सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में 1528 गैर-न्यायिक हत्याओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया

मणिपुर में सन 2000 से 2012 के बीच सेना और पुलिस पर कथित रूप से 1528 गैर-न्यायिक हत्याएं करने का आरोप है. कोर्ट ने सीबीआई निदेशक से कहा, जांच अधिकारियों की टीम गठित करें.

(फोटो: पीटीआई)

मणिपुर में  2000 से 2012 के बीच सेना और पुलिस पर 1528 ग़ैर-न्यायिक हत्याएं करने का आरोप है. कोर्ट ने सीबीआई निदेशक से कहा, जांच अधिकारियों की टीम गठित करें.

Supreme Court PTI

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उग्रवाद से प्रभावित मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस द्वारा की गई कथित गैर-न्यायिक हत्याओं के मामले की सीबीआई जांच का निर्देश दिया है.

न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने सीबीआई निदेशक से कहा है कि वे इन कथित हत्याओं के मामले की जांच के लिए अधिकारियों की एक टीम गठित करें.

मणिपुर में वर्ष 2000 से 2012 के बीच सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा कथित रूप से की गई 1528 फ़र्ज़ी मुठभेड़ और गैर-न्यायिक हत्याओं के मामले की जांच और मुआवजा मांगने संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह निर्देश दिया.

सेना ने 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि जम्मू-कश्मीर और मणिपुर जैसे उग्रवाद प्रभावित राज्यों में उग्रवाद-निरोधी अभियान चलाने के मामलों में उसे एफआईआर के अधीन नहीं लाया जा सकता है. उसने आरोप लगाया था कि इन क्षेत्रों में होने वाली न्यायिक जांच में स्थानीय पक्षपात होता है, जिसने उसकी छवि खराब कर दी है.

केंद्र ने न्यायालय से कहा था, सभी सैन्य अभियानों में सेना पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है. सभी न्यायिक जांच सेना के खिलाफ नहीं हो सकती हैं. मणिपुर में गैर-न्यायिक हत्याओं के कथित मामले नरसंहार के मामले नहीं हैं, ये सभी सैन्य अभियान से जुड़े हैं.

पीठ ने सशस्त्र बलों द्वारा ऐसे कथित फर्जी मुठभेड़ों के मामले में कार्रवाई नहीं करने को लेकर मणिपुर सरकार की भी खिंचाई की और कहा कि क्या उसे कुछ करना नहीं चाहिए था.

इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से 1528 कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अदालत से उस फैसले पर विचार करने का आग्रह किया था जिसमें उसने मणिपुर में 1528 कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच के आदेश दिए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में दिए फैसले में फर्जी मुठभेड़ों की जांच के अलावा कहा था कि सेना जरूरत से ज्यादा बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती. आत्मरक्षा के लिए न्यूनतम बल का इस्तेमाल होना चाहिए.

इस मसले पर पहले केंद्र ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. बाद में केंद्र ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल की. सरकार का कहना था कि शीर्ष अदालत के इस आदेश से सेना की आतंकवाद से निपटने की योग्यता प्रभावित हो रही है. कोर्ट के आदेश का सीधा प्रभाव सेना के उग्रवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों पर पड़ रहा है. इससे सेना का मनोबल गिरेगा.

इसे भी पढ़ें: मणिपुर के कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच से सेना का मनोबल गिरेगा: केंद्र

क्यूरेटिव याचिका में सरकार का कहना था कि सैन्य अभियान के दौरान की गई कार्रवाई की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती और पिछले दो तीन दशकों में जो कार्रवाइयां हुई हैं उस बारे में अब एक्शन लेने से सेना का मनोबल टूटेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq