लॉकडाउन: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचा‌रियों के वेतन-पेंशन रोकने का आदेश रद्द किया

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन और पेंशन के रोके गए हिस्से को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करे. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने अपने कर्मचारियों के मार्च और अप्रैल माह के वेतन और पेशन के 50 प्रतिशत हिस्से पर रोक लगा दी थी.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने कर्मचारियों को वेतन और पेंशन के रोके गए हिस्से को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करे. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने अपने कर्मचारियों के मार्च और अप्रैल माह के वेतन और पेशन के 50 प्रतिशत हिस्से पर रोक लगा दी थी.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: फेसबुक)

अमरावती: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान बीते मार्च महीने से अपने कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के 50 प्रतिशत हिस्से को रोकने के आदेश को रद्द कर दिया है.

हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश की वाईएस जगनमोहन रेड्डी सरकार को आदेश दिया है कि कर्मचारियों का वेतन और रिटायर कर्मचारियों का पेशन 12 प्रतिशत ब्याज के साथ उन्हें वापस किया जाए.

मुंबई मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने यह आदेश विशाखापट्टनम के रिटायर जज कामेश्वरी की याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण आंध्र प्रदेश सरकार ने बीते मार्च महीने से अपने कर्मचारियों के वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा रोक लिया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान वित्तीय संकट के कारण प्रदेश सरकार ने एक सरकारी आदेश के जर‌िये मार्च और अप्रैल महीनों के लिए सरकारी कर्मचारियों के वेतन के एक हिस्से की अदायगी रोक दी थी और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन के एक हिस्से को मार्च महीने के लिए स्‍थगि‌त कर दिया था.

जस्टिस एम. सत्यनारायण मूर्ति और ललिता कान्नेगान्‍ती की पीठ ने कहा कि केवल इसलिए कि सरकार के पास कर्मचारियों को पूर्ण वेतन या पेंशन का भुगतान करने की देयता को पूरा करने के लिए संसाधन नहीं है, राज्य कर्मचारियों को संपत्ति के उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.

पीठ ने कहा कि पेंशनभोगी अपनी आजीविका से वंचित हो जाएंगे, जबकि उन पर विभिन्न खर्चों की जिम्‍मेदारी है, जिनमें उनकी स्वास्थ्य की देखभाल भी शामिल है. अगर वेतन भुगतान को पूर्ण या आंशिक रूप से टाल दिया जाता है तो सेवारत कर्मचारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.