नगा शांति वार्ता: स्टूडेंट यूनियन ने कहा- अरुणाचल के क्षेत्राधिकार परिवर्तन का कड़ा विरोध होगा

ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन ने राज्य के सभी विधायकों, सांसदों और राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि वे राज्यों के अधिकार क्षेत्र और प्रशासन को बदलने के किसी भी संभावित प्रयासों का पुरज़ोर विरोध करें.

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(फोटो साभार: ट्विटर)

ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन ने राज्य के सभी विधायकों, सांसदों और राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि वे राज्यों के अधिकार क्षेत्र और प्रशासन को बदलने के किसी भी संभावित प्रयासों का पुरज़ोर विरोध करें.

(फोटो साभार: ट्विटर)
(फोटो साभार: ट्विटर)

ईटानगर: ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (आपसू) ने बुधवार को केंद्र सरकार से अपील की है कि दशकों पुरानी नगा राजनीतिक समस्या हल होने तक किसी भी प्रकार का क्षेत्रीय परिवर्तन न किया जाए.

आपसू ने कहा कि बातचीत से राज्य और यहां के लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए.

यूनियन की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया है, ‘नगा मसले को सुलझाने के लिए सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों का हम स्वागत करते हैं. हालांकि हम यह भी स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि नगालैंड में दशकों पुराने नगा संघर्ष का समाधान होने तक यदि राज्य के क्षेत्राधिकार में परिवर्तन किया जाता है या किसी भी प्रकार का प्रशासनिक, राजनीतिक या अन्य प्रकार से हस्तक्षेप किया जाता है तो अरुणाचल प्रदेश के मूल निवासी ऐसे किसी भी प्रकार के प्रयास का विरोध करेंगे.’

आपसू ने कहा कि केंद्र सरकार को उनके मध्यस्थ और वर्तमान में नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा 2015 में दिए गए आश्वासन पर अडिग रहना चाहिए.

नगा शांतिवार्ताकार राज्यपाल आरएन रवि ने 2015 में आपसू के साथ हुई बैठक में वचन दिया था कि नगा शांति समझौते के अंतिम प्रारूप को लागू करते समय अरुणाचल वासियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक आपसू ने राज्य के सभी विधायकों, सांसदों और राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि वे प्रस्तावित समझौते के लिए राज्यों के अधिकार क्षेत्र और प्रशासन को बदलने के किसी भी संभावित प्रयासों का पुरजोर विरोध करें.

आपसू ने कहा, ‘हम नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-इसाक मुइवाह (एनएससीएन-आईएम) के नगालिम या ग्रेटर नगालैंड के दृष्टिकोण के बारे में जानते हैं, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में कोई नगा नहीं है. हमने हमेशा उनके निहित स्वार्थ डिजाइनों पर आपत्ति जताई है.’

यूनियन ने कहा कि कुछ साल पहले एनएससीएन-आईएम द्वारा जारी नगालिम के नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग, लोंगडिंग, अंजॉ, लोहित और नामसाई जिले शामिल हैं.

द अरुणाचल टाइम्स के मुताबिक यूनियन ने यह भी याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि समझौते का अंतिम मसौदा तैयार होने से पहले अरुणाचल सरकार और राज्य के विभिन्न संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा.

इसमें कहा गया है कि आपसू ने इस सबंध में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के राज्य में पहली यात्रा के दौरान आवेदन दिया था. इसके अलावा तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राज्य सरकार और राज्यपाल को इस संबंध कई आवेदन दे चुकी है.

एनएससीएन-आईएम नेतृत्व इस समय दिल्ली में है और पिछले कुछ दिनों में आधिकारिक स्तर की दो दौर की वार्ता हुई है.

इस बीच नगा जनजातीय समूहों के शीर्ष संगठन ‘नगा होहो’ के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को केंद्र से एनएससीएन-आईएम के साथ चल रही शांति प्रक्रिया का जल्द समापन करने और नगालैंड में दशकों पुराने हिंसक आंदोलन का समाधान निकालने का आग्रह किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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