पुणे: कम वेतन और अधिक काम के विरोध में अस्पताल की 200 नर्सों ने किया काम का बहिष्कार

पुणे के जहांगीर हॉस्पिटल की क़रीब 200 नर्सों के विरोध के बाद अस्पताल प्रशासन ने न सिर्फ वेतन बढ़ोतरी की मांग को ख़ारिज कर दिया, बल्कि उनकी जगह नए स्टाफ की नियुक्ति की धमकी भी दी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पुणे के जहांगीर हॉस्पिटल की क़रीब 200 नर्सों के विरोध के बाद अस्पताल प्रशासन ने न सिर्फ वेतन बढ़ोतरी की मांग को ख़ारिज कर दिया, बल्कि उनकी जगह नए स्टाफ की नियुक्ति की धमकी भी दी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पुणे: पुणे के जहांगीर हॉस्पिटल की करीब 200 नर्सें कम वेतन और अधिक काम की शिकायत करते हुए बीते रविवार से काम का बहिष्कार कर दिया है. हालांकि, इस दौरान वे गंभीर और आपातकालीन केस को देख रही हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नर्सों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय सोमवार को अस्पताल प्रशासन ने न सिर्फ वेतन बढ़ोतरी की मांग को खारिज कर दिया बल्कि उनकी जगह नए स्टाफ की नियुक्ति की धमकी भी दी.

अस्पताल प्रशासन और नर्सों के बीच समझौते की सभी कोशिशें असफल रहीं और सोमवार तक तनाव और बढ़ गया. अस्पताल प्रशासन ने स्वीकार किया कि रविवार से शुरू धरने में जो नर्सें शामिल नहीं थीं, सोमवार को वे भी शामिल हो गईं.

सोमवार देर रात जारी बयान में अस्पताल ने कहा कि वह नर्सों की अच्छी देखभाल करने के लिए सब कुछ कर रहा था, जिसमें वेतन का समय पर भुगतान और कुछ विशेष भत्ते शामिल थे, लेकिन वह इस समय वेतन बढ़ाने की स्थिति में नहीं है.

हालांकि, नर्सें अपनी मांगों से हटने के लिए तैयार नहीं हैं. अस्पताल की एक 50 वर्षीय नर्स ने कहा, रोजाना 12 घंटे काम करने के बाद भी क्या हमारी मांगें जायज नहीं हैं जिसमें हमें न तो कोई छुट्टी मिलती है और न ही कोविड भत्ता. हम मामूली से वेतन पर काम कर रहे हैं जबकि कुछ अन्य अस्पतालों में नर्सों को दोगुना वेतन दिया जा रहा है. यह बिल्कुल भी जायज नहीं है.

नर्सों ने कहा कि उन्हें प्रतिमाह न्यूनतम 12000 से 14000 रुपये  का वेतन मिल रहा है.

एक अन्य नर्स ने कहा, हमें कोविड योद्धा कहना बहुत अच्छा है. लेकिन 12 हजार रुपये के मासिक वेतन में महीने का खर्च चलाना मुश्किल है. मेरे पति एक अन्य अस्पताल में पुरुष नर्स हैं और उनकी मासिक आय करीब 15 हजार रुपये है. अपनी परेशानियों के साथ हम कोविड मरीजों को संभालते हैं लेकिन अब हमारा काम बहुत ज्यादा बढ़ गया है.

जहांगीर अस्पताल में फिलहाल करीब 150 कोविड मरीज हैं जिनमें से 20 आईसीयू में भर्ती हैं.

सोमवार को ही धरनारत नर्सों का एक समूह अपनी मांगों के समर्थन के लिए जिलाधिकारी नवल किशोर राम से मिला.

नर्सों के एक एसोसिएशन यूनाइटेड नर्सेस एसोसिएशन की अध्यक्ष जिबिन टीसी ने अस्पताल को पत्र लिखकर कहा, हमने मांग की है कि पीपीई के साथ उनकी ड्यूटी घंटे छह घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए और पर्याप्त आराम प्रदान किया जाना चाहिए.

हालांकि, अस्पताल प्रशासन लगातार सभी स्टाफ से काम पर लौटने का अनुरोध कर रहा है. प्रशासन ने कहा कि धरना नर्सिंग प्रोफेशन के लोकाचार और नैतिकता के खिलाफ है.

इस बीच, कुछ अन्य अस्पतालों का कहना है कि अपने नर्सिंग स्टाफ के उत्साहवर्धन के लिए वे कुछ प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं.

जहांगीर अस्पताल के ठीक सामने स्थित रूबी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक संजय पाथेर ने कहा कि हर सात दिन के काम के बाद नर्सों को तीन दिन या लगातार दो हफ्ते की ड्यूटी के बाद एक हफ्ते का आराम दिया जा रहा है. अस्पताल में करीब 1,000 नर्सें काम कर रही हैं.

उन्होंने कहा, यह चुनौतीपूर्ण समय है. छह घंटे की ड्यूटी का चार्ट बनाया गया है और नर्सों को चार अलग-अलग शिफ्ट दिए गए हैं.

सिम्बायोसिस अस्पताल के सीईओ डॉ. विजय नटराजन ने भी दावा किया कि लंबे समय तक की ड्यूटी के बाद नर्सों को पर्याप्त आराम दिया जा रहा है.

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