देश में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच कई राज्यों तक नहीं पहुंचे केंद्र द्वारा आवंटित वेंटिलेटर्स

कोरोना को लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर हुई आलोचना के बाद केंद्र ने दावा किया था कि लॉकडाउन में बने स्वदेशी वेंटिलेटर्स अस्पतालों में हो रही इनकी कमी पूरी करेंगे. आंकड़े बताते हैं कि अब तक केंद्र द्वारा आवंटित वेंटिलेटर्स का महज़ 50 फीसदी ही राज्यों और केंद्रीय संस्थानों को मिला है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

कोरोना को लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर हुई आलोचना के बाद केंद्र ने दावा किया था कि लॉकडाउन में बने स्वदेशी वेंटिलेटर्स अस्पतालों में हो रही इनकी कमी पूरी करेंगे. आंकड़े बताते हैं कि अब तक केंद्र द्वारा आवंटित वेंटिलेटर्स का महज़ 50 फीसदी ही राज्यों और केंद्रीय संस्थानों को मिला है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: नवी मुंबई के कोपरखैरणे निवासी 78 वर्षीय भगवान वेता को 16 जुलाई को कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जांच में पता चला कि उनका ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन लेवल कम है.

बाद में 20 जुलाई को उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई और अस्पताल ने उनके परिजनों से कहा कि इन्हें ऐसे जगह शिफ्ट किया जाए जहां वेंटिलेटर हो.

वेता के दामाद अशोक टंडेल ने मुंबई मिरर को बताया, ‘करीब 12 घंटे तक हम कॉल पर कॉल लगाते रहे, लेकिन कहीं भी हमें वेंटिलेटर के साथ बेड नहीं मिला.’

टंडेल पूर्व मंत्री और भाजपा नेता गणेश नायक के संबंधी हैं. यहां तक कि नायक द्वारा कॉल करने के बाद भी नवी मुंबई में उन्हें वेंटिलेटर वाला बेड आसानी से नहीं मिल पाया.

इसी तरह वेंटिलेटर या ऑक्सीजन बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण 60 वर्षीय चंद्रकांत भगत की पिछले महीने 25 जून को मौत हो गई.

भगत के रिश्तेदार दशरथ भगत ने बताया, ‘एक मरीज को वेंटिलेटर या आईसीयू बेड लेने के लिए 7-8 घंटे का इंतजार करना पड़ता है.’

इसी महीने महाराष्ट्र के पुणे शहर में बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के 61 वर्षीय रिटायर्ड वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मी नरसिम्हन की वेंटिलेटर न मिलने की वजह से मौत हो गई.

कोरोना संक्रमित वैज्ञानिक की तबीयत और बिगड़ने के कारण उन्हें वेंटिलर की सुविधा वाले अस्पताल में ले जाने को कहा गया था, लेकिन परिजनों द्वारा कई जगहों पर कोशिश करने के बावजूद उन्हें वेंटिलेटर नहीं मिल पाया और डॉ. नरसिम्हन ने दम तोड़ दिया.

ये कहानी सिर्फ वेता, भगत और नरसिम्हन की नहीं है. आए दिन कोरोना वायरस के गंभीर संक्रमण वाले मरीजों की वेंटिलेटर न मिलने या आईसीयू बेड खाली न होने के कारण मौत की खबरें सामने आ रही हैं.

ऐसे में उचित स्वास्थ्य लाभ न देने को लेकर जनता और विशेषज्ञों ने केंद्र व राज्य सरकारों को आड़े हाथों लिया, जिसके बाद सरकार ने दावा किया कि उन्होंने लॉकडाउन के समय को स्वदेशी वेंटिलेटर बनाने में इस्तेमाल किया है और अब अस्पतालों में इसकी कमी नहीं होगी.

हालांकि हकीकत ये है कि केंद्र सरकार ने राज्यों व केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों को जितने वेंटिलेटर का आवंटन किया था, उसमें से अब तक करीब 50 फीसदी ही वेंटिलेटर दिए गए हैं, जबकि देश में कोरोना संक्रमण के प्रतिदिन औसतन 50 हजार केस सामने आ रहे हैं.

द वायर  द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज से पता चलता है कि केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों तथा केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों के लिए 17,938 वेंटिलेटर का आवंटन किया था.

लेकिन इसमें से 10 जुलाई 2020 तक में कुल 9,150 वेंटिलेटर दिए गए हैं, जो कुल आवंटन का करीब 50 फीसदी ही है.

सबसे ज्यादा 3,575 वेंटिलेटर महाराष्ट्र को आवंटित किए गए हैं, जिसमें से सिर्फ 1,805 वेंटिलेटर ही राज्य को दिया गया है. यानी आवंटन के मुकाबले अभी आधे वेंटिलेटर ही राज्य को पहुंचाए गए हैं.

मालूम हो कि देश में अब तक कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा 4 लाख मामले महाराष्ट्र में ही पाए गए हैं. कोविड-19 वायरस के चलते यहां अब तक 15 हज़ार के करीब मौतें हो चुकी हैं.

दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जिसे केंद्र की ओर से 1,650 वेंटिलेटर आवंटित किए गए. हालांकि इसमें से अब तक 630 वेंटिलेटर ही राज्य को दिए गए हैं, जो आवंटन के मुकाबले करीब 38 फीसदी ही है.

कर्नाटक में अब तक कोरोना संक्रमण के एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और यहां इस वायरस से दो हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

हालांकि इन राज्यों की तुलना में गुजरात को केंद्र ने आवंटन के संख्या के करीब वेंटिलेटर पहुंचा दिए हैं. भाजपा शासित इस राज्य को कुल 1,504 वेंटिलेटर आवंटित किए गए थे और इसमें से 1,494 वेंटिलेटर पहुंच चुके हैं.

मालूम हो कि राज्य की दयनीय स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने कई बार फटकार भी लगाई थी.

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामलों के आधार पर ये आवंटन किए गए हैं.

कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 1,225 वेंटिलेटर आवंटित किए गए थे. हालांकि इसमें से अभी तक सिर्फ 519 वेंटिलेटर ही राज्य सरकार को पहुंचे गए हैं जो आवंटन का करीब 42 फीसदी ही है.

राजस्थान में कोरोना संक्रमण के 40,000 से ज्यादा मामले आ चुके हैं और शुक्रवार शाम तक यहां 663 लोगों की मौत हुई है.

तेलंगाना को 1,220 वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं, लेकिन इसमें से 888 वेंटिलेटर ही दिए गए हैं.

राज्य की केसीआर राव सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सार्वजनिक रूप से केंद्र की आलोचना भी कर चुके हैं कि उन्हें आवंटन की तुलना में पर्याप्त वेंटिलेटर नहीं दिए जा रहे हैं.

उत्तर प्रदेश को 992 वेंटिलेटर देने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इसमें से सिर्फ 181 वेंटिलेटर ही अभी तक दिए गए हैं जो आवंटन के मुकाबले मात्र 18 फीसदी ही है.

मालूम हो कि बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर राज्य की आलोचना होती रही है. चिंता की बात ये है कि पिछले कुछ हफ्तों में राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं.

राज्य में इस समय करीब 81, 000 मामले आ चुके हैं और यहां इस वायरस से लगभग 1,500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

इस मामले में मध्य प्रदेश की भी स्थिति काफी खराब है. केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को 679 वेंटिलेटर आवंटित किए हैं, लेकिन इसमें से अभी तक सिर्फ 79 वेंटिलेटर ही राज्य में पहुंचाए गए हैं.

यह कुल आवंटन के मुकाबले मात्र 11 फीसदी है. कोरोना वायरस के कारण मध्य प्रदेश में 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और यहां 31 हजार के करीब मामले आ चुके हैं.

कोरोना वायरस के मद्देनजर अव्यवस्थाओं को लेकर चौतरफा आलोचनाओं से घिरे बिहार को केंद्र सरकार की ओर से 464 वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं, लेकिन इसमें से अभी 114 वेंटिलेटर ही राज्य को भेजे गए हैं.

बिहार में कोरोना संक्रमण के करीब 46,000 मामले सामने आ चुके हैं और यहां 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

इसी तरह झारखंड को 385 वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं और इसमें से 185 वेंटिलेटर ही राज्य को सौंपे गए हैं.

देश में दूसरे सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण संक्रमण वाले राज्य तमिलनाडु को 640 वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं. हालांकि इसमें से अभी तक सिर्फ 111 वेंटिलेटर ही राज्य में पहुंचाए गए हैं.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को 525 वेंटिलेटर आवंटित किए गए थे जिसमें से 471 वेंटिलेटर दे दिए गए हैं. इसी तरह छत्तीसगढ़ को 190 वेंटिलेटर दिए जाने थे, जिसमें से सभी वेंटिलेटर पहुंचा दिए गए हैं.

केरल को केंद्र की ओर से 480 वेंटिलेटर दिए जाने थे जिसमें से 107 वेंटिलेटर ही दिए गए हैं. नए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को 130 वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं, जिसमें से एक भी वेंटिलेटर प्रदेश में नहीं भेजा गया है. 

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए 354 वेंटिलेटर आवंटित किए गए थे, जिसमें से 154 वेंटिलेटर ही अभी तक प्रदेश में भेजे गए हैं.

इसी तरह एक अन्य केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप को पांच और सिक्किम को 10 वेंटिलर दिए जाने थे, जिसमें से एक भी वेंटिलेटर यहां नहीं भेजा गया है.

एम्स, सफदरजंग जैसे केंद्रीय अस्पतालों के लिए कुल 390 वेंटिलेटर आवंटित किए गए थे, जिसमें से 330 वेंटिलेटर यहां पहुंचा दिए गए हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामलों के आधार पर ये आवंटन किए गए हैं. चूंकि एक्टिव मामलों की संख्या प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है और मंत्रालय ने पुराने आंकड़ों के आधार पर जो आवंटन किया है उसे भी अभी पूरा राज्यों को नहीं पहुंचाया गया है.

ऐसे में सवाल उठता है कि केंद्र सरकार किस तरह तेजी से बढ़ते इन मामलों को संभाल पाएगी.

भारत सरकार का कहना है कि कोरोना संक्रमण के मामलों में से 0.35% केस में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है.

‘पीएम केयर्स फंड वाले भी वेंटिलेटर नहीं पहुंच रहे’

भारत सरकार ने विवादित पीएम केयर्स फंड के जरिये भी 50,000 वेंटिलेटर राज्यों को देने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए फंड से 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

हालांकि हकीकत ये है कि जून महीने के आखिर तक में लक्ष्य की तुलना में सिर्फ छह फीसदी ही वेंटिलेटर्स बनाए जा सके थे.

बीते 23 जून को जारी एक बयान में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा था कि पीएम केयर्स फंड के तहत आवंटित कुल 50,000 स्वदेशी वेंटिलेटर्स में से अब तक 2,923 वेंटिलेटर यानी करीब छह प्रतिशत का ही उत्पादन हुआ है, जिनमें से 1,340 वेंटिलेटर्स को पहले ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को डिलीवर किए जा चुके हैं.

इसमें से 30,000 वेंटिलेटर्स भारत इलेक्ट्रानिक लिमिटेड द्वारा बनाए जा रहे हैं. बाकी के 20,000 वेंटिलेटर्स एजीवीए हेल्थकेयर्स (10,000), एएमटीजेड बेसिक (5,650), एएमटीजेड हाई एंड (4,000) और अलाइड मेडिकल (350) द्वारा बनाए जा रहे हैं.

इस लेकर आरोप भी लगे हैं कि एजीवीए हेल्थकेयर्स द्वारा बनाए जा रहे वेंटिलेटर्स की गुणवत्ता अच्छी नहीं है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

हफपोस्ट इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दो सरकारी समितियों ने इस कंपनी के वेटिलेटर्स को लेकर चिंता जाहिर की है.

आरटीआई आवेटन के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया है कि 10 जुलाई तक राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों को 2.18 करोड़ एन 95 मास्क, 1.21 करोड़ पीपीई किट और 6.12 करोड़ हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट दिए गए हैं.

इस मामले में भी महाराष्ट्र राज्य को सबसे ज्यादा लाभ मिला है. केंद्र की ओर से राज्य को 21.84 लाख एन 95 मास्क, 11.78 लाख पीपीई किट और 77.20 लाख हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट दिए गए हैं.

दूसरे नंबर पर दिल्ली है, जिसे 14.06 लाख एन 95 मास्क, 8.11 लाख पीपीई किट और 44.80 लाख हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट केंद्र की ओर से मिले हैं.

इसी तरह मध्य प्रदेश को 11.33 लाख एन 95 मास्क, 7.57 लाख पीपीई किट और 24 लाख हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबेलेट मिले हैं.

उत्तर प्रदेश को 13.40 लाख एन 95 मास्क, 9.27 लाख पीपीई किट और 64.40 लाख हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टैबेलेट दिए गए हैं.

‘कोरोना अस्पतालों की जानकारी को लेकर सीआईसी के आदेश का उल्लंघन’

जून महीने की शुरुआत में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को फटकार लगाते हुए उन्हें निर्देश दिया था कि वे 15 दिन के देश भर के सभी कोविड-19 इलाज केंद्रों, अस्पतालों इत्यादि की जानकारी अपने वेबसाइट पर अपलोड करें.

सीआईसी ने इस बात पर चिंता जाहिर की थी कि कोविड-19 से इलाज के लिए अस्पतालों की पूरी जानकारी कहीं भी एक जगह पर उपलब्ध नहीं है.

हालांकि इसके बावजूद अभी भी स्वास्थ्य मंत्रालय ये जानकारी सार्वजनिक नहीं कर रहा है.

एक आरटीआई आवेदन में राज्यवार कोरोना अस्पतालों, कोविड-19 स्वास्थ्य केंद्रों तथा यहां उपलब्ध आईसीयू बेड, ऑक्सीजन बेड, आईसोलेशन बेड के बारे में जानकारी मांगी गई थी.

22 जुलाई को भेजे अपने जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक और प्रथम अपीलीय अधिकारी (एफएए) राजीव वधावन ने कहा, ‘सरकारी अस्पताल राज्य के विषय होते हैं. राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश कोरोना संक्रमित मरीजों को देख रहे हैं. भारत सरकार दिशानिर्देश और नियम जारी कर रही है और महामारी से लड़ने में मदद प्रदान कर रही है. इसे लेकर राज्यों में उपलब्ध स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की जानकारी इस मंत्रालय में मौजूद नहीं है.’

गौरतलब है कि ऐसी कई खबरें आई हैं जहां उचित जानकारी उपलब्ध न होने के कारण कोरोना मरीज के परिजनों को कई अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़े. कई बार ऐसा भी हुआ कि अस्पतालों की तलाश के दौरान ही मरीज की मौत हो गई.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक अन्य जवाब में एक लिंक भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि इस पर जाकर अस्पालों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

हालांकि इस लिंक को खोलने पर अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों की सूची उपलब्ध होने के बजाय इसमें राज्यवार स्वास्थ्य विभागों के लिंक दिए गए हैं और कहा गया है इस पर जाकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

जाहिर है ये प्रक्रिया काफी जटिल है और सिर्फ अंग्रेजी भाषा में जानकारी उपलब्ध होने के कारण एक बड़ी आबादी को जानकारी नहीं मिल सकती है.

बीते 17 जुलाई को जारी एक प्रेस रिलीज में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि देश भर में कुल 1,383 कोरोना अस्पताल, 3,107 कोरोना स्वास्थ्य केंद्र और 10,382 कोविड केयर सेंटर्स हैं.

उन्होंने दावा किया कि इन जगहों पर 46,673 आईसीयू बेड और 21,848 वेंटिलेटर्स लगाए गए हैं.

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