कोविड-19: उत्तर प्रदेश में लक्ष्य से कम हो पा रही जांच, तेज़ी से बढ़ रहे मामले

उत्तर प्रदेश में बृहस्पतिवार की सुबह तक कोविड-19 के कुल केस 104,388 हो चुके थे. अभी भी एक्टिव केस 41,973 हैं और अब तक 1,857 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है.

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(फोटोः पीटीआई)

उत्तर प्रदेश में बृहस्पतिवार की सुबह तक कोविड-19 के कुल केस 104,388 हो चुके थे. अभी भी एक्टिव केस 41,973 हैं और अब तक 1,857 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है.

(फोटोः पीटीआई)
(फोटोः पीटीआई)

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के केस बीते एक महीने से तेजी से बढ़े हैं और अब यह आंकड़ा एक लाख पार कर गया है. बड़े महानगरों के साथ-साथ अब छोटे जिलों में भी तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है.

प्रदेश में अब नौ ऐसे जिले हो गए हैं, जहां कोविड-19 केस दो हजार से अधिक हो गए हैं. चार जिलों में कोराना संक्रमण के मामले पांच हजार से अधिक हैं. प्रदेश के 18 जिलों में कोविड-19 केस एक हजार से अधिक हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में कोराना संक्रमण के मामले तीन हजार से अधिक हो गए हैं तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जिला गोरखपुर में यह संख्या 2763 तक पहुंच गई है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के क्षेत्र लखनऊ में कोराना केस की संख्या 10 हजार पार कर गया है.

कोराना संक्रमण के बिगड़ते हालात के बारे इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि कोविड-19 से प्रदेश की प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमल रानी वरुण की मौत बीते दो अगस्त को मौत हो गयी.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह और जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह संक्रमित हो चुके हैं. महराजगंज के भाजपा सांसद पंकज चौधरी भी संक्रमित हुए हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में कोविड-19 संक्रमण से हाल में कमिश्नर के पीए संजय शर्मा, ललित कला अकादमी के सदस्य डॉ. राजीव केतन और सपा के वरिष्ठ नेता रवि श्रीवास्तव की मौत हो गई है.

बस्ती में हिंदु युवा वाहिनी के जिला प्रभारी अज्जू हिंदुस्तानी की कोरोना से मौत हो गई.

गुरुवार की सुबह (छह अगस्त) तक यूपी में कोविड-19 के कुल केस 104,388 हो चुके थे. अभी भी एक्टिव केस 41,973 हैं. अब तक 1,857 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है.

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक कोविड-19 केस राजधानी लखनऊ में हैं. लखनऊ में कोरोना केस 10,141 हो चुके हैं और इससे 124 लोगों की जान भी जा चुकी है. कानपुर नगर में अब तक 6922, गाजियाबाद में 5473 और गौतमबुद्ध नगर में कोविड-19 के केस 5644 हैं.

इलाहाबाद, बरेली, गोरखपुर, जौनपुर, झांसी, मेरठ, मुरादाबाद, बलिया और वाराणसी में कोराना संक्रमण के मामले दो हजार पार कर गए हैं. वाराणसी में कोराना संक्रमण के 3550 केस रिपोर्ट हुए हैं और यहां पर अब तक 72 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है.

गोरखपुर में कोविड-19 से अब तक 61 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है और यहां कुल मामले 2763 हैं. इलाहाबाद में अब तक 3244 केस रिपोर्ट हुए हैं.

एक हजार से अधिक कोविड-19 केस वाले जिलों में आगरा  (1946), अलीगढ़ (1716), बाराबंकी (1417), बस्ती (1049), बुलंदशहर (1456), चंदौली (1094), देवरिया (1510), अयोध्या (1420), गाजीपुर (1355), हापुड़ (1350), हरदोई (1287), रामपुर (1398), सहारनपुर (1277), संभल (1060), संतकबीरनगर (1173), शाहजहांपुर (1286), आजमगढ़ (1281) और मथुरा (1009) शुमार हैं.

पिछले एक महीने में कोरोना संक्रमण का दायरा शहरी क्षेत्र में काफी देखा जा रहा है जहां लाॅकडाउन हटाने के बाद दुकानें और कार्यालय खुले हैं.

फील्ड एक्टिविटी के कारण सरकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे हैं. गोरखपुर में करीब दो दर्जन रोडवेज कर्मचारी संक्रमित हो चुके हैं. इसी तरह गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी संकमित हुए हैं.

चिकित्सा व स्वास्थ्यकर्मी तथा प्रशासनिक अफसर भी लगातार संक्रमित हो रहे है, जिससे कोविड-19 के रोकथाम के कार्यों पर असर पड़ रहा है. गोरखपुर में हाल के दिनों में एसडीएम सदर, मुख्य राजस्व अधिकारी, संक्रमित हुए हैं.

संक्रमण बढ़ने के कारण ही अब जिलों में थाना क्षेत्र स्तर पर हफ्ते-हफ्ते का लॉकडाउन लग रहा है, हालांकि उससे संक्रमण रोकने में कोई खास मदद नहीं मिल पा रही है.

प्रतिदिन दो हजार एंटीजन टेस्ट का लक्ष्य भी नहीं हो पा रहा पूरा

कोरोना संक्रमण के मामले जुलाई माह में बहुत तेजी से बढ़े हैं. प्रदेश सरकार टेस्टिंग बढ़ाए जाने के कारण कोरोना मामलों में वृद्धि का कारण बता रही है हालांकि यह पूरा सच नहीं है.

अभी जिलों में टेस्टिंग दो हजार या इससे कम ही हो पा रही है जबकि टेस्टिंग के लिए अब प्राइवेट पैथालाॅजी की संख्या काफी बढ़ गई है.

खुद सरकार ने एंटीजन टेस्ट के लिए सभी 75 जिलों को प्रतिदिन एक हजार से अधिकतम 2500 टेस्ट किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं ने 28 जुलाई को सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को भेजे गए पत्र में एंटीजन टेस्ट का लक्ष्य निर्धारित किया है.

इसमें आगरा, अलीगढ़, बरेली, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, कानपुर नगर, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, इलाहाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बुलंदशहर में 2500-2500 एंटीजन टेस्ट किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

फिरोजाबाद, गोरखपुर, अयोध्या, झांसी, आजमगढ़, बाराबंकी, बस्ती, कानपुर देहात और मथुरा में दो-दो हजार एंटीजन टेस्टिंग करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. शेष जिलों में यह लक्ष्य 1000 से 1500 है.

इस आदेश के एक सप्ताह बाद भी तमाम जिले इस निर्धारित लक्ष्य से बहुत पीछे हैं. लक्ष्य के मुताबिक एंटीजन टेस्टिंग इसलिए संभव नहीं हो पा रही है, क्योंकि स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी है.

नमूने लेने के लिए एक लैब टेक्नीशियन व एक फार्मासिस्ट या सहायक की जरूरत होती है. पीपीई किट पहन कर दोनों कर्मचारी काफी प्रयास के बाद अधिकतम 50 से अधिक नमूने एकत्र नही कर पाते हैं.

44 लाख की आबादी वाले गोरखपुर जिले में चार महीनों में सिर्फ 35,909 नमूनों की जांच

गोरखपुर मंडल के चार जिलों को ही ले लें. गोरखपुर जिले में एक अप्रैल से एक जुलाई की रात तक 35,909 नमूनों की ही जांच हो पाई है. इसी तरह देवरिया जिले में 21,542, कुशीनगर में 18,403 और महराजगंज में 19,620 नमूनों की जांच हो पाई थी.

यानी गोरखपुर मंडल के चार जिलों में पिछले चार महीनों में कुल 95,474 नमूनों की ही जांच हो पाई है.

एक अगस्त को 24 घंटे में गोरखपुर जिले में 1142, देवरिया में 701 और महराजगंज में सिर्फ 347 नमूने लिए जा सके जबकि इन जिलों मे क्रमशः दो हजार, 1500 और एक हजार एंटीजन टेस्ट लिए जाने का लक्ष्य है. कुशीनगर में 1041 नमूने लिए गए. इस जिले में प्रतिदिन एक हजार एंटीजन टेस्ट किए जाने का लक्ष्य है.

इस तरह इन चारों जिलों में 24 घंटे में कुल 3225 नमूने एकत्र किए जा सके. इस दौरान जांच के बाद कुल 4411 नमूनों की रिपोर्ट प्राप्त हो पाई.

गोरखपुर जिले में एक जलाई से 29 जुलाई तक कुल 21,496 नमूनों की जांच हुई, जिसमें 1574 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए. इस हिसाब से संक्रमण की दर 7.3 फीसदी है.

हालांकि गोरखपुर शहर में संक्रमण की दर 9.6 फीसदी थी. गोरखपुर जिले की आबादी 44 लाख है. चार महीनों में करीब 36 हजार नमूनों की जांच कर भला कोई कैसे दावा कर सकता है कि जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है.

(लेखक गोरखपुर न्यूज़लाइन वेबसाइट के संपादक हैं.)

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