोत नहीं है.’

उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. इसके बावजूद उन्हें स्टूडियो तक जाने और शूटिंग में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं दी जा रही है.

याचिका में महाराष्ट्र सरकार के 31 मई को जारी किए गए आदेश को रद्द करने की मांग की गई है.

सरकार ने निर्माताओं के लिए 16 पेज के दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें बताया गया है कि फिल्म और टेलीविजन प्रॉडक्शन शुरू करने के लिए इनका कब और कैसे पालन करना है.

सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया, ‘ये दिशानिर्देश भेदभावपूर्ण नहीं हैं क्योंकि जरूरी सेवाओं के लिए छोड़कर सभी वरिष्ठ नागरिकों के घर से बाहर निकलने पर रोक है. कलाकारों के लिए दिशानिर्देश कोरोना महामारी के मद्देनजर केंद्र सरकार के निर्देशों पर आधारित हैं.’

जस्टिस कंथारिया ने सरकार से पूछा कि अगर सभी वरिष्ठ नागरिकों के पेशेवर काम करने पर रोक है तो क्या सरकार 70 साल के एक बुजुर्ग को अपनी दुकान खोलने और पूरा दिन दुकान में बैठने से रोकेगी?

इस पर राज्य सरकार ने जवाब दिया कि उन पर इस तरह की कोई रोक नहीं है.

जस्टिस कंथारिया ने कहा, ‘तो आप कलाकारों को क्यों रोक रहे हैं इन नियमों को आपने और कहां-कहां लागू किया है. यह भेदभावपूर्ण हैं.’

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि छोटे किरदार निभाने वाले कलाकारों को स्टूडियो जाना पड़ता है और दो वक्त की रोटी कमाने के लिए काम मांगना पड़ता है. कोई भी निर्देशक या निर्माता उनकी भूमिका फेसटाइम, जूम या स्काइप से शूट नहीं करने वाला है.

अदालत ने कहा, राज्य सरकार को एक हलफनामे में बताना होगा कि 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सम्मानित जीवन कैसे जिएगा, अगर उसे आजीविका के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी.

पीठ ने कहा कि सरकार को हलफनामे में यह भी बताना होगा कि इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करते वक्त क्या किसी तरह के डेटा या सांख्यिकी पर विचार किया गया था.

अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 24 जुलाई को निर्धारित की है.

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